नारेबाजी की आवाज सुनकर केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद बाहर आए। उन्होंने पटवारी और कुछ किसान प्रतिनिधियों को अंदर बुलाया और किसानों की समस्याओं पर चर्चा की। पटवारी ने बाद में सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, “आज केंद्रीय कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी के भोपाल निवास पर किसान भाइयों के साथ पहुंचे। किसानों की पीड़ा बताई। खाद, बीज, उचित मूल्य न मिलने से किसान परेशान हैं। उम्मीद है जल्द समाधान होगा।”
इस प्रदर्शन पर भाजपा ने तीखा प्रहार किया। प्रदेश भाजपा प्रमुख हेमंत खंडेलवाल ने पटवारी पर निशाना साधते हुए कहा, “यह कोई जिम्मेदार नेता का काम नहीं है। बिना सूचना के मंत्री के घर धावा बोलना अराजकता है। सोयाबीन की बात करने गए, लेकिन गेहूं की बोरी ले आए। यह सियासी स्टंट मात्र है।”
खंडेलवाल ने यह भी आरोप लगाया कि पटवारी की जेब में लगे माइक से सुरक्षा का खुलासा होता रहा, जो गैर-जिम्मेदाराना था।
प्रदर्शन के बाद पुलिस ने पटवारी, पूर्व मंत्री मुकेश नायक और दो दर्जन अज्ञात समर्थकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की, जिसमें बिना अनुमति धरना देने का आरोप लगाया गया। कांग्रेस ने इसे दमनकारी कदम बताते हुए केंद्र और राज्य सरकार पर किसान-विरोधी होने का इल्जाम लगाया। पटवारी ने चेतावनी दी कि अगर मांगें पूरी नहीं हुईं, तो वे सोयाबीन की बोरी लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने दिल्ली जाएंगे।
यह घटना मध्य प्रदेश में किसानों की लंबे समय से चली आ रही समस्याओं—जैसे खाद-बीज की कमी, कम एमएसपी और फसल खराब होने—को उजागर करती है। विशेषज्ञों का मानना है कि आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए यह सियासी बिसात बिछाने का प्रयास हो सकता है। वायरल वीडियो में पटवारी का बोरी लादे नारेबाजी करते कदम सोशल मीडिया पर बहस का विषय बन गया है, जहां कुछ इसे किसान हित की लड़ाई बता रहे हैं तो कुछ सियासी ड्रामा।

