Greatre Noida । आमतौर पर कोई भी व्यक्ति हेल्थ इन्श्योरेन्स (Health insurance company) इसलिए कराता है कि अचानक किसी बिमारी से ग्रस्त होने पर अस्पतालों में रुपये देने में क्षमता ना हो। इन्श्योरेन्स कंपनियां भी प्रीमियम इसीलिए लेती है कि बेवक्त उपभोक्ताओं के साथ खड़ी रहीं, लेकिन एचडीएफसी एग्रो ने जब अस्पताल में इलाज के बाद क्लेम देने से इंकार किया तो उपभोक्ता फोरम का चाबुक चल गया। दरअसल, व्यवसायिक रूप से हेल्थ इन्श्योरेन्स का प्रीमियम लेने के बाद कंपनी जिम्मेदारी से इन्कार नहीं कर सकती है। एक केस में जिला उपभोक्ता फोरम ने बीमा कंपनी को इलाज खर्च के भुगतान का आदेश दिया है। आयोग ने बीमा कंपनी को इलाज खर्च 2.25 लाख रुपये 6 प्रतिशत सालाना ब्याज के साथ 30 दिन में भुगतान करने व 5 हजार रुपये वाद व्यय देने का आदेश दिया है।
ये है पूरा प्रकरण
इस संबंध में दादरी के गावं मकौड़ा के रहने वाले चरण सिंह ने बताया कि उन्होंने एचडीएफसी एग्रो इन्श्योरेन्स लिमिटेड में स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी ली थी। 18 अगस्त 2017 को राकेश को बुखार, खांसी और शारीरिक द कमजोरी के साथ उल्टियां हुईं। उसके बाद वह बेहोश हो गईं। उन्हें तत्काल ग्रीन सिटी अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां आपातकालीन स्थिति में आईसीयू में रखा गया। उपचार के बाद 20 अगस्त को उन्हें छुट्टी दे दी गई। उस समय तक पॉलिसी वैध थी।
अस्पताल ने इलाज के बाद पेमेंट की मांग की। बीमा कंपनी ने बाद में भुगतान करने का आश्वासन दिया। इस पर चरण सिंह ने 18 हजार रुपये जमा कर दिए। इसके बाद राकेश का उपचार नोएडा सेक्टर-50 स्थित नीओ अस्पताल में हुआ। जहां 2.25 लाख रुपये का खर्च आया। सभी दस्तावेज भेजने के बावजूद इन्श्योरेन्स धनराशि का भुगतान नहीं किया गया। इस पर चरण सिंह ने जिला उपभोक्ता आयोग में वाद दायर किया था। फोरम में सुनवाई के दौरान बीमा कंपनी ने आरोप लगाया कि शिकायतकर्ता ने कई महत्वपूर्ण तथ्यों छुपाते हुए गुराह किया था।
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