felling trees: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के रिज इलाके में पेड़ों की अवैध कटाई पर नाराजगी जताई
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felling trees: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के रिज इलाके में पेड़ों की अवैध कटाई पर नाराजगी जताई

felling trees: नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के रिज इलाके में पेड़ों की अवैध कटाई पर नाराजगी जताई है। जस्टिस एएस ओका की अध्यक्षता वाली बेंच ने पूछा कि दिल्ली सरकार कितना मुआवजा देगी और कितने पेड़ लगाएगी। यह आपकी गलती है। आप हमें बताएं कि पेड़ कहां गए। मामले की अगली सुनवाई 31 जुलाई को होगी।

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सुप्रीम कोर्ट ने ठेकेदार को नोटिस जारी करते हुए कहा कि 31 जुलाई तक हलफनामा दाखिल करें कि उसे पेड़ काटने का आदेश किसने दिया। कटे हुए पेड़ों की लकड़ियां कहां रखी गई हैं और इसके साथ ही प्रत्यारोपित पेड़ों की संख्या भी बताएं। कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वे हलफनामा दाखिल कर बताएं कि क्या वन विभाग के अधिकारियों सहित उसका कोई भी अधिकारी पेड़ काटने के दौरान मौजूद था। दिल्ली सरकार ने कहा था कि 14 फरवरी का 422 पेड़ों को काटने का दिया गया आदेश वापस ले लिया है। कोर्ट ने कहा कि यह एक स्वीकार्य स्थिति है कि ट्री ऑफिसर ने 422 पेड़ों को काटने की कभी कोई अनुमति नहीं दी। दिल्ली सरकार को 422 पेड़ों को काटने की अवैध अनुमति देने का दोष स्वीकार करना चाहिए। दिल्ली सरकार को यह बताना चाहिए कि वह पेड़ों की इस अवैध कटाई की भरपाई कैसे करेगी। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार दोषी अधिकारियों के खिलाफ की गई किसी भी कार्रवाई के बारे में हलफनामा दाखिल कर बताए।

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सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि रिज फॉरेस्ट एरिया के लिए सरकार द्वारा अनुमति देना अवमानना है। हम अवमानना जारी करेंगे। कोर्ट ने कहा कि आप अपने अधिकारी से फिर से पूछें कि क्या वह सरकार द्वारा इस अधिसूचना को वापस ले रहे हैं कि नहीं। अगर वह सहमत नहीं होता है, तो हम अभी अवमानना नोटिस जारी करेंगे। कोर्ट ने पूछा कि 1100 पेड़ों को अवैध रूप से काटे जाने की जानकारी मिलने के बाद दिल्ली सरकार ने क्या कार्रवाई की। क्या आपने इस बारे में कोई जांच की है कि किस प्रजाति के पेड़ काटे गए। तब वन विभाग के वकील ने कहा कि हमारे पास पूरी सूची है।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि हम यहां डीडीए और दिल्ली सरकार के बीच लड़ाई तय करने नहीं आए हैं। हम पर्यावरण बचाने आए हैं। तब वन विभाग के वकील ने कहा कि अधिकारी अनुमति की अधिसूचना वापस लेंगे, इसके लिए मेरे पास निर्देश हैं। पेड़ जब्त कर लिए गए हैं। तब कोर्ट ने कहा कि अब हमें बताएं कि उपराज्यपाल द्वारा अनुमति दिए जाने के बाद, क्या डीडीए के अधिकारियों ने उप-राज्यपाल को सूचित किया कि अदालत की अनुमति नहीं है। क्या उप-राज्यपाल को यह बताना कर्तव्य नहीं था कि जब तक अदालत अनुमति नहीं देती हम ऐसा नहीं कर सकते।

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इससे पहले 10 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ता ने दिल्ली पुलिस पर उत्पीड़न करने का आरोप लगाया था, जिसके बाद कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को अवमानना नोटिस जारी किया। सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायण ने कोर्ट को बताया था कि उनके पास पुलिस द्वारा किए जा रहे कथित उत्पीड़न की सभी रिकॉर्डिंग मौजूद है। इस पर कोर्ट ने याचिकाकर्ता को आश्वासन दिया कि उनकी सभी चिंताओं का समाधान किया जाएगा। याचिकाकर्ता बिंदु कपूरिया ने पुलिस की कार्रवाई के बारे में शिकायत करते हुए दावा किया था कि पुलिस के उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है। दिल्ली मे सड़क चौड़ीकरण परियोजना के लिए दिल्ली के रिज वन के पेड़ों को अवैध रूप से काटने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहले ही डीडीए के उपाध्यक्ष के खिलाफ आपराधिक अवमानना कार्रवाई पर स्वतः संज्ञान ले चुका है।

सुप्रीम कोर्ट दिल्ली के दक्षिणी रिज इलाके में बड़े पैमाने पर पेड़ों को काटने के मामले में डीडीए के उपाध्यक्ष सुभाशीष पांडा के खिलाफ दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रहा है। जस्टिस एएस ओका की अध्यक्षता वाली बेंच ने 16 मई को पांडा को गुमराह करने वाले हलफनामा पर नाराजगी जताते हुए अवमानना नोटिस जारी किया था। डीडीए के उपाध्यक्ष ने अपने हलफनामा में कहा था कि उनकी जानकारी के बिना 642 पेड़ काटे गए। इसी हलफनामा पर गौर करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब डीडीए पर भरोसा नहीं किया जा सकता है।

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