Greater Noida: यमुना एक्सप्रेस-वे से प्रभावित लोगों को मिलेगा1689 करोड़ का मुआवजा : डॉ. अरुणवीर सिंह 
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Greater Noida: यमुना एक्सप्रेस-वे से प्रभावित लोगों को मिलेगा1689 करोड़ का मुआवजा : डॉ. अरुणवीर सिंह 

  • भाकियू के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने यमुना प्राधिकरण के सीईओ के साथ बैठक उठाए किसानों के मुद्दे  

  • जिन किसानों की यमुना एक्सप्रेसवे में जमीन गई है, उनको 64.7 फीसदी  एक्स्ट्रा मुआवजा 

Greater Noida: किसानों के मुदद्दो पर वार्ता करने भारतीय किसान यूनियन(भाकियू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत मंगलवार को यमुना विकास प्राधिकरण किसानों के साथ पहुंचे। और उन्होंने यमुना प्राधिकरण के सीईओ डॉ.अरुणवीर सिंह से किसानों के मुद्दों  पर गंभीरता से वार्ता  की। वार्ता  में  आश्वासन दिया गया  कि गौतमबुद्ध नगर से आगरा तक यमुना एक्सप्रेस-वे से प्रभावित सभी किसानों को 64 फीसदी मुआवजा दिया जाएगा। इसको लेकर तैयारी हो गई है। मार्च 2025 तक सभी किसानों को मुआवजा मिल जाएगा।  भारतीय किसान यूनियन ने खुशी जाहिर की है और किसानों ने आभार जताया । यमुना विकास प्राधिकरण के सीईओ डॉ.अरुणवीर सिंह ने कहा  कि अब किसानों की बल्ले-बल्ले होने जा रही है। जिन किसानों की यमुना एक्सप्रेसवे में जमीन गई है, उनको 64.7 फीसदी  एक्स्ट्रा मुआवजा मिलेगा। ऐसे करीब 50 हजार किसान हैं। यह किसानों के लिए बेहद अच्छी और खुशी की खबर है। इन किसानों को 1,689 करोड़ रुपये का अतिरिक्त मुआवजा मिलेगा।

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प्राधिकरण 30 सितंबर से बंटेगा  मुआवजा ! 

सीईओ ने कहा कि बोर्ड बैठक के बाद मुआवजा देने का काम शुरू हो जाएगा। प्रयास है कि आगमी 30 सितम्बर 2024 तक 845 करोड़ रुपये का मुआवजा किसानों को दे दिया जाएं। बाकी को भी जल्द एक्स्ट्रा पैसा जल्द मिलेगा। वैसे सभी किसानों को 1,689 करोड़ रुपये का मुआवजा मिलना हैं। यमुना एक्सप्रेसवे गौतमबुद्ध नगर, अलीगढ, हाथरस, मथुरा और आगरा के किसानों की जमीन पर बना हैं। जिला अधिकारी गौतमबुद्ध नगर मनीष वर्मा ,जिला एडीएम लैंड बच्चू सिंह, गौतमबुद्धनगर एडिसनल डीसीपी० अशोक कुमार, एडीएम अलीगढ़,एडीएम मथुरा,एडीएम आगरा,डरऊ यमुना प्राधिकरण, सुभाष चौधरी राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी,उत्तरप्रदेश अध्यक्ष राजपाल शर्मा जी,पश्चिमी प्रदेशअध्यक्ष पवन खटाना,मंडलअध्यक्ष आगरा रनवीर चाहर,मंडलअध्यक्षअलीगढ विमल तोमर, जिलाध्यक्ष आगरा राजवीर लवानिया,युवा पश्चिम उपाध्यक्ष पवन चौराली,जिलाध्यक्ष मथुरा चौधरी धर्मवीर,जिलाध्यक्ष हाथरस सत्यदेव पाठक,जिलाध्यक्ष बुलंदशहर अरबसिंह,जिलाध्यक्ष गौतमबुद्ध नगर जेवर क्षेत्र रोबिन नागर,जिलाध्यक्ष अलीगढ़ सुंदर सिंह आदि किसान मौजूद रहे।

ऐसे हुआ  यमुना एक्सप्रेसवे का निर्माण

दिल्ली-एनसीआर और आगरा के बीच यात्रा के समय को कम करने के विचार से इसकी कल्पना की गई थी। इस परियोजना की परिकल्पना वर्ष 2001 में उत्तर प्रदेश की तत्कालीन राजनाथ सिंह सरकार ने की थी, लेकिन सरकार के बार-बार परिवर्तन के कारण परियोजना शुरू नहीं हो सकी। वर्ष 2003 में यह वित्तीय रूप से व्यवहार्य नहीं था। परियोजना पर 2007 में फिर से काम शुरू किया गया। पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने 2007 के राज्य चुनावों में सत्ता हासिल की और इसका नाम बदल दिया गया। दरअसल, 2008 तक इसका नाम ताज एक्सप्रेसवे था, बाद में यमुना एक्सप्रेसवे कर दिया गया। यमुना एक्सप्रेस- वे परियोजना जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड ने कार्यान्वित की थी। मई 2012 में जेपी समूह ने एक्सप्रेसवे का निर्माण पूरा कर लिया था। यमुना एक्सप्रेस-वे का औपचारिक रूप से उद्घाटन 9 अगस्त 2012 को तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने लखनऊ से वीडियो-कॉन्फ्रेंस के माध्यम से किया था। दरअसल, तब तक एक बार फिर उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव हो चुके थे और मायावती चुनाव हार चुकी थी। समाजवादी पार्टी की पूर्ण बहुमत की सरकार में मुख्यमंत्री बन गए थे।
देश का पहला महामार्ग, जिस पर उतर सकते हैं फाइटर प्लेन यमुना एक्सप्रेस-वे जब बनकर तैयार हुआ तो यह देश का सबसे लंबा एक्सप्रेस- वे था। इस पर लड़ाकू विमानों की लैंडिंग भारत में पहली बार सैन्य उड्डयन के लिए करवाई गई थी। भारतीय वायु सेना ने 21 मई 2015 को मथुरा के राया गांव के पास यमुना एक्सप्रेसवे पर लगभग 6:40 बजे एक फ्रेंच डसॉल्ट मिराज 2,000 को सफलतापूर्वक उतारा था। यह अभ्यास विस्तृत परीक्षणों का हिस्सा था। केंद्र सरकार देखना चाहती थी कि रक्षा विमानों की आपातकालीन लैंडिंग के लिए कितने अन्य राजमार्गों का उपयोग किया जा सकता है।

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