UP News: उत्तर प्रदेश में PWD (लोक निर्माण विभाग) में भ्रष्टाचार के मामले समय-समय पर सामने आते रहे हैं। विभिन्न सरकारों के कार्यकाल में इन घोटालों की जांच हुई है और कई अधिकारियों पर कार्रवाई भी की गई है। योगी सरकार में भी अब पीडब्ल्यूडी विभाग पर कई गंभीर आरोप लग रहे हैं। बताया जा रहा है की मायावती सरकार में विधायक रहे एक व्यक्ति पूरा सिस्टम चला रहे हैं। मंत्री देयाशंकर इस तरह के आरोप लगा रहे हैं। अब ये लड़ाई बसपा में विधायक रहे उमाशंकर और योगी सरकार के मंत्री दयाशंकर के बीच खुलकर सामने आ गई। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या केवल योगी सरकार में ही पीडब्ल्यूडी में तरह के आरोप लग रहे हैं। चलिए बताते है।
मायावती सरकार में PWD से जुड़े घोटाले
- स्मारक घोटाला: मायावती के शासनकाल (2007-2012) के दौरान लखनऊ और नोएडा में बने स्मारकों के निर्माण में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं के आरोप लगे थे। लोकायुक्त की जांच रिपोर्ट में ₹1400 करोड़ से अधिक के घोटाले का आरोप लगाया गया था। इस मामले में पत्थर खरीदने, ढुलाई और निर्माण कार्यों में धांधली की बात सामने आई थी। बाद में इस मामले की जांच विजिलेंस और प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी की थी, जिसमें कई अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया था।
- अन्य घोटाले: मायावती सरकार के दौरान गरीबों के लिए आवास योजनाओं और अन्य निर्माण कार्यों में भी घोटालों के आरोप लगे थे। इन मामलों की जांच भी EOW (आर्थिक अपराध शाखा) और अन्य एजेंसियों ने की थी।
योगी सरकार में PWD से जुड़े घोटाले
- तबादला घोटाला: योगी सरकार के कार्यकाल में PWD में तबादलों में बड़े पैमाने पर धांधली के आरोप लगे थे। इस मामले में कई अधिकारियों पर कार्रवाई की गई थी, जिसमें PWD मंत्री के OSD को हटाना और कई अधिकारियों को निलंबित करना शामिल था।
- सड़क निर्माण घोटाला: बस्ती और देवरिया जिलों में सड़क निर्माण कार्यों में ₹50 करोड़ के घोटाले का मामला सामने आया था। इसमें अधिकारियों पर अधूरे कामों को पूरा दिखाकर भुगतान करने का आरोप था। इस मामले में कई PWD अधिकारियों पर कार्रवाई की गई थी।
- भूमि अधिग्रहण घोटाला: रेली-सितारगंज फोरलेन और रिंग रोड परियोजना के भूमि अधिग्रहण में भी घोटाले के आरोप लगे थे। इस मामले में PWD के इंजीनियरों और अमीन पर कार्रवाई की गई थी।
- टेंडर और अन्य अनियमितताएं: योगी सरकार में भी PWD के मुख्य अभियंताओं पर भ्रष्टाचार और अवैध वसूली के आरोप लगे हैं, जिनकी जांच के आदेश दिए गए हैं। इसके अलावा, ऑनलाइन टेंडर प्रक्रिया में भी धांधली के मामले सामने आए हैं।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि दोनों सरकारों के दौरान भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं और जांच तथा कार्रवाई भी हुई है। भ्रष्टाचार के इन मामलों में अक्सर सरकारी अधिकारी, ठेकेदार और बिचौलिये शामिल होते हैं।

