यूपी में किसका मॉडल ज्यादा असरदारः योगी सरकार बनाम अखिलेश सरकार, जानिए पूरा विशलेषण

उत्तर प्रदेश की राजनीति में पिछले एक दशक से दो नाम केंद्र में रहे हैं। इतना ही नही दोनों को ही यूपी में अलग अलग रुप में देखा जाता है। योगी आदित्यनाथ और अखिलेश यादव। दोनों सरकारों ने अलग-अलग सोच, प्राथमिकताओं और कार्यशैली के साथ प्रदेश को चलाने का दावा करती है। सवाल यह है कि कानून-व्यवस्था, विकास, रोजगार, सामाजिक संतुलन और निवेश के मोर्चे पर किस सरकार का मॉडल ज्यादा प्रभावी रहा?
कुछ रिसर्च करने पर एक रिपोर्ट आंकड़ों, नीतियों और जमीनी प्रभाव के आधार पर दोनों सरकारों की तुलना जय हिन्द जनाब ने की है। जिसमें काफी बिन्दुओं को ध्यान में रखा गया है। चलिए बताते है सिलसिले वार तरीके से।

1. कानून-व्यवस्था पर सख्ती बनाम संतुलन
योगी सरकार (2017 अब तक)ः अपराध और माफिया के खिलाफ “जीरो टॉलरेंस” नीति के साथ माफिया नेटवर्क पर कार्रवाई, अवैध संपत्तियों पर बुलडोजर जमकर चला है लेकिन कही कही इस दौरान पक्षपात भी देखा गया है।
पुलिस व्यवस्था में सख्ती और तेज फैसले
अखिलेश सरकार (2012-2017)ः अपराध नियंत्रण के दावे, लेकिन विपक्ष ने ढिलाई के आरोप लगाए। पुलिस आधुनिकीकरण पर अच्छा काम यिा गया। जो आज भी कानून व्यवस्था को मजबूत करने में कारगर साबित हो रहा है। एक बिरादरी की दबगाई को लेकर हमेशा अखिलेश सरकार घिरी रही। हालांकि योगी सरकार में अब दूसरे समाज के लोगों को वैसा ही स्पोर्ट मिल रही है।
कानून-व्यवस्था को लेकर राजनीतिक विवाद अधिक। योगी सरकार की पहचान सख्त कानून-व्यवस्था से बनी, जबकि अखिलेश सरकार पर “सॉफ्ट अप्रोच” का आरोप विपक्ष ने लगातार लगाया।
2. इंफ्रास्ट्रक्चर और विकास
योगी सरकार
एक्सप्रेसवे नेटवर्क का तेज विस्तार
अयोध्या, काशी, मथुरा जैसे धार्मिक शहरों का कायाकल्प के साथ रोजगार बढाने के दावे
एयरपोर्ट और डिफेंस कॉरिडोर पर फोकस
अखिलेश सरकार
लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे जैसी बड़ी परियोजनाएं शुरू कर पूरी की गई।
मेट्रो परियोजना की शुरुआत
शहरी विकास और सड़क नेटवर्क पर जोर
अखिलेश सरकार ने आधार तैयार किया, योगी सरकार ने उसी को बड़े पैमाने पर आगे बढ़ाया।
3. निवेश और रोजगार
योगी सरकारः
ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट
यूपी को निवेश फ्रेंडली राज्य बनाने की कोशिश
एमएसएमई और स्टार्टअप नीति
अखिलेश सरकारः
आईटी और मैन्युफैक्चरिंग में निवेश के प्रयास किये। सेमसंग जैसी कंपनियां नोएडा में स्थापित कराई। जिससे प्रदेश में रोजगार के अवसर बढे। इतना ही नही रोजगार को लेकर घोषणाएं, लेकिन असर सीमित बताया गया। योगी सरकार निवेश के बड़े दावों के साथ सामने आई, जबकि जमीनी स्तर पर रोजगार को लेकर बहस जारी है। विपक्षी दल आज भी पूछ रहे है, रोजगार कहां है।
4. किसान और ग्रामीण राजनीति
योगी सरकारः
गन्ना भुगतान पर फोकस
कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर और सिंचाई योजनाएं
अखिलेश सरकारः
किसानों को मुआवजा और मंडी सुधार
सर्किल रेट और जमीन अधिग्रहण पर जोर
देखा जाए तो दोनों सरकारों ने किसानों को प्राथमिकता देने का दावा किया, लेकिन किसान आंदोलनों का मुद्दा दोनों दौर में उठा।
5. सामाजिक समीकरण और राजनीति
योगी सरकार
हिंदुत्व और राष्ट्रवाद की राजनीति
बहुसंख्यक वोट बैंक पर मजबूत पकड़
अखिलेश सरकार
पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) की राजनीति
सामाजिक न्याय और आरक्षण पर जोर
बता दें कि यह फर्क सिर्फ नीतियों का नहीं, बल्कि विचारधाराओं का है।
कुल मिलाकर कहा जाए तो योगी मॉडल में सख्त प्रशासन, तेज फैसले, कानून-व्यवस्था और बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट आदि पर काम चल रहा है। वही, अखिलेश मॉडल में विकास ़ सामाजिक संतुलन, युवाओं और किसानों पर फोकस रहा है।
उत्तर प्रदेश की जनता के सामने असली सवाल यही है। क्या सख्ती और सुरक्षा प्राथमिक है, या विकास के साथ सामाजिक संतुलन?
राजनीति में अंतिम फैसला हमेशा जनता करती है, और वही तय करती है कि यूपी के लिए कौन सा मॉडल ज्यादा मुफीद है।

 

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