Land mafia in Nalgarha Village: नोएडा ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस वे पर प्रॉपर्टी के दाम लगातार बढ़ते जा रहे हैं। आम लोगों की पहुंच से नोएडा के सेक्टर के रेट बाहर हो चुके है। वे आपना आशियाना बनाने के लिए गांवों की और रुख कर रहे है। ऐसे में कॉलोनाइजर अलग अलग गांवों में सक्रिय हो गए हैं। प्राधिकरण की जमीन को अपना बताकर बेच रहे है। कहीं डूब क्षेत्र में लोगों को प्लॉट काटकर बेचे जा रहे हैं तो कहीं प्राधिकरण की मुआवजा दी गई जमीन का भी सौदा कर रहे हैं। एक्सप्रेस वे पर वैसे तो दर्जनों गांव है लेकिन एक गांव ऐसा है जिसमें शहीद भगत सिंह ने निवास ही नहीं किया बल्कि यहाँ से अंग्रेजों का मुकाबला भी किया। इस महान गांव का नाम नलगढा है। प्राधिकरण इसे गांव को आदर्श गांव भी बनाना चाहता है। लेकिन यहाँ कदम कदम पर कॉलोनाइजरों ने अवैध रूप से प्लॉटिंग कर दिया है। इस गांव में दूसरों की जमीन को अपना बताकर बेचने का चलन कई सालों से बढ़ रहा है। प्राधिकरण कई बार अवैध कॉलोनियों पर बुलडोजर भी चला चुका है लेकिन धीरे धीरे प्राधिकरण की अधिसूचित जमीन पर कब्जा होता जा रहा है। कुछ भूमाफिया नलगढा गांव में सक्रिय हो गए हैं। जो दूसरों की जमीन का ही सौदा कर रहे हैं। प्राधिकरण की निष्क्रियता का ये लोग पूरा फायदा उठा रहे हैं।
नलगढा गांव का आजादी में महत्पूर्ण स्थान
नलगढा गांव न केवल यहां के क्रांतिकारियों ने आजादी की जंग में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया, बल्कि देश के महान क्रांतिकारियों की शरणस्थली होने का भी तगमा प्राप्त है। नोएडा सेक्टर 145 स्थित नलगढ़ा गांव में रखा पत्थर इस बात का गवाह है। अमर बलिदानी भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु आजाद हिद फौज में रहे करनैल सिंह यहां कई साल तक छिपे रहे। नलगढ़ा गांव में ही क्रांतिकारियों ने बम तैयार कर आठ अप्रैल 1929 को नई दिल्ली स्थित ब्रिटिश हुकूमत की तत्कालीन सेंट्रल असेंबली के सभागार में फेंके थे। यहां आकर देश के महान क्रांतिकारी अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन की रणनीति भी अख्तियार करते थे।
कभी बिहड़ था गांव
बता दें कि नोएडा ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे के किनारे बसा यह गांव कभी बिहड़ हुआ करता था। गांव में पहुंचने के लिए पहले नदी और फिर घने जंगल को पार करना पड़ता था। ग्रामीणों का दावा है कि यहां क्रांतिकारियों को प्रशिक्षण दिया जाता था। बम बनाने के लिए बारूद और अन्य सामग्री को जिस पत्थर पर रखकर मिलाया जाता था वह आज भी नलगढ़ा गांव के एक गुरुद्वारा में रखा है। गुरुद्वारा समिति के सदस्य परमजीत बताते हैं कि ग्रामीणों ने पत्थर को गुरुद्वारे में संजोकर रखा है।
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