अजमेर नगर निगम ने वर्षों से चले आ रहे अवैध अतिक्रमणों के खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू कर दी, जिससे इलाके में तनाव फैल गया। दुकानदारों और स्थानीय लोगों ने जोरदार विरोध किया, पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें भी हुईं, लेकिन भारी फोर्स की मौजूदगी ने स्थिति को काबू में रखा।
नगर निगम की टीम ने दरगाह थाना पुलिस के सहयोग से अंदरकोट, अढ़ाई दिन का झोपड़ा, दिल्ली गेट, नाला बाजार, लंगर खाना जैसे संवेदनशील इलाकों में छापेमारी की। सड़कों, नालियों और गलियों पर बने अवैध चबूतरे, रैंप, अस्थाई दुकानें और निर्माण ध्वस्त कर दिए गए। अधिकारियों के मुताबिक, ये अतिक्रमण वर्षों पुराने थे और उर्स के दौरान देश-विदेश से आने वाले लाखों श्रद्धालुओं के लिए यातायात व सुरक्षा की बड़ी समस्या पैदा कर रहे थे। निगम के कार्यकारी अभियंता (एक्सईएन) धर्मेंद्र आनंद ने बताया, “उर्स मेला क्षेत्र को अतिक्रमण मुक्त बनाने के लिए यह अभियान चलाया गया है। सकरी गलियों में अवैध निर्माण से जायरीनों को परेशानी होती है। पहले नोटिस जारी किए गए थे, लेकिन कोई असर न होने पर बुलडोजर का सहारा लिया गया। कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी।”
कार्रवाई के दौरान हाहाकार मच गया। बुलडोजरों की आवाज सुनते ही सैकड़ों दुकानदार और निवासी सड़कों पर उतर आए। “हाय-हाय” के नारे लगे, तो कहीं पुलिस पर पथराव की कोशिश भी हुई। कुछ जगहों पर बहसबाजी से झड़पें हो गईं, लेकिन जिला कलेक्टर लोकबंधु, एसपी वंदिता राणा के निर्देश पर तैनात भारी पुलिस बल ने तुरंत मोर्चा संभाल लिया। लाठीचार्ज या हवाई फायरिंग की नौबत नहीं आई, फिर भी इलाके में तनाव का माहौल बना रहा। स्थानीय व्यापारियों ने आरोप लगाया कि यह कार्रवाई “योजनाबद्ध” है और उर्स को प्रभावित करने की साजिश है। एक दुकानदार ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “हमारे सालों के कब्जे एक झटके में उजाड़ दिए गए। पहले बातचीत हो सकती थी।”
जिला प्रशासन का कहना है कि यह कदम उर्स की सुरक्षा और सुगमता के लिए अनिवार्य था। ख्वाजा गरीब नवाज का उर्स 28 दिसंबर से झंडा रस्म के साथ अनौपचारिक रूप से शुरू हो जाएगा, जो 31 दिसंबर को चरम पर पहुंचेगा। हर साल लाखों की भीड़ जमा होती है, इसलिए अतिक्रमण हटाना जरूरी था। निगम ने स्पष्ट किया कि वैध दुकानों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया गया, केवल अवैध निर्माण ही निशाना बने।
यह कार्रवाई राजस्थान में चल रहे अतिक्रमण विरोधी अभियान का हिस्सा है, लेकिन अजमेर जैसे धार्मिक केंद्र में इसका राजनीतिक रंग भी चढ़ गया है। कुछ संगठनों ने इसे “सांप्रदायिक तनाव” बढ़ाने वाला बताया, जबकि प्रशासन इसे “शुद्ध प्रशासनिक कदम” बता रहा है। फिलहाल, इलाके में पुलिस की निगरानी बढ़ा दी गई है, ताकि उर्स शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो सके।

