मुगल सल्तनतः बाबर से लेकर बहादुर शाह जफर तक, जानिए कला-आर्थिक विकास और उपलब्धियां

Mughal Sultanate:मुग़ल सल्तनत भारतीय उपमहाद्वीप के इतिहास में एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली दौर था, जो लगभग 331 सालों (1526 से 1857) तक चला। इस सल्तनत की स्थापना ज़हीरुद्दीन मुहम्मद बाबर ने की थी और इसका अंत बहादुर शाह ज़फ़र के साथ हुआ। यह सल्तनत अपनी वास्तुकला, कला, साहित्य और प्रशासन के लिए जानी जाती है।

आइए, मुग़ल सल्तनत के प्रमुख शासकों के बारे में विस्तार से जानते हैं

1. बाबर Babur (1526-1530)

बाबर, एक मध्य एशियाई योद्धा, ने 1526 में पानीपत की पहली लड़ाई में इब्राहिम लोदी को हराकर मुग़ल सल्तनत की नींव रखी। वह फ़र्गना (आज के उज़्बेकिस्तान में) का शासक था। वह एक कुशल सैनिक और सेनापति था जिसने तोपों और घुड़सवारों का प्रभावी ढंग से इस्तेमाल किया। उसने अपनी आत्मकथा ‘बाबरनामा’ लिखी, जिसमें उसने अपने जीवन, युद्धों और भारत के बारे में जानकारी दी।

2. हुमायूँ Humayun (1530-1540 और 1555-1556)

बाबर की मृत्यु के बाद उसका बेटा हुमायूँ गद्दी पर बैठा। उसे शेरशाह सूरी ने हराकर भारत से बाहर निकाल दिया। हुमायूँ ने 15 साल निर्वासित जीवन बिताया और बाद में 1555 में शेरशाह सूरी के वंशजों को हराकर दिल्ली की गद्दी पर दोबारा कब्ज़ा किया। हालांकि, वह ज़्यादा समय तक शासन नहीं कर सका और एक दुर्घटना में उसकी मृत्यु हो गई।

3. अकबर Akbar (1556-1605)

अकबर को मुग़ल सल्तनत का सबसे महान शासक माना जाता है। उसने अपनी उदार धार्मिक नीतियों, जैसे ‘दीन-ए-इलाही’ (सभी धर्मों का सार), और अपने प्रशासनिक सुधारों के लिए जाना जाता है। उसने सभी धर्मों के लोगों के लिए ‘इबादत खाना’ की स्थापना की, जहाँ धार्मिक बहसें होती थीं। अकबर ने मनसबदारी प्रणाली भी शुरू की, जिससे सेना और प्रशासन को व्यवस्थित किया गया। उसने कला, साहित्य और वास्तुकला को बहुत बढ़ावा दिया।

4. जहाँगीर Jahangir (1605-1627)

अकबर का बेटा जहाँगीर एक कला प्रेमी और न्यायप्रिय शासक था। उसने अपनी पत्नी नूरजहाँ के साथ मिलकर शासन किया। जहाँगीर के शासनकाल में कला, चित्रकला और वास्तुकला ने बहुत तरक्की की। उसने न्याय के लिए ‘ज़ंजीर-ए-अदल’ (न्याय की जंजीर) लगवाई, जिसे खींचकर कोई भी सीधे बादशाह से न्याय मांग सकता था।

5. शाहजहाँ Shahjahan (1628-1658)

शाहजहाँ का शासनकाल मुग़ल वास्तुकला का ‘स्वर्ण युग’ माना जाता है। उसने अपनी पत्नी मुमताज़ महल की याद में ताजमहल बनवाया, जो दुनिया के सात अजूबों में से एक है। उसने दिल्ली में लाल किला और जामा मस्जिद जैसी कई भव्य इमारतें भी बनवाईं। उसके अंतिम वर्षों में उसके बेटे औरंगज़ेब ने उसे कैद कर लिया।

