जेल डायरी पढ़कर उठा रहा भारतीय न्याय व्यवस्था पर सीधे सवाल

New York City/Zohran Mamdani, Umar Khalid News: अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर के नवनिर्वाचित मेयर जोहरान ममदानी ने भारत में UAPA के तहत जेल में बंद कार्यकर्ता उमर खालिद के समर्थन में खुलकर आवाज उठाई है। एक वायरल वीडियो में ममदानी को खालिद की जेल से लिखी गई डायरी के अंश पढ़ते हुए देखा गया, जिसमें उन्होंने खालिद की अमानवीय कैद को लोकतंत्र पर दाग बताया। यह बयान ममदानी की हालिया जीत के ठीक बाद सामने आया है, जिससे भारतीय प्रवासी समुदाय और राजनीतिक हलकों में बहस छिड़ गई है।

ममदानी, जो भारतीय मूल के प्रगतिशील नेता हैं और मीरा नायर के बेटे हैं, ने न्यूयॉर्क के ‘हाउडी डेमोक्रेसी’ इवेंट के दौरान यह डायरी पढ़ी थी। वीडियो में वे कहते नजर आते हैं, “उमर खालिद जो अपनी आवाज उठाने की सजा भुगत रहा है, वो असल में हमारी आजादी की कीमत चुका रहा है।” उन्होंने खालिद की डायरी से उद्धरण साझा करते हुए कहा कि भारत सरकार के ‘झूठे मुकदमों’ के तहत पिछले पांच साल से बिना ट्रायल के जेल में रखा जाना न्याय व्यवस्था की विफलता है। ममदानी ने इसे ‘राज्य प्रायोजित दमन’ करार देते हुए कहा कि ऐसी कैद न केवल व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर हमला है, बल्कि पूरी सभ्यता के मूल्यों पर सवाल उठाती है।

उमर खालिद, पूर्व जेएनयू छात्रनेता, 2020 के दिल्ली दंगों से जुड़े ‘बड़े साजिश’ मामले में UAPA के तहत सितंबर 2020 से तिहाड़ जेल में बंद हैं। दिल्ली पुलिस के अनुसार, खालिद पर दंगों की साजिश रचने, व्हाट्सएप ग्रुप्स के जरिए चक्का जाम की योजना बनाने और गवाहों के बयानों के आधार पर आरोप हैं।

हालांकि, खालिद के वकील त्रिदीप पैसिस ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी है कि उनके क्लाइंट के खिलाफ कोई भौतिक सबूत नहीं है—न हथियार, न धनराशि, न ही हिंसा से सीधा जुड़ाव। खालिद ने खुद कहा, “दंगों के 751 FIR में से केवल एक में मेरा नाम है, और दंगों के दिनों मैं दिल्ली में ही नहीं था।” सुप्रीम कोर्ट में उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई 3 नवंबर को टली, जबकि अन्य सह-आरोपी जैसे नताशा नरवाल और देवांगना कलिता को 2021 में जमानत मिल चुकी है।

ममदानी का यह बयान उनकी प्रगतिशील छवि के अनुरूप है। न्यूयॉर्क मेयर चुनाव में उन्होंने किराया नियंत्रण, मुफ्त बसें और अमीरों पर टैक्स बढ़ाने जैसे वादों पर 2025 में शानदार जीत हासिल की। लेकिन भारत में यह वीडियो विवादास्पद साबित हो रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में ममदानी का मजाक उड़ाते हुए उन्हें ‘ट्रांसजेंडर अधिकारों का समर्थक’ कहा, जबकि कुछ भारतीय सोशल मीडिया यूजर्स ने इसे ‘देशद्रोही समर्थन’ करार दिया। एक्स (पूर्व ट्विटर) पर #ZohranMamdani और #UmarKhalid ट्रेंड कर रहा है, जहां एक यूजर ने लिखा, “ममदानी की जीत उमर जैसे कैदियों की आवाज की जीत है,” तो दूसरे ने कहा, “उमर के कुकर्मों ने उसे जेल पहुंचाया, ममदानी के कर्मों ने मेयर का पद।”

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी तेज हैं। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने खालिद को ‘बेकसूर’ बताया और अदालतों पर सरकार के दबाव का आरोप लगाया, जबकि बीजेपी ने इसे ‘देशविरोधी प्रचार’ कहा। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने हाल ही में कहा, “उमर जैसे आंदोलनकारियों को जेल में डालकर उनके सपनों को कुचला जा रहा है।” दूसरी ओर, दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा कि आरोपी खुद ट्रायल में देरी कर रहे हैं।

ममदानी का यह कदम भारतीय डायस्पोरा के बीच सवाल खड़ा कर रहा है—क्या अमेरिका में सफलता पाने वाले प्रवासी नेता भारत के आंतरिक मामलों पर बोलने से बचें? फिलहाल, यह वीडियो सोशल मीडिया पर लाखों व्यूज बटोर रहा है, और उमर खालिद की जमानत लड़ाई को नई गति मिल सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला भारत-अमेरिका संबंधों में मानवाधिकार मुद्दों को उभार सकता है।

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