क्या है नया लक्ष्य और इसमें क्या कमजोरी?
ईयू ने 2040 तक 1990 के स्तर से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 90% की कटौती का लक्ष्य रखा है, जो पेरिस समझौते के तहत नेट-जीरो की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। हालांकि, संदेहास्पद देशों को मनाने के लिए इसमें कई छूटें जोड़ी गईं:
• कार्बन क्रेडिट की छूट: देश अब 90% कटौती लक्ष्य के 5% हिस्से को विदेशी कार्बन क्रेडिट खरीदकर पूरा कर सकेंगे। इसका मतलब है कि वास्तविक उत्सर्जन में कमी 85% तक सीमित रह सकती है, जो पर्यावरणविदों के मुताबिक पर्याप्त नहीं है।
• 2035 का मध्यवर्ती लक्ष्य: 2035 तक उत्सर्जन में 66.25% से 72.5% की कटौती का रेंज निर्धारित किया गया, जो संयुक्त राष्ट्र द्वारा मांगे गए 2035 जलवायु योजनाओं के अनुरूप है।
• अन्य नीतिगत छूटें: ईयू की आगामी कार्बन मार्केट को 2027 के बजाय 2028 तक स्थगित कर दिया गया। इसके अलावा, कृषि और अन्य संवेदनशील क्षेत्रों के लिए नई नीतियां (जैसे मूल्य निर्धारण, मानक या सब्सिडी) लागू करने पर सहमति बनी, लेकिन ये भी लचीले रखे गए।
यह समझौता ईयू आयोग की मूल प्रस्तावना से कम महत्वाकांक्षी है, जहां 95% कटौती और सख्त बाध्यकारी लक्ष्य की बात थी। राजनीतिक स्रोतों के अनुसार, पोलैंड, इटली और अन्य पूर्वी यूरोपीय देशों ने आर्थिक प्रभावों का हवाला देकर मजबूत लक्ष्य का विरोध किया, जिसके कारण अंतिम घड़ी में समझौता कमजोर पड़ा।
पृष्ठभूमि और कारण
ईयू लंबे समय से जलवायु नेतृत्व का दावा करता रहा है, लेकिन आंतरिक मतभेदों ने इसकी प्रगति को प्रभावित किया। COP30, जो ब्राजील के बेलेम में 6 से 17 नवंबर तक चलेगा, वैश्विक स्तर पर 2035 के राष्ट्रीय जलवायु योजनाओं (NDCs) को मजबूत करने पर केंद्रित होगा। ईयू को इस समझौते की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि आयोग अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन को विश्व नेताओं के सामने एक ठोस लक्ष्य पेश करना था। विफलता ईयू की वैश्विक जलवायु भूमिका को कमजोर कर सकती थी।
वार्ताओं में देरी का मुख्य कारण ऊर्जा-गहन उद्योगों, कृषि और परिवहन क्षेत्रों पर पड़ने वाले आर्थिक बोझ की चिंताएं थीं। एक ईयू राजनयिक ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “यह समझौता सही दिशा में है, लेकिन आदर्श से कम है। हमें COP30 में मजबूत वैश्विक कार्रवाई की जरूरत है।”
प्रतिक्रियाएं: सराहना और आलोचना का मिश्रण
• ईयू आयोग: प्रवक्ता ने इसे “महत्वपूर्ण प्रगति” बताया, लेकिन जोर दिया कि यह वैश्विक प्रयासों का हिस्सा है।
• पर्यावरण समूह: ग्रीनपीस ने इसे “पीछे हटना” करार दिया, कहा कि 5% क्रेडिट छूट वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री से ऊपर ले जाएगी। WWF ने चेतावनी दी कि यह “जलवायु न्याय” को कमजोर करेगा।
• राजनीतिक प्रतिक्रियाएं: फ्रांस और जर्मनी जैसे देशों ने समर्थन जताया, जबकि पोलैंड ने इसे “व्यावहारिक” बताया। सोशल मीडिया पर, जैसे कि X (पूर्व ट्विटर) पर, यूजर्स ने इसे “नेट-जीरो धोखा” कहा, जबकि कुछ ने कृषि क्षेत्र के लिए राहत की सराहना की।
• वैश्विक प्रभाव: विकासशील देशों, खासकर भारत और ब्राजील ने ईयू से सख्त लक्ष्य की उम्मीद की थी। COP30 में यह समझौता ईयू की साख पर असर डाल सकता है।
निहितार्थ: COP30 और आगे की राह
यह समझौता ईयू को COP30 में एक मजबूत स्थिति देता है, लेकिन कमजोरियां वैश्विक दबाव को कम कर सकती हैं। संयुक्त राष्ट्र ने सभी देशों से 2035 योजनाएं जमा करने को कहा है, और ईयू का यह कदम अन्य विकसित देशों के लिए बेंचमार्क बनेगा। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि बिना सख्त प्रवर्तन के, 2040 का 90% लक्ष्य हवा-हवाई साबित हो सकता है।
ईयू अब औपचारिक अनुमोदन की प्रक्रिया में है, जो दिसंबर में होने वाली परिषद बैठक में पूरा होगा। जलवायु कार्यकर्ता आशा कर रहे हैं कि COP30 में ब्राजील और अन्य मेजबान देश ईयू को और मजबूत प्रतिबद्धताओं के लिए दबाव बनाएं।