6. औरंगज़ेब Aurangzeb (1658-1707)

औरंगज़ेब मुग़ल सल्तनत का आखिरी शक्तिशाली शासक था। वह एक कट्टर सुन्नी मुसलमान था और उसने अपने पूर्वजों की उदार धार्मिक नीतियों को बदल दिया। उसने कई हिंदू मंदिरों को तोड़ा और जज़िया कर दोबारा लगाया। उसके शासनकाल में मुग़ल सल्तनत का विस्तार तो हुआ, लेकिन उसकी नीतियों के कारण कई जगह विद्रोह होने लगे, जिससे सल्तनत कमजोर होने लगी।

अंतिम मुग़ल शासक और सल्तनत का पतन

औरंगज़ेब की मृत्यु के बाद मुग़ल सल्तनत कमजोर होती गई। उसके उत्तराधिकारी, जिन्हें ‘उत्तरवर्ती मुग़ल’ कहा जाता है, इतने शक्तिशाली नहीं थे कि वे सल्तनत को संभाल सकें।

  • बहादुर शाह प्रथम (1707-1712)
  • जहाँदार शाह (1712-1713)
  • फ़र्रुख़सियर (1713-1719)
  • मुहम्मद शाह ‘रंगीला’ (1719-1748)

मुग़ल काल (1526-1857) को भारतीय इतिहास में एक समृद्ध और प्रभावशाली दौर माना जाता है, जिसने कला, वास्तुकला, साहित्य और अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में अविस्मरणीय योगदान दिया। आइए, इन उपलब्धियों का विस्तार से विश्लेषण करते हैं।

1. कला और वास्तुकला में उपलब्धियां

मुग़ल शासक कला और वास्तुकला के महान संरक्षक थे। उन्होंने फ़ारसी, इस्लामी और भारतीय शैलियों के मिश्रण से एक अनूठी शैली को जन्म दिया, जिसे मुग़ल वास्तुकला कहा जाता है।

  • भव्य वास्तुकला:
    • शाहजहाँ का स्वर्ण युग: शाहजहाँ का शासनकाल वास्तुकला का स्वर्ण युग माना जाता है। उन्होंने अपनी प्रिय बेगम मुमताज़ महल की याद में ताजमहल बनवाया, जो प्रेम और वास्तुकला का एक अद्भुत प्रतीक है।
    • लाल किला और जामा मस्जिद: दिल्ली का लाल किला और जामा मस्जिद भी शाहजहाँ के शासनकाल की उत्कृष्ट रचनाएँ हैं।
    • अकबर का योगदान: अकबर ने फतेहपुर सीकरी शहर की स्थापना की, जिसमें बुलंद दरवाज़ा, पंचमहल, जोधाबाई का महल और सलीम चिश्ती का मकबरा जैसी कई महत्वपूर्ण इमारतें हैं।
    • अन्य इमारतें: मुग़ल काल में कई किले, मकबरे, मस्जिदें और सुंदर बाग़ (जैसे, शालीमार बाग़) बनवाए गए। इन इमारतों में गुंबदों, मेहराबों, मीनारों और संगमरमर पर की गई बारीक कारीगरी का सुंदर उपयोग किया गया।
  • मुग़ल चित्रकला:
    • मुग़ल लघु चित्रकला (Miniature Painting): मुग़ल चित्रकला अपनी बारीक कारीगरी, चमकीले रंगों और यथार्थवादी चित्रण के लिए प्रसिद्ध है।
    • सम्राटों का संरक्षण: अकबर, जहाँगीर और शाहजहाँ ने चित्रकारों को संरक्षण दिया। जहाँगीर स्वयं एक कला प्रेमी था और उसके काल में चित्रकला अपने चरम पर थी।
    • विषय वस्तु: इन चित्रों में दरबारी जीवन, शिकार के दृश्य, ऐतिहासिक घटनाएं, प्रकृति और पशु-पक्षी दिखाए जाते थे।
  • साहित्य:
    • फ़ारसी भाषा: मुग़लों की राजभाषा फ़ारसी थी, जिसके कारण फ़ारसी साहित्य का विकास हुआ। बाबर की आत्मकथा ‘बाबरनामा’ और अबुल फ़ज़ल की ‘आईन-ए-अकबरी’ और ‘अकबरनामा’ महत्वपूर्ण साहित्यिक रचनाएँ हैं।
    • भारतीय भाषाओं का विकास: मुग़ल शासकों ने हिंदी, संस्कृत, और बांग्ला जैसी स्थानीय भाषाओं के साहित्य को भी प्रोत्साहित किया। रामायण और महाभारत जैसे संस्कृत ग्रंथों का फ़ारसी में अनुवाद किया गया।

