Social Media News: सोशल मीडिया दिग्गज मेटा और यूट्यूब ने हाल ही में अपने प्लेटफॉर्म्स को और अधिक प्रामाणिक और सुरक्षित बनाने के लिए कठोर कदम उठाए हैं। जहां मेटा ने फेसबुक से 1 करोड़ से अधिक फर्जी और स्पैम अकाउंट्स को हटाया है, वहीं यूट्यूब ने 15 जुलाई 2025 से अपनी मॉनिटाइजेशन पॉलिसी में बदलाव लागू किए हैं। इन कदमों का उद्देश्य नकली, दोहराव वाले, और कम गुणवत्ता वाले कंटेंट को कम करना है, ताकि यूजर्स को बेहतर अनुभव मिले और मूल कंटेंट क्रिएटर्स को उनका हक मिल सके।
मेटा ने 2025 की पहली छमाही में 1 करोड़ से ज्यादा फेसबुक अकाउंट्स को ब्लॉक किया है। कंपनी ने इन अकाउंट्स को ‘स्पैमी कंटेंट’ की श्रेणी में रखा है, जो डुप्लिकेट प्रोफाइल्स बनाकर बड़े कंटेंट क्रिएटर्स की नकल करते थे। ये अकाउंट्स फेसबुक के एल्गोरिदम और ऑडियंस रीच का फायदा उठाकर फर्जी एंगेजमेंट, कॉपी-पेस्ट कंटेंट, और पुराने वायरल वीडियो को दोबारा पोस्ट करके कमाई करने की कोशिश कर रहे थे। इसके अलावा, मेटा ने 5 लाख से अधिक अकाउंट्स पर जुर्माना लगाया या उनकी रीच को सीमित किया, जो स्पैम कमेंट्स, बॉट जैसी गतिविधियों, और बार-बार एक ही कंटेंट को रीपोस्ट करने में शामिल थे।
मेटा ने बताया कि वह एडवांस्ड डिटेक्शन टूल्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से डुप्लिकेट और नकली कंटेंट की पहचान कर रहा है। कंपनी का लक्ष्य फेसबुक फीड को और अधिक प्रासंगिक, क्लीन, और ऑथेंटिक बनाना है, ताकि मूल क्रिएटर्स को उनकी मेहनत का पूरा क्रेडिट और कमाई मिल सके। मेटा एक नई ‘क्रेडिट लिंकिंग सिस्टम’ भी टेस्ट कर रही है, जिससे डुप्लिकेट वीडियो को मूल क्रिएटर से जोड़ा जा सके और ऑडियंस सीधे असली स्रोत तक पहुंचे।
यूट्यूब ने भी स्पैम और कम गुणवत्ता वाले कंटेंट के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। 15 जुलाई 2025 से लागू नई मॉनिटाइजेशन पॉलिसी के तहत, मास-प्रोड्यूस्ड, दोहराव वाले, या कम मेहनत वाले कंटेंट से कमाई को सीमित किया जाएगा। इसका उद्देश्य उन क्रिएटर्स को रोकना है जो AI टूल्स का दुरुपयोग करके कॉपी-पेस्ट या निम्न-गुणवत्ता वाला कंटेंट अपलोड करते हैं। हालांकि, यूट्यूब ने स्पष्ट किया है कि अगर कंटेंट मूल और मूल्यवर्धक है, भले ही वह AI से बना हो, तो उसे मॉनिटाइजेशन में छूट मिलेगी। रिएक्शन वीडियो, ट्रेंड्स पर आधारित कंटेंट, या रीमिक्स किए गए कंटेंट को भी इस नीति से बाहर रखा गया है, बशर्ते उनमें नई वैल्यू जोड़ी गई हो।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर AI-जनरेटेड कंटेंट की बाढ़ ने नकली और दोहराव वाले कंटेंट को बढ़ावा दिया है, जिससे यूजर्स का अनुभव प्रभावित हो रहा है। मेटा और यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म्स का कहना है कि वे अपने यूजर्स को एक भरोसेमंद और उच्च-गुणवत्ता वाला अनुभव देना चाहते हैं। AI टूल्स के बढ़ते उपयोग ने कंटेंट क्रिएशन को आसान बनाया है, लेकिन साथ ही स्पैम, प्लैगेरिज्म, और फर्जी एंगेजमेंट की समस्या भी बढ़ी है।
मेटा के सीईओ मार्क जकरबर्ग ने हाल ही में घोषणा की कि कंपनी AI इंफ्रास्ट्रक्चर में अरबों डॉलर का निवेश कर रही है और 2026 तक अपना पहला AI सुपर क्लस्टर लॉन्च करेगी। इस निवेश का एक हिस्सा फर्जी कंटेंट को रोकने के लिए उन्नत तकनीकों के विकास में भी इस्तेमाल हो रहा है। यूट्यूब भी अपने एल्गोरिदम को अपडेट कर रहा है ताकि मूल कंटेंट को प्राथमिकता मिले और नकली या कम गुणवत्ता वाले कंटेंट की रीच कम हो।
इन बदलावों से कंटेंट क्रिएटर्स को अपने कंटेंट की गुणवत्ता और मौलिकता पर अधिक ध्यान देना होगा। मेटा ने क्रिएटर्स के लिए प्रोफेशनल डैशबोर्ड में नए पोस्ट-लेवल इनसाइट्स और सपोर्ट सेक्शन उपलब्ध कराए हैं, जहां वे अपनी सामग्री की स्थिति और संभावित सजा (जैसे मॉनिटाइजेशन बंद होना) की जानकारी देख सकते हैं। यूट्यूब और मेटा दोनों ने स्पष्ट किया है कि रिएक्शन वीडियो या ट्रेंड्स पर आधारित कंटेंट बनाने वाले क्रिएटर्स प्रभावित नहीं होंगे, बशर्ते वे मूल्यवर्धक सामग्री बनाएं।

