Punjab floods devastate news: पंजाब में इस साल आई बाढ़ को 1988 के बाद की सबसे विनाशकारी आपदा माना जा रहा है, जहां भारी बारिश, बांधों से पानी छोड़े जाने और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव ने लाखों लोगों को प्रभावित किया। लेकिन इस संकट में ग्लोबल सिख्स नामक एनजीओ ने सबसे अधिक मदद पहुंचाई, न केवल बाढ़ के दौरान बल्कि पानी उतरने के बाद भी निरंतर सहायता प्रदान कर रही है। इस संगठन के कार्यशैली से अन्य राज्यों को सबक लेना चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी आपदाओं से बेहतर तरीके से निपटा जा सके।
बाढ़ की भयावहता और ग्लोबल सिख्स का योगदान
पंजाब में अगस्त-सितंबर 2025 में आई बाढ़ ने सूतलेज, ब्यास और रावी नदियों के इलाकों को बुरी तरह प्रभावित किया, जिसमें फाजिल्का, गुरदासपुर और हिमाचल प्रदेश से आने वाले पानी ने तबाही मचाई। सरकारी रिपोर्ट्स के अनुसार, 2 लाख हेक्टेयर से अधिक फसलें नष्ट हुईं, सैकड़ों मौतें हुईं और करोड़ों का नुकसान हुआ। ऐसे में ग्लोबल सिख्स ने तत्काल राहत कार्य शुरू किए। संगठन की टीमों ने बाढ़ प्रभावित गांवों में नावों से बचाव अभियान चलाया, भोजन, दवाइयां और पानी पहुंचाया। एक पोस्ट में बताया गया कि सिख संगठनों ने 500 करोड़ रुपये की सहायता का वादा किया, जिसमें घरों की मरम्मत, खेतों की सफाई और तटबंधों को मजबूत करना शामिल है।
एनजीओ की वेबसाइट के अनुसार, ग्लोबल सिख्स एक वैश्विक मानवीय संगठन है जो आपदा राहत, बाढ़ सहायता और सामुदायिक सेवा में सक्रिय है। फेसबुक और इंस्टाग्राम पोस्ट्स से पता चलता है कि उन्होंने गुरदासपुर में 2 चरणों में राहत कार्य शुरू किया, जहां टीमों ने प्रभावित क्षेत्रों का विस्तृत आकलन किया और डीवाटरिंग पंप उतारे। इसके अलावा, मशहूर गायक दिलजीत दोसांझ और उनकी सांझ फाउंडेशन ने ग्लोबल सिख्स के साथ मिलकर गांवों का दौरा किया और लंबी अवधि की पुनर्वास योजनाएं तैयार कीं।
ग्लोबल सिख्स की कार्यशैली: व्यवस्थित और पेशेवर दृष्टिकोण
ग्लोबल सिख्स का काम करने का तरीका अन्य एनजीओ और सरकारी एजेंसियों के लिए एक मिसाल है। उन्होंने एक पूर्ण इकोसिस्टम विकसित किया है, जिसमें:
• बचाव और सर्वेक्षण: बाढ़ के दौरान नावों, भोजन और दवाइयों के साथ ग्राउंड पर मौजूद रहना।
• भंडारण और वितरण: गोदामों से सामग्री का व्यवस्थित वितरण, जैसे पशु चारे की बड़े पैमाने पर सप्लाई।
• पारदर्शिता और समन्वय: एसजीपीसी जैसे संगठनों के साथ मिलकर सेल्फ-प्रमोशन से बचना, डुप्लीकेशन रोकना और जरूरतमंदों तक सटीक मदद पहुंचाना। उन्होंने सरबत दा भला के सिख सिद्धांत पर काम किया, जहां सेवा बिना नाम या प्रसिद्धि के की जाती है।
• लंबी अवधि की योजना: पानी उतरने के बाद पुनर्वास, जैसे घरों की मरम्मत और कृषि भूमि की बहाली।
यह पेशेवर संकट प्रबंधन है, जहां सरकारी एजेंसियां भी नोट्स ले सकती हैं। अन्य सिख संगठनों जैसे यूनाइटेड सिख्स और खालसा एड ने भी इसी तरह काम किया, लेकिन ग्लोबल सिख्स की पहुंच सबसे व्यापक रही।
अन्य राज्यों के लिए सबक
पंजाबियों ने इस बाढ़ को अच्छे से हैंडल किया क्योंकि सिख समुदाय की सेवा भावना और एनजीओ की सक्रियता ने सरकारी प्रयासों को पूरक बनाया। जलवायु परिवर्तन के कारण ऐसी बाढ़ें अब अधिक लगातार होंगी, जैसा कि विशेषज्ञों का कहना है। अन्य राज्य, जैसे बिहार, असम या उत्तर प्रदेश, इनसे सीख सकते हैं:
• समन्वित प्रयास: एनजीओ और सरकार का एक पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन, ट्रैकिंग और जरूरतों का आकलन।
• जलवायु अनुकूलन: हाइड्रोमेट सेवाएं, सीमा पार चेतावनी और मजबूत बुनियादी ढांचा।
• समुदाय आधारित सेवा: सेल्फलेस सेवा की भावना, जहां हर कोई योगदान दे।
• लंबी दृष्टि: केवल तत्काल राहत नहीं, बल्कि पुनर्निर्माण पर फोकस।
यूनाइटेड सिख्स यूके की फंडरेजिंग जैसी पहल दिखाती हैं कि वैश्विक समर्थन कैसे जुटाया जा सकता है। अगर अन्य राज्य इस मॉडल को अपनाएं, तो आपदाएं कम विनाशकारी होंगी।
पंजाब की इस सफलता से साबित होता है कि एकजुटता और व्यवस्थित दृष्टिकोण से कोई भी संकट पार किया जा सकता है। ग्लोबल सिख्स जैसी संस्थाएं न केवल मदद पहुंचाती हैं, बल्कि प्रेरणा भी देती हैं।
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