IIT Kharagpur News: आईआईटी खड़गपुर के निदेशक प्रो. सुमन चक्रवर्ती ने संस्थान के 75वें स्थापना दिवस पर ‘आइडिया एक्सचेंज’ कार्यक्रम में कहा कि आईआईटीयन को नौकरी की तलाश करने वाले (जॉब सीकर्स) से नौकरी सृजन करने वाले (जॉब क्रिएटर्स) की सोच अपनानी होगी। उन्होंने कहा कि आईआईटी ने वैश्विक स्तर पर तकनीकी शिक्षा का मजबूत ब्रांड बनाया है, लेकिन अब राष्ट्र-निर्माण और उद्यमिता को प्राथमिकता देनी होगी।
शिक्षा में क्षेत्रीय भाषाओं का विस्तार
प्रो. चक्रवर्ती ने एनपीटीईएल (नेशनल प्रोग्राम ऑन टेक्नोलॉजी एन्हांस्ड लर्निंग) के जरिए शिक्षा को लोकतांत्रिक बनाने पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि जल्द ही बांग्ला में पायलट प्रोजेक्ट शुरू होगा, जिसमें आईआईटी खड़गपुर के सर्वश्रेष्ठ शिक्षक कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) जैसे विषयों को क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाएंगे।
“अंग्रेजी पेशेवर काम के लिए ठीक है, लेकिन प्रतिभाशाली छात्र को अपनी मातृभाषा में सीखने में कोई शर्म नहीं होनी चाहिए।”
मानसिक स्वास्थ्य: आईआईटी छात्रों की बड़ी चुनौती
निदेशक ने खुलासा किया कि 80% छात्र माता-पिता के दबाव में आईआईटी आते हैं। कोचिंग सेंटरों की एक आयामी तैयारी और ‘रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट’ (आरओआई) की सोच छात्रों पर भारी पड़ रही है।
• समाधान: आईआईटी खड़गपुर ने कैंपस में मनोवैज्ञानिकों की टीम तैनात की है।
• नया ऐप: ‘सेतु’ ऐप छात्रों की मानसिक स्थिति पर नजर रखेगा।
• सुझाव: स्कूल स्तर से ही ग्रुप वर्क, जीवन कौशल और भावनात्मक बुद्धि (ईक्यू) पर ध्यान देना होगा।
कोविड से प्रेरित तकनीक अब टीबी निदान में
कोविड के दौरान विकसित ‘कोवीरैप’ डिवाइस अब टीबी और दवा प्रतिरोध की जांच के लिए तैयार है।
• स्मार्टफोन ऐप से रंगीन सिग्नल का विश्लेषण।
• कम प्रशिक्षण में कोई भी इस्तेमाल कर सकता है।
• अमेरिकी पेटेंट प्राप्त, अब आईसीएमआर और डीएसआईआर के साथ सहयोग।
लैब से बाजार तक: उद्यमिता की कमी
प्रो. चक्रवर्ती ने स्वीकार किया कि शोध को बाजार तक पहुंचाने में असफलता का कारण है:
1. शिक्षकों का अहंकार – “हम आइंस्टीन या मैडम क्यूरी समझते हैं।”
2. उद्योग की संकीर्ण सोच – तुरंत मुनाफे की चाहत।
3. समाधान: शुरुआत से ही उद्योग भागीदार को शामिल करना।
विदेशी और एनआरआई फैकल्टी की वापसी
ट्रंप प्रशासन के दबाव के बीच भारत सरकार ‘स्टार फैकल्टी’ वापसी योजना बना रही है। प्रो. चक्रवर्ती ने कहा:
“वेतन से ज्यादा जरूरी है शोध वातावरण और स्वायत्तता।”
एमआईटी से एक प्रोफेसर अगले साल आईआईटी खड़गपुर में पढ़ाएंगे।
स्वायत्तता और राजनीतिक प्रभाव
आईआईटी पूरी तरह सरकारी फंड पर चलते हैं, फिर भी निदेशक ने दावा किया:
“हमारे पास अपार स्वायत्तता है, लेकिन हम खुद निर्णय लेने से डरते हैं।”
समाधान: पूर्व छात्रों से एंडोमेंट फंड, उद्योग सहयोग और राजस्व सृजन।
करियर मैपिंग की कमी
सुंदर पिचाई (गूगल सीईओ) ने मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग की, लेकिन तकनीक की दुनिया में छा गए।
“छात्र का भविष्य उसकी ब्रांच से नहीं, बल्कि सही करियर मार्गदर्शन से तय होता है।”
प्रो. चक्रवर्ती ने अंत में कहा, “अगले 75 साल आईआईटी के लिए राष्ट्र-निर्माण, उद्यमिता और समावेशी शिक्षा के होंगे।”

