Ghaziabad : गाजियाबाद । जिले में लिवर के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। सरकारी अस्पतालों में हर रोज 80 से 100 मरीज भूख ना लगने, वजट घटने, पेट में जलन होने और पीलिया की शिकायत के पहुंच रहे हैं। चिकित्सकों की मानें तो शराब का सेवन से मरीजों में लिवर की समस्या बढ़ रही है और हर महीने लिवर फेलियर से करीब पांच प्रतिशत मरीजों की मौत हो रही है। लिवर की बीमारियां जिले में स्वास्थ्य के लिए चुनौती बन गई है। पिछले एक दशक के आंकड़े उठाकर देखें तो पता चलता है कि जिले में लिवर रोगों का खतरा साल-दर साल बढ़ रहा हैं। सरकारी स्तर पर लिवर के इलाज की कोई विशेष व्यवस्था नहीं हैं।
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केवल फिजिशियन ही लिवर मरीजों का इलाज कर रहे हैं। जिले में विशेषज्ञ चिकित्सकों नहीं हैं। एमएमजी अस्पताल में फिजिशियन की 800 की ओपीडी में से प्रतिदिन 70 मरीज पहुंच रहे हैं। इसी तरह संयुक्त अस्पताल में 20 मरीज लिवर की समस्या के आते हैं। चिकित्सक बताते हैं कि लिवर सिरोसिस, लिवर फेलियर और कैंसर जैसी समस्याएं बड़े खतरे के रूप में उभर रही हैं। साल 2017 के विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के आंकड़ों के अनुसार भारत में लिवर रोग (सिरोसिस) से होने वाली मौतें 2.60 लाख से अधिक हो गई हैं जो कुल मौतों का करीब तीन प्रतिशत हैं। जिले के सरकारी अस्पतालों में प्रतिमाह दो हजार मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे। इनमें गंभीर मरीजों को दिल्ली के अस्पतालों के लिए रेफर किया जा रहा है।
क्या कहते हैं एमएमजी अस्पताल के सीएमएस
एमएमजी अस्पताल के सीएमएस डॉ. राकेश कुमार ने बताया कि लिवर हमारे शरीर का अहम अंग है। इसमें परेशानी होने पर पूरे शरीर का तंत्र बिगड़ सकता है, इसलिए थोड़ी सी भी समस्या होने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। अस्पताल में मरीजों को ओपीडी के साथ इलाज दिया जा रहा है। फिलहाल अस्पताल में लिवर के पांच मरीजों का भर्ती करके इलाज किया जा रहा है।
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