Donald Trump/Tariff War News: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत, कनाडा, और मेक्सिको जैसे देशों पर लगाए गए अतिरिक्त टैरिफ को लेकर चल रहे विवाद को अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट तक ले जाने का फैसला किया है। यह कदम तब उठाया गया है, जब अमेरिकी अपील कोर्ट ने ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाए गए कुछ टैरिफ को गैरकानूनी करार दिया, जिसमें यह तर्क दिया गया कि राष्ट्रपति को आपातकालीन शक्तियां दी गई हैं, लेकिन इसमें टैरिफ या टैक्स लगाने का अधिकार शामिल नहीं है। इस खबर ने वैश्विक व्यापार और आर्थिक नीतियों पर व्यापक चर्चा को जन्म दिया है, विशेष रूप से भारत जैसे देशों के लिए, जो इन टैरिफ से सीधे प्रभावित हो रहे हैं।
टैरिफ का मुद्दा
ट्रंप प्रशासन ने अगस्त 2025 में भारत से आयातित वस्तुओं पर अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की थी, जिसे 27 अगस्त से दोगुना कर 50% करने का नोटिस जारी किया गया। इन टैरिफ का उद्देश्य कथित तौर पर रूस और चीन के साथ व्यापार करने वाले देशों को दबाव में लाना था। ट्रंप ने दावा किया कि यह कदम अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और राष्ट्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। हालांकि, इस फैसले की अमेरिका में ही कड़ी आलोचना हो रही है। विशेषज्ञों और राजनीतिक नेताओं ने इसे वैश्विक व्यापार के लिए हानिकारक और गैरकानूनी बताया है।
अमेरिकी अपील कोर्ट के हालिया फैसले ने ट्रंप के टैरिफ को चुनौती दी, जिसमें कहा गया कि राष्ट्रपति के पास टैरिफ लगाने की शक्ति सीमित है और यह कदम व्यापार नियमों का उल्लंघन करता है। इस फैसले के बाद ट्रंप प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का निर्णय लिया, जिससे यह मामला अब और जटिल हो गया है।
भारत पर प्रभाव
भारत, जो अमेरिका का एक प्रमुख व्यापारिक साझेदार है, इन टैरिफ से सीधे प्रभावित हो रहा है। भारत से अमेरिका को निर्यात होने वाली वस्तुओं, जैसे कि फार्मास्यूटिकल्स, कपड़ा, ऑटोमोबाइल पार्ट्स, और तकनीकी उत्पादों पर अतिरिक्त शुल्क से भारतीय निर्यातकों को भारी नुकसान हो सकता है। भारतीय वाणिज्य मंत्रालय ने इस कदम को “अनुचित” करार देते हुए कहा है कि यह विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों का उल्लंघन करता है। भारत ने जवाबी कार्रवाई के रूप में अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाने की संभावना जताई है, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार युद्ध की आशंका बढ़ गई है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर इस मुद्दे को लेकर भारतीय उपयोगकर्ताओं ने तीखी प्रतिक्रियाएं दी हैं। एक यूजर @SputnikHindi ने लिखा, “अमेरिकी टैरिफ का मकसद भारत को घुटने टेकने पर मजबूर करना है, लेकिन भारत अपनी आर्थिक संप्रभुता की रक्षा मजबूती से करेगा।” इसी तरह, @TheBahubali_IND ने टिप्पणी की, “ट्रंप को बड़ा झटका, अपील कोर्ट ने उनके टैरिफ को गैरकानूनी बताया।”
वैश्विक परिप्रेक्ष्य
ट्रंप के टैरिफ केवल भारत तक सीमित नहीं हैं। कनाडा और मेक्सिको जैसे अन्य देश भी इन नीतियों से प्रभावित हो रहे हैं। कनाडा ने पहले ही जवाबी टैरिफ की धमकी दी है, जबकि मेक्सिको ने इस मामले को WTO में उठाने की बात कही है। वैश्विक स्तर पर विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के एकतरफा टैरिफ वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को बाधित कर सकते हैं और मुद्रास्फीति को बढ़ा सकते हैं। विशेष रूप से, विकासशील देशों पर इसका प्रभाव अधिक गंभीर हो सकता है, क्योंकि वे अमेरिकी बाजार पर काफी हद तक निर्भर हैं।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की संभावना
ट्रंप प्रशासन का सुप्रीम कोर्ट में अपील करना इस विवाद को एक नया मोड़ देता है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में यह तय करेगा कि क्या राष्ट्रपति के पास व्यापक टैरिफ लगाने की शक्ति है या नहीं। यह मामला न केवल व्यापार नीतियों को प्रभावित करेगा, बल्कि अमेरिकी संविधान के तहत कार्यकारी शक्तियों की सीमा को भी परिभाषित करेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला वैश्विक व्यापार के भविष्य को आकार दे सकता है।
भारत की रणनीति
भारत सरकार इस मामले में सतर्कता बरत रही है। वाणिज्य मंत्रालय ने कहा है कि वह अमेरिका के साथ बातचीत के जरिए इस मुद्दे को सुलझाने की कोशिश करेगा, लेकिन साथ ही जवाबी कार्रवाई के लिए भी तैयार है। भारत ने पहले भी अमेरिकी टैरिफ के जवाब में स्टील और एल्यूमीनियम जैसे उत्पादों पर अतिरिक्त शुल्क लगाए थे। इसके अलावा, भारत अन्य देशों के साथ मिलकर WTO में इस मामले को उठाने पर विचार कर रहा है।
निष्कर्ष
ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाए गए टैरिफ और इसे सुप्रीम कोर्ट तक ले जाने का फैसला वैश्विक व्यापार में एक नया तनाव पैदा कर रहा है। भारत, जो अपनी आर्थिक संप्रभुता और निर्यात बाजार की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है, इस मामले में सख्त रुख अपना सकता है। सुप्रीम कोर्ट का आगामी फैसला न केवल अमेरिकी व्यापार नीतियों को प्रभावित करेगा, बल्कि भारत और अन्य देशों के साथ इसके संबंधों पर भी दीर्घकालिक असर डालेगा। इस बीच, वैश्विक समुदाय इस मामले पर बारीकी से नजर रखे हुए है, क्योंकि इसका प्रभाव विश्व अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है।

