2008 मालेगांव बम विस्फोट मामले में बरी होने के बाद लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित को कर्नल पदोन्नति

Lieutenant Colonel Purohit promoted to Colonel: भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित को 2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले में बरी होने के बाद पूर्ण कर्नल के पद पर पदोन्नत किया गया है। यह पदोन्नति 17 वर्षों की लंबी कानूनी जंग के बाद मिली न्याय की जीत का प्रतीक माना जा रहा है, जिसमें पुरोहित को आतंकवाद के झूठे आरोपों में फंसाया गया था। सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पुरोहित की पदोन्नति आज (25 सितंबर) औपचारिक रूप से पूरी हुई, जिसमें सहयोगी अधिकारियों की मौजूदगी में उन्हें नई पदवी चिह्न प्रदान किए गए।

मामले की पृष्ठभूमि
29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव शहर में एक मस्जिद के पास मोटरसाइकिल से बंधे बम के विस्फोट में छह लोगों की मौत हो गई थी और 101 से अधिक लोग घायल हुए थे। महाराष्ट्र एंटी-टेररिज्म स्क्वायड (एटीएस) ने नवंबर 2008 में पुरोहित को गिरफ्तार किया, जो उस समय सैन्य खुफिया विभाग में लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर तैनात थे। उन पर आरडीएक्स विस्फोटक की आपूर्ति करने, बम बनाने में साजिश रचने और ‘अभिनव भारत’ संगठन के माध्यम से हिंदू चरमपंथी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप लगाए गए। यह पहला मौका था जब किसी सेवारत सेना अधिकारी पर आतंकवाद से जुड़े मामले में आरोप लगाया गया।

पुरोहित ने अपनी सफाई में कहा था कि उनकी गिरफ्तारी उनकी गुप्त खुफिया कार्रवाई से जुड़ी थी, जिसमें सेना के उच्च अधिकारियों के निर्देश पर वे आतंकवादी नेटवर्क में घुसपैठ कर रहे थे। 2011 में मामला एनआईए को सौंपा गया। पुरोहित ने लगभग नौ वर्ष जेल में बिताए और 2017 में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद सेना में बहाल हो गए, लेकिन मुकदमे के दौरान पदोन्नति रुकी रही। एनआईए की विशेष अदालत ने 31 जुलाई 2025 को पुरोहित समेत सातों आरोपी—जिनमें पूर्व बीजेपी सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर भी शामिल थीं—को सभी आरोपों से बरी कर दिया। अदालत ने पाया कि पुरोहित पर लगाए गए आरडीएक्स जुटाने या बम बनाने के आरोपों का कोई सबूत नहीं था, और उनके वित्तीय लेन-देन व्यक्तिगत खर्चों (जैसे घर निर्माण और एलआईसी पॉलिसी) से जुड़े थे।

पदोन्नति के बाद केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पुरोहित को बधाई दी। उन्होंने लिखा, “कर्नल पुरोहित को यूनिफॉर्म में वापस लौटने पर बधाई। सरकार साहस और ईमानदारी से राष्ट्रसेवा करने वाले देशभक्तों के साथ दृढ़ता से खड़ी है।” बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि 17 वर्षों की उत्पीड़न और आठ वर्ष जेल में बिना सबूत के रखे जाने के बावजूद पुरोहित को मेजर जनरल पदोन्नति से वंचित रखा गया, जो कांग्रेस की ‘एंटी-हिंदू’ एजेंडे की देन है। उन्होंने राहुल गांधी पर तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस ने तुष्टिकरण को प्राथमिकता दी, जबकि राष्ट्रीय गौरव को नजरअंदाज किया।

पुरोहित ने एनडीटीवी को दिए बयान में कहा, “मैंने कुछ का आरोप झेला और अब बरी हो गया हूं, अब पुरानी बातें भूल जानी चाहिए। भारतीय सेना का धन्यवाद, जो अपने सैनिकों का हाथ थामे रखती है। मेरी कानूनी टीम ने प्रो बोनो लड़ाई लड़ी, मैं उनका हमेशा ऋणी रहूंगा।” सैन्य स्रोतों से मिली जानकारी के अनुसार, बिना इस रुकावट के पुरोहित 25-30 वर्ष की सेवा के बाद मेजर जनरल बन सकते थे, लेकिन अब वे मार्च 2026 में कर्नल के पद से रिटायर होंगे। यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा, राजनीतिक हस्तक्षेप और सैन्य न्याय के मुद्दों पर बहस छेड़ रहा है, जहां पुरोहित की कहानी एक सैनिक की दृढ़ता का प्रतीक बनी हुई है।

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