क्या हसीना भी उन ताकतवर नेताओं की तरह मारी जाएंगी? बांग्लादेश में ऐतिहासिक फैसला

International Crimes Tribunal News: बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल ने सोमवार को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को फांसी की सजा सुनाई है। अदालत ने उन्हें 2024 के छात्र आंदोलन के दौरान हुई हिंसक दमन की घटनाओं में मानवता के खिलाफ अपराधों का दोषी ठहराया। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जुलाई-अगस्त 2024 में हुए प्रदर्शनों के दौरान 1,400 से अधिक लोग मारे गए थे, जबकि 25,000 से ज्यादा घायल हुए।

अधिकांश मौतें सुरक्षाबलों की गोलीबारी से हुईं। यह फैसला हसीना के 15 साल के शासनकाल के अंत का प्रतीक बन गया है, जब वे अगस्त 2024 में सत्ता से हटने के बाद भारत भाग आईं।

तीन जजों की बेंच ने चार घंटे लंबे फैसले में कहा कि हसीना ने सुरक्षाबलों को प्रदर्शनकारियों पर हेलीकॉप्टर से बम गिराने का आदेश दिया था। अदालत ने उन्हें उकसावे, आदेश देने और सजा न लेने के लिए जिम्मेदार ठहराया। हसीना की अनुपस्थिति में चले मुकदमे के दौरान उनके वकील ने आरोपों को आधारहीन बताया, लेकिन अदालत ने सबूतों के आधार पर मौत की सजा का ऐलान किया। कोर्ट रूम में पीड़ित परिवारों ने तालियां बजाकर खुशी जताई।

हसीना ने फैसले को “पूर्वनिर्धारित” बताते हुए मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार पर पक्षपात का आरोप लगाया। उन्होंने ईमेल बयान में कहा, “यह एक पक्षपाती ट्रिब्यूनल का फैसला है, जो लोकतंत्र-विरोधी तत्वों का काम है।” बांग्लादेश सरकार अब भारत से हसीना की प्रत्यर्पण की मांग करेगी, लेकिन भारत ने अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। हसीना की अवामी लीग पार्टी को चुनाव लड़ने से पहले ही प्रतिबंधित कर दिया गया है, और फरवरी 2026 के संसदीय चुनावों से पहले यह फैसला राजनीतिक अस्थिरता बढ़ा सकता है।

हसीना का सफर
शेख हसीना, बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान की बेटी, ने 2009 से 2024 तक देश का नेतृत्व किया। उनके शासन में आर्थिक विकास तो हुआ, लेकिन भ्रष्टाचार, मानवाधिकार उल्लंघन और लोकतंत्र की हत्या के आरोप भी लगे। 1975 के सैन्य तख्तापलट में उनके परिवार के कई सदस्य मारे गए, जिसके बाद वे निर्वासन में रहीं। 1981 में लौटकर उन्होंने अवामी लीग को मजबूत किया। 2024 के छात्र आंदोलन ने उनकी सरकार गिरा दी, जो सरकारी नौकरियों के कोटे के खिलाफ शुरू हुआ था।

दुनिया के वो 10 ताकतवर नेता
शेख हसीना पर यह फैसला इतिहास के उन पन्नों को फिर से खोलने पर मजबूर कर देता है, जहाँ सत्ता के शिखर पर बैठे नेता फांसी के फंदे पर लटकाए गए। राजनीतिक साजिशों, तख्तापलट और युद्ध अपराधों ने कई नेताओं का अंत किया। यहां दुनिया के 10 प्रमुख नेताओं की सूची है, जिन्हें फांसी या मौत की सजा दी गई:

1. सद्दाम हुसैन (इराक): अमेरिकी आक्रमण के बाद 2006 में फांसी। दोजैल नरसंहार के लिए दोषी।

2. जुल्फिकार अली भुट्टो (पाकिस्तान): 1979 में जनरल जिया-उल-हक के शासन में हत्या के आरोप में फांसी। पाकिस्तानी लोकतंत्र का काला अध्याय।
3. मोहम्मद नजीबुल्लाह (अफगानिस्तान): 1996 में तालिबान ने क्रूरता से फांसी दी। सोवियत समर्थित शासन का अंत।
4. इमरे नागी (हंगरी): 1958 में सोवियत संघ के खिलाफ विद्रोह के लिए फांसी। बाद में राष्ट्रीय नायक घोषित।
5. हिदेकी तोजो (जापान): द्वितीय विश्व युद्ध के अपराधों के लिए 1948 में टोक्यो ट्रायल्स के बाद फांसी।
6. निकोला चाउशेस्कु (रोमानिया): 1989 की क्रांति में गिरफ्तार, क्रिसमस पर गोली मार दी गई। साम्यवाद का पतन।
7. मकसूद बिन अब्दुल अजीज (सऊदी अरब): 1975 में प्रेम संबंध विवाद में सिर कलम। शाही परिवार का कठोर फैसला।
8. निकोलस मोरोजोव (रोमानिया): 1940 में सैन्य विद्रोह के आरोप में फांसी। राजनीतिक अस्थिरता का शिकार।
9. होस्नी जैम (सीरिया): 1949 में तख्तापलट के बाद देशद्रोह में गोली मार दी गई। सत्ता का छोटा सफर।
10. अब्द अल-करीम कासिम (इराक): 1963 में तख्तापलट में गोली मारकर हत्या। आधुनिक इराक के संस्थापक।

ये उदाहरण बताते हैं कि सत्ता की ऊंचाइयां कितनी नाजुक हो सकती हैं। शेख हसीना का मामला भी इसी कड़ी का हिस्सा बन गया है, जहां न्याय और राजनीति की जंग जारी है। बांग्लादेश में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है, और अवामी लीग ने हड़ताल का ऐलान किया है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय फैसले पर नजर रखे हुए है।

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