प्रो. हृदयेश प्रकाश ने क्षय रोग के इलाज के लिए, एक अग्रणी चिकित्सा पद्धति का किया आविष्कार

Amity Scientists News: एमिटी विश्वविद्यालय के एमिटी सेंटर फॉर ट्रांसलेशनल रिसर्च के उप निदेशक, प्रो. हृदयेश प्रकाश ने आईसीएमआर, एनजेएलओएमडी आगरा और एम्स के साथ मिलकर क्षय रोग (टीबी), विशेष रूप से बहुऔषधी प्रतिरोधी टीबी (एमडीआर-टीबी) से निपटने के लिए एक अग्रणी चिकित्सा पद्धति का अविष्कार किया है। उन्होंने क्षय रोग के नियंत्रण के लिए टीबी-विशिष्ट न्यूट्रास्युटिकल विकसित किया है, जो देश में अपनी तरह र्का प्रथम है और जिसे नियामक निकायों द्वारा आधिकारिक रूप से अनुमोदित किया गया है। यह नवाचार एक मील का पत्थर है और सरकार के टीबी मुक्त मिशन-2025 के लक्ष्यों को पूरा करने में सहायक है।

अपने नवाचार के संर्दभ में बताते हुए, प्रो. हृदयेश प्रकाश ने कहा कि एटीएलएस-पीए 2021, जिसमें दो अणु एल-सेरीन और पामिटॉयल को-ए शामिल हैं, दो अलग-अलग समय पर दिए जाते हैं, एक अभिनव क्षय रोग-रोधी सहायक चिकित्सा है जिसे विशेष रूप से बहुऔषधी प्रतिरोधी टीबी (एमडीआर-टीबी) के संर्दभ में मौजूदा क्षय रोग-रोधी दवाओं की प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि एटीएलएस-पीए 2021 एक स्फिंगोलिपिड मिमिक है जो सीधे माइकोबैक्टीरिया को मारता है, नाइट्रिक ऑक्साइड उत्पन्न करता है और हाइपोक्सिया जैसी प्रतिक्रिया को ठीक करता है जो माइकोबैक्टीरिया को प्रभावी ढंग से मारने और फेफड़ों से उनके निष्कासन के लिए महत्वपूर्ण हैं। सबसे दिलचस्प बात यह है कि एटीएलएस/पीए2021, एमडीआर टीबी को पारंपरिक टीबी-रोधी दवाओं के प्रति संवेदनशील बनाता है।

प्रो प्रकाश ने इस बात पर ज़ोर दिया कि एटीएलएस-पीए 2021 का पेटेंट कराया गया है और टीबी नवाचार शिखर सम्मेलनों में इसे एक आशाजनक मेजबान-निर्देशित चिकित्सा के रूप में प्रदर्शित किया गया है। इस परियोजना का उद्देश्य चरण प् एंव प्प् परीक्षणों में टीबी रोगियों में थूक रूपांतरण दर में सुधार और इलाज दर को कम करने की इसकी क्षमता का परीक्षण करना है, जो उनकी टीम अभी कर रही है। एक मजबूत वैज्ञानिक आधार और एमडीआर-टीबी के बेहतर उपचार की सख्त आवश्यकता के साथ, एटीएलएस-पीए 2021 एक सुरक्षित, प्रभावी और नवीन सहायक चिकित्सा का प्रतिनिधित्व करता है, जो न केवल भारत में बल्कि विश्व स्तर पर भी बेहतर टीबी नियंत्रण और प्रबंधन का मार्ग प्रशस्त करता है। इय अविष्कार से टीबी के इलाज में इस सफलता से टीबी के खिलाफ लड़ाई में क्रांति आने की संभावना है, जो न केवल देश में बल्कि दुनिया भर में मरीजों के लिए नई उम्मीद जगाएगी। टीम को टीबी रोगियों के समूह के साथ बहु-केंद्रित नैदानिक परीक्षण/अध्ययन और टीबी के लिए स्टार्टअप स्थापित करने के लिए सीडीएससीओ से जल्द ही मंजूरी मिलने की उम्मीद है।

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