EVM-VVPAT Case: लोकसभा चुनाव में क्या पर्चियों की होगी गिनती, जानें वीवीपैट का पूरा झमेला, अब तक कितने केस
EVM-VVPAT Case: संविधान का गार्जियन यानी सुप्रीम कोर्ट लगातार लोकतंत्र की मजबूती और लोगों में विश्वास कायम करने पर जोर दे रहा है। आजकल एक के बाद एक सुप्रीम कोर्ट के फैसला लोगों में न्यायपालिका के प्रति विश्वास को और मजबूत कर रहे हैं। ईवीएम एवं वीवीपैट का मसला भी अब फिर से कोर्ट जा पहुंचा है। चुनाव में ईवीएम के सभी वोटो की गिनती वीवीपैट मशीन की पर्चियां से करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने चुनाव आयोग और केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा है। फिलहाल अब 17 मई को सुनवाई होगी। लोगों के मन में ईवीएम को लेकर तरह तरