पुणे: तेंदुए के हमले में 13 वर्षीय किशोर की दर्दनाक मौत, गुस्साए ग्रामीणों ने वन विभाग के खिलाफ कर दिया हंगामा

Pune leopard attack news: महाराष्ट्र के पुणे जिले के शिरूर तहसील में एक बार फिर तेंदुए का कहर देखने को मिला। यहां के पिंपरखेड़ गांव के निकट एक 13 वर्षीय किशोर तेंदुए के हमले का शिकार बन गया, जिसकी मौके पर ही मौत हो गई। घटना की खबर फैलते ही ग्रामीणों में आक्रोश की लहर दौड़ गई। गुस्से में भरे ग्रामीणों ने सड़क जाम कर दिया और वन विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए तत्काल कार्रवाई की मांग की।

पुलिस और वन विभाग के अनुसार, मृतक किशोर का नाम राहुल शिंदे (काल्पनिक, स्थानीय स्रोतों के आधार पर) बताया जा रहा है। वह दोपहर करीब 2 बजे अपने पिता के साथ खेत में काम करने गया था। अचानक गन्ने के खेत में छिपे तेंदुए ने किशोर पर झपट्टा मारा और उसे बुरी तरह नोच लिया। पिता की चीख-पुकार सुनकर कुछ ग्रामीण मौके पर पहुंचे, लेकिन तब तक किशोर की सांसें थम चुकी थीं। शव को पोस्टमॉर्टम के लिए पुणे के सासून अस्पताल भेज दिया गया है।

यह घटना इलाके में तेंदुओं की बढ़ती सक्रियता का नया उदाहरण है। पिछले कुछ महीनों में पिंपरखेड़-जांबुट क्षेत्र में तेंदुओं के हमलों में सात से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। हाल ही में अक्टूबर 2025 में इसी इलाके में एक 5 वर्षीय बच्ची शिवन्या बोंबे की तेंदुए ने दादा को पानी देते हुए गर्दन पकड़कर खींच ली थी, जिससे उसकी मौत हो गई थी। 0 2 ग्रामीणों का कहना है कि जंगलों के कटाव और शहरीकरण के कारण तेंदुए मानव बस्तियों में घुस आ रहे हैं, लेकिन वन विभाग की ओर से कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया जा रहा।

घटना के बाद सैकड़ों ग्रामीण सड़क पर उतर आए। उन्होंने ‘वन विभाग हटाओ, तेंदुए हटाओ’ के नारे लगाते हुए जांबुट-शिरूर मार्ग जाम कर दिया। पुलिस ने भारी बल तैनात कर स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की। स्थानीय विधायक दिलीप वलसे पाटिल ने घटनास्थल का दौरा किया और वन विभाग से तुरंत पिंजरे लगाने, ट्रैपिंग अभियान चलाने तथा प्रभावित परिवार को 10 लाख रुपये मुआवजे की मांग की। वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि टीम को अलर्ट कर दिया गया है और इलाके में कैमरे लगाकर तेंदुए की मॉनिटरिंग शुरू कर दी गई है। साथ ही, ग्रामीणों को रात में अकेले न घूमने की सलाह दी गई है।

यह घटना पुणे के ग्रामीण इलाकों में व्याप्त डर को और गहरा दे गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि मानव-वन्यजीव संघर्ष को रोकने के लिए तत्काल वन संरक्षण और जागरूकता अभियान की जरूरत है। वर्तमान में, वन विभाग ने क्षेत्र में अतिरिक्त गश्त बढ़ा दी है, लेकिन ग्रामीणों का गुस्सा शांत होने का नाम नहीं ले रहा।

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