Sorry, Mom and Dad, student commits suicide: परीक्षा तनाव और बैकलॉग से परेशान ओपी जिंदल यूनिवर्सिटी की छात्रा ने हॉस्टल में की आत्महत्या

Sorry, Mom and Dad, student commits suicide: छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में स्थित ओपी जिंदल यूनिवर्सिटी की एक 20 वर्षीय इंजीनियरिंग छात्रा ने शनिवार देर रात हॉस्टल के अपने कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मृतका की पहचान झारखंड के जमशेदपुर निवासी प्रिंसी कुमारी के रूप में हुई है। वह बीटेक कंप्यूटर साइंस की सेकंड ईयर की छात्रा थी और यूनिवर्सिटी हॉस्टल में रहती थी।

पुलिस के अनुसार, घटना शनिवार (20 दिसंबर) रात की है। परिजनों ने रात करीब 8:30 बजे प्रिंसी को फोन किया, लेकिन कॉल नहीं उठा। चिंतित परिवार ने हॉस्टल वार्डन से संपर्क किया। वार्डन ने कमरे का दरवाजा खटखटाया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। दरवाजा अंदर से बंद था। खिड़की से झांककर देखा तो प्रिंसी फांसी के फंदे पर लटकी हुई मिली। सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची, पंचनामा किया और शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा। पोस्टमॉर्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया।

सुसाइड नोट में लिखी दिल दहला देने वाली बातें
पुलिस को कमरे से एक सुसाइड नोट बरामद हुआ है, जिसमें प्रिंसी ने माता-पिता से माफी मांगी है। नोट में उसने लिखा है- “सॉरी मम्मी-पापा, मैं आपकी उम्मीदों पर खरी नहीं उतर पाई। मैं पढ़ाई में अच्छी नहीं हूं। मेरे कारण आपका बहुत पैसा खर्च हो रहा है और बचत खत्म हो रही है।” प्रिंसी ने परिवार की आर्थिक स्थिति और अपनी पढ़ाई पर बोझ महसूस करने की बात कही है।

परिजनों ने बताया कि प्रिंसी के फर्स्ट ईयर में पांच सब्जेक्ट्स में बैकलॉग थे और वह सेकंड ईयर की परीक्षाओं के साथ बैकलॉग क्लियर करने की तैयारी कर रही थी। हाल ही में उसने सेमेस्टर फीस के लिए करीब एक लाख रुपये की किस्तों में मांगे थे। परीक्षा का तनाव और बैकलॉग उसे काफी परेशान कर रहे थे।

जांच जारी, कोई और कारण सामने नहीं आया
पूंजीपथरा थाना प्रभारी के अनुसार, प्राथमिक जांच में आत्महत्या का कारण अकादमिक तनाव और परिवार पर आर्थिक बोझ लग रहा है। हॉस्टल के अन्य छात्रों और स्टाफ के बयान दर्ज किए जा रहे हैं। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतजार है, लेकिन मौत का कारण फांसी से दम घुटना बताया जा रहा है। फिलहाल कोई अन्य संदेहास्पद बात सामने नहीं आई है।

यह घटना छात्रों में बढ़ते मानसिक दबाव और परीक्षा तनाव की गंभीर समस्या को फिर से उजागर करती है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे मामलों में काउंसलिंग और परिवार का सपोर्ट जरूरी होता है।

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