IND vs SA: कोलकाता टेस्ट में मिली हार के बाद टीम इंडिया की खास तैयारी

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IND vs SA: कोलकाता। साउथ अफ्रीका के खिलाफ पहले टेस्ट में मिली करारी हार के बाद टीम इंडिया ने दूसरे मैच से पहले अपनी तैयारी तेज कर दी है। कोलकाता में खेले गए सीरीज के पहले मुकाबले में भारतीय टीम 124 रन के आसान लक्ष्य का पीछा करते हुए सिर्फ 93 रन पर ढेर हो गई थी। स्पिन गेंदबाजी के खिलाफ भारतीय बल्लेबाजों की कमजोरियां साफ तौर पर सामने आईं। अब 22 नवंबर से गुवाहाटी में होने वाले दूसरे टेस्ट से पहले खिलाड़ी ईडन गार्डन्स में जमकर पसीना बहा रहे हैं।

IND vs SA: साई सुदर्शन और जुरेल का एक पैडअभ्यास

मंगलवार को ईडन गार्डन्स में तीन घंटे के ऑप्शनल प्रैक्टिस सेशन में साई सुदर्शन और ध्रुव जुरेल सबसे ज्यादा चर्चा में रहे। दोनों बल्लेबाजों ने स्पिनरों के खिलाफ सिर्फ एक पैड पहनकर लंबा अभ्यास किया।

चोटिल शुभमन गिल की जगह खेलने की रेस में सबसे आगे चल रहे साई सुदर्शन ने दायां पैड उतारकर लगातार टर्न लेती गेंदों का सामना किया।

IND vs SA: आखिर एक पैड पहनकर बैटिंग क्यों?

कोचिंग स्टाफ के अनुसार, एक पैड के साथ बल्लेबाजी करने की रणनीति का मकसद है खिलाड़ी को गेंद खेलने के लिए बल्ले का इस्तेमाल करने के लिए मजबूर करना। जब बैट्समैन दोनों पैड पहने होते हैं, तो अक्सर फ्रंट पैड आगे आ जाता है और बैट पीछे रह जाता है, जिससे LBW का खतरा बढ़ता है।

पैड हटाने से खिलाड़ी चोट से बचने के लिए बैट आगे लाता है, यही वजह है कि यह ड्रिल खिलाड़ियों को टर्निंग पिचों पर तेज फैसले लेने और गेंद की लाइन पढ़ने में मदद करती है।

IND vs SA: ध्रुव जुरेल ने भी अपनाई यही रणनीति

दाएं हाथ के बल्लेबाज ध्रुव जुरेल ने रिवर्स स्वीप का अभ्यास करते हुए यह एक-पैड तकनीक अपनाई। फ्रंट पैड न होने के कारण उन्हें स्वीप शॉट खेलते समय शरीर के वजन और दाहिने पैर का पूरी तरह इस्तेमाल करना पड़ा। कोचों का मानना है कि टर्निंग विकेट पर यह तकनीक बल्लेबाजों को “रिलीज शॉट” खेलने में मदद करती है।

एक पैड पहनकर क्यों की बैटिंग?

एक पैड पहनकर बैटिंग करने की वजह है कि जब पूरी सुरक्षा होती है तो बल्लेबाज अक्सर पैड आगे ले जाते हैं और बैट पीछे ही रह जाता है। पैड में गेंद लगने से एलबीडब्ल्यू होने का खतरा बढ़ जाता है। जब पैड नहीं रहेगा तो बल्लेबाज चोट से बचने के लिए बैट आगे लेकर जाएगा। यही वजह है कि बल्लेबाज बल्ले से खेलने को कोशिश करते हैं। कोचों का मानना ​​है कि इससे उन गेंदों के खिलाफ फैसला लेने की क्षमता तेज होती है जो टर्न लेती है या फिर तेजी से उछल जाती है।

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