2. अर्थव्यवस्था का विस्तार से विवरण

मुग़ल काल की अर्थव्यवस्था को विश्व की सबसे बड़ी और समृद्ध अर्थव्यवस्थाओं में से एक माना जाता था। यह मुख्य रूप से कृषि, व्यापार और हस्तशिल्प पर आधारित थी।

  • कृषि:
    • अर्थव्यवस्था की रीढ़: मुग़ल अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृषि था। सरकार की आय का सबसे बड़ा स्रोत भू-राजस्व था।
    • भू-राजस्व प्रणाली: अकबर ने ज़ब्त नामक एक कुशल भू-राजस्व प्रणाली शुरू की, जिसमें भूमि की उर्वरता और पिछले 10 सालों के औसत उत्पादन के आधार पर कर तय किया जाता था।
    • फ़सलें: किसान अनाज, दालें, और तिलहन के अलावा नकदी फ़सलें, जैसे कपास, नील और अफ़ीम, भी उगाते थे, जिनकी अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में बहुत मांग थी।
  • व्यापार और वाणिज्य:
    • व्यापक व्यापारिक नेटवर्क: मुग़ल काल में आंतरिक और अंतर्राष्ट्रीय दोनों तरह का व्यापार खूब फला-फूला। भारत एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र था, जहाँ से कपड़े, मसाले, सूती वस्त्र और हस्तशिल्प का निर्यात होता था।
    • मुद्रा प्रणाली: मुग़लों ने एक मानक मुद्रा प्रणाली स्थापित की, जिसमें सोने, चांदी और तांबे के सिक्के ढाले जाते थे। चांदी का रुपया सबसे महत्वपूर्ण सिक्का था।
    • व्यापार मार्ग: ग्रैंड ट्रंक रोड जैसे व्यापार मार्गों ने पूरे साम्राज्य में वस्तुओं की आवाजाही को आसान बना दिया। बंदरगाहों, जैसे सूरत, भरूच और मसूलीपट्टनम, से अंतर्राष्ट्रीय व्यापार होता था।
  • हस्तशिल्प और उद्योग:
    • विश्व प्रसिद्ध उत्पाद: मुग़ल काल में हस्तशिल्प उद्योग बहुत विकसित था। भारतीय सूती वस्त्र और रेशम के कपड़ों की गुणवत्ता के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध थे।
    • अन्य उद्योग: इसके अलावा, कालीन बुनाई, धातु का काम, आभूषण निर्माण और मिट्टी के बर्तनों का उद्योग भी बहुत उन्नत था। ये सभी उत्पाद घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में बेचे जाते थे, जिससे साम्राज्य को भारी राजस्व मिलता था।

इन शासकों के बाद मुग़ल सल्तनत का प्रभाव नाममात्र का रह गया। 1857 के सिपाही विद्रोह के समय बहादुर शाह ज़फ़र अंतिम मुग़ल शासक थे। अंग्रेजों ने उन्हें रंगून (आज के यंगून) भेज दिया, जहाँ उनकी मृत्यु हो गई। 1857 के बाद मुग़ल सल्तनत का पूरी तरह से अंत हो गया और भारत में ब्रिटिश राज की स्थापना हुई।

 

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