मामला 17 फरवरी 2017 का है, जब एक प्रसिद्ध मलयालम अभिनेत्री को कार में अगवा कर यौन उत्पीड़न का शिकार बनाया गया। अपराध को वीडियो में रिकॉर्ड भी किया गया। अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि दिलीप ने मुख्य आरोपी पल्सर सुनी को यह सब करने के लिए किराए पर लिया था, लेकिन कोर्ट ने साजिश साबित न होने पर उन्हें बरी कर दिया। पीड़िता, जो अब 39 वर्ष की हैं, ने इस घटना के बाद केवल एक मलयालम फिल्म की, लेकिन तमिल और कन्नड़ सिनेमा में सक्रिय रहीं। उन्होंने 2022 में कहा था कि यौन उत्पीड़न पीड़िताओं को अपनी बात सार्वजनिक रूप से रखने की हिम्मत दिखानी चाहिए। हालांकि, सोमवार के फैसले पर उन्होंने अभी कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं की है।
शाफ्ना निजाम की भावुक प्रतिक्रिया
अभिनेत्री शाफ्ना निजाम, जिन्होंने 2009 में दिलीप की फिल्म ‘आगाथन’ में काम किया था, ने फैसले पर गहरी निराशा जताई। इंस्टाग्राम पर पोस्ट में उन्होंने लिखा, “उसके साथ!! हमेशा और हमेशा!! उम्मीद खो रही हूं… पीड़िता के लिए क्या न्याय मिला, जिसकी जिंदगी उलट-पुलट हो गई? बेचैनी भरी रातें, टूटन, दर्द, उत्पीड़न, कठोर शब्द, चरित्र हनन—सब कुछ वैसा ही रहता है। लेकिन अगर न्याय मिला होता, तो कम से कम उसकी टूटी दुनिया को सुना जाता… कम से कम सत्य उसके कंधों पर बोझ न बनता। न्याय पर भरोसा टूट गया, ठीक वैसे ही जैसे पीड़िता टूट गई थी।”
शाफ्ना की यह पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हो गई और कई हस्तियों ने पीड़िता के समर्थन में आवाज उठाई।
दिलीप की राहत भरी प्रतिक्रिया
फैसले के तुरंत बाद अदालत से बाहर निकले दिलीप ने मीडिया से कहा, “आज सत्य की जीत हुई। मैं आठ साल से इस पल का इंतजार कर रहा था। मैं निर्दोष था, इसलिए सब कुछ सहा। मेरे परिवार ने ऐसा दर्द झेला जो किसी को न झेलना पड़े। मुझे विश्वास था कि सत्य जीतेगा, और आज ऐसा हुआ।” उन्होंने उन लोगों पर निशाना साधा जो उनके खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाते रहे, खासकर पुलिस और मीडिया पर। दिलीप ने अपनी पूर्व पत्नी मंजू वॉरियर का भी जिक्र किया, कहते हुए कि उनके बयान के बाद ही उनके खिलाफ साजिश शुरू हुई।
दिलीप, असल नाम गोपालकृष्णन, मलयालम सिनेमा के बड़े सितारों में शुमार हैं। उन्होंने मिमिक्री आर्टिस्ट के रूप में करियर शुरू किया और ‘सलापम’ (1996) जैसी फिल्मों से लोकप्रिय हुए। मंजू वॉरियर से 1998 में शादी के बाद 2015 में तलाक हो गया, और बाद में उन्होंने एक अन्य सह-कलाकार काव्या माधवन से शादी की। इस मामले के कारण उनके करियर पर असर पड़ा, लेकिन वे प्रोड्यूसर और एग्जिबिटर के रूप में भी सक्रिय रहे।
मामले के प्रमुख पात्र
यह मामला मलयालम सिनेमा के कई बड़े नामों से जुड़ा रहा। पीड़िता ने दिलीप के साथ कई फिल्मों में काम किया था। निर्देशक बालचंद्रकुमार, जो दिलीप के पुराने दोस्त थे, ने 2022 में आरोप लगाया कि दिलीप ने जांच अधिकारी पुलिसवालों को निशाना बनाने की साजिश रची थी और उन्होंने उनके सामने उत्पीड़न का वीडियो देखा था। बालचंद्रकुमार की दिसंबर 2024 में किडनी संबंधी बीमारी से मौत हो गई।
कांग्रेस नेता पी.टी. थॉमस ने घटना के तुरंत बाद पुलिस को सूचित किया था। उन्होंने पीड़िता के लिए न्याय की मांग में अनशन भी किया। थॉमस की पत्नी उमा थॉमस, जो अब विधायक हैं, ने फेसबुक पर लिखा, “पी.टी. की आत्मा आज के फैसले से खुश नहीं होगी। उन्होंने सड़क पर पीड़िता के उत्पीड़न की खबर सुनकर घर से निकले थे… वे न्याय के लिए लड़े थे।” थॉमस की 2021 में मौत हो गई थी।
मंजू वॉरियर ने शुरू से पीड़िता का साथ दिया और कहा था कि यह अपराध साजिश का हिस्सा था। पीड़िता ने एक कार्यक्रम में थॉमस को याद करते हुए कहा, “मैं थॉमस सर को कभी नहीं भूल सकती। उन्होंने बिना शर्त मेरा साथ दिया।”
लंबी कानूनी लड़ाई का अंत?
यह फैसला आठ साल की लंबी सुनवाई के बाद आया है, जिसमें सार्वजनिक बहसें और राजनीतिक हलचलें रहीं। कोर्ट ने कहा कि छह आरोपियों पर सभी आरोप साबित हो गए, लेकिन दिलीप समेत चार को बरी किया गया। पीड़िता के वकीलों ने फैसले पर असंतोष जताया है, जबकि समर्थकों का कहना है कि यह न्याय व्यवस्था की कमजोरी को उजागर करता है।
मलयालम सिनेमा में #MeToo जैसी बहस को बल देने वाले इस मामले ने महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल उठाए। विशेषज्ञों का मानना है कि अपील की प्रक्रिया अभी बाकी है, और यह सिनेमा जगत के पावर डायनामिक्स को फिर से जांचने का मौका देगा।

