केस का बैकग्राउंड: बलात्कार का आरोप और सुसाइड नोट
सतारा जिले के फलटण में 24 वर्षीय महिला डॉक्टर संपदा मुंडे ने 24 अक्टूबर को कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी। उनके सुसाइड नोट में एक पुलिस सब-इंस्पेक्टर पर बलात्कार और लगातार उत्पीड़न का आरोप लगाया गया था। डॉक्टर ने अपने हाथ की हथेली पर भी आरोपी का नाम लिखा था, जो घटना स्थल पर मिला। आरोपी सब-इंस्पेक्टर ने कल सरेंडर कर दिया है, और पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, डॉक्टर पर BJP से जुड़े प्रभावशाली लोगों द्वारा भ्रष्टाचार में लिप्त होने का दबाव भी डाला गया था।
नया ट्विस्ट: बेटी की फर्जी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट पर साइन
आज मामले में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। सतारा की रहने वाली भाग्यश्री मराठी पचांगे (या भाग्यश्री पचंगने) नाम की महिला ने दावा किया है कि डॉक्टर संपदा मुंडे ने उनकी 19 वर्षीय बेटी दीपाली की मौत की फर्जी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट तैयार की थी। भाग्यश्री के अनुसार, उनकी बेटी की मौत वास्तव में सुसाइड थी, लेकिन रिपोर्ट में इसे ‘स्वाभाविक मौत’ (नेचुरल डेथ) बता दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि डॉक्टर पर राजनीतिक दबाव डाला गया था, जिसमें BJP से जुड़े कुछ लोगों का हाथ था, ताकि मामला दब जाए। भाग्यश्री ने कहा, “डॉक्टर ने मेरी बेटी की नकली रिपोर्ट पर साइन किए थे। वह खुद भी इस दबाव से परेशान थीं।” यह आरोप सामने आने के बाद पुलिस ने मामले की नई जांच शुरू कर दी है, और पूर्व सांसद का नाम भी चर्चा में आ गया है।
राहुल गांधी का बयान: ‘ये आत्महत्या नहीं, संस्थागत हत्या है’
कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने इस मामले पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर तीखा प्रहार किया है। उन्होंने लिखा, “महाराष्ट्र के सतारा में बलात्कार और उत्पीड़न से तंग आकर डॉ. संपदा मुंडे की आत्महत्या किसी भी सभ्य समाज की अंतरात्मा को झकझोर देने वाली त्रासदी है। एक होनहार डॉक्टर बेटी, जो दूसरों का दर्द मिटाने की आकांक्षा रखती थी, भ्रष्ट सत्ता और तंत्र में बैठे अपराधियों की प्रताड़ना का शिकार बन गई।” राहुल ने आगे कहा, “जिसे अपराधियों से जनता की रक्षा की ज़िम्मेदारी दी गई थी, उसी ने इस मासूम के खिलाफ़ सबसे घिनौना अपराध किया – उसके साथ बलात्कार और शोषण किया। रिपोर्ट्स के अनुसार, BJP से जुड़े कुछ प्रभावशाली लोगों ने उस पर भ्रष्टाचार का दबाव डालने की कोशिश भी की। सत्ता संरक्षित आपराधिक विचारधारा का ये सबसे घिनौना उदाहरण है। यह आत्महत्या नहीं – संस्थागत हत्या है।” उन्होंने BJP सरकार को ‘अमानवीय और संवेदनहीन’ बताते हुए कहा, “जब सत्ता अपराधियों की ढाल बन जाए, तो न्याय की उम्मीद किससे की जाए? हम न्याय की इस लड़ाई में पीड़ित परिवार के साथ मज़बूती से खड़े हैं। भारत की हर बेटी के लिए – अब डर नहीं, न्याय चाहिए। #JusticeForDrSampada।”
राहुल का यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, और कई अन्य नेता व कार्यकर्ताओं ने इसे रीपोस्ट किया है।
राजनीतिक हलचल तेज, जांच की मांग
मामले ने महाराष्ट्र की राजनीति को गरमा दिया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि दोषियों को सख्त सजा दी जाएगी, लेकिन विपक्ष इसे ‘सत्ता संरक्षण’ बता रहा है। कांग्रेस ने राज्यव्यापी प्रदर्शन की चेतावनी दी है। पुलिस ने फर्जी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट की जांच के लिए विशेष टीम गठित की है, और पूर्व सांसद सहित संदिग्धों पर नजर रखी जा रही है।
यह घटना महिलाओं की सुरक्षा और न्याय व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रही है। डॉक्टर संपदा की मौत न केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी है, बल्कि सिस्टम की विफलता का प्रतीक बन गई है। पीड़ित परिवार न्याय की प्रतीक्षा कर रहा है, और पूरे देश की नजर इस केस पर टिकी हुई है।

