शीतकालीन सत्र के छठे चरण में चल रही संसद की कार्यवाही आज मुख्य रूप से अन्य मुद्दों पर केंद्रित रही। लोकसभा और राज्यसभा में सामान्य बहसें हुईं, लेकिन बीमा संशोधन विधेयक ‘बीमा कानून (संशोधन) विधेयक, 2025’ को अभी सत्र की कार्यसूची में शामिल किया गया है। लोकसभा बुलेटिन के अनुसार, यह 13 विधायी प्रस्तावों में से एक है, जिसका उद्देश्य बीमा की पहुंच बढ़ाना, क्षेत्रीय विकास को गति देना और व्यापार करने में आसानी सुनिश्चित करना है। सत्र 19 दिसंबर तक चलेगा, इसलिए बिल पर जल्द ही बहस की उम्मीद है।
कैबिनेट फैसले की मुख्य बातें
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा इस साल के बजट में प्रस्तावित इस सुधार को आज अंतिम मंजूरी मिल गई। अब विदेशी कंपनियां पूरी तरह से स्वामित्व वाली बीमा इकाइयां स्थापित कर सकेंगी, जिससे भारतीय बाजार में नई तकनीक, उत्पाद और प्रतिस्पर्धा आएगी। अब तक बीमा क्षेत्र ने 82,000 करोड़ रुपये के FDI आकर्षित किए हैं, और इस बदलाव से निवेश में और वृद्धि होने की संभावना है।
इसके अलावा, विधेयक में बीमा अधिनियम 1938, जीवन बीमा निगम अधिनियम 1956 और बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण अधिनियम 1999 में संशोधन शामिल हैं। LIC को नए शाखाएं खोलने और कर्मचारी भर्ती जैसे परिचालन निर्णयों में अधिक स्वायत्तता मिलेगी। न्यूनतम चुकता पूंजी की आवश्यकताओं को भी कम किया जाएगा।
लोगों को क्या होंगे फायदे?
इस संशोधन से आम नागरिकों को सस्ते और विविध बीमा विकल्प मिलेंगे। प्रतिस्पर्धा बढ़ने से पॉलिसी दरें कम होंगी, कवरेज बेहतर होगा और ग्रामीण क्षेत्रों तक बीमा पहुंच बढ़ेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे वित्तीय सुरक्षा मजबूत होगी, रोजगार सृजन होगा और 2047 तक ‘सभी के लिए बीमा’ का लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी। सोशल मीडिया पर भी इस फैसले की सराहना हो रही है, जहां निवेशक और उद्योग प्रतिनिधि इसे सेक्टर के लिए ‘गेम चेंजर’ बता रहे हैं।
संसद में बिल के पेश होने के बाद विपक्ष की प्रतिक्रिया पर नजरें टिकी हैं। यह सुधार भारत की आर्थिक वृद्धि को नई गति दे सकता है।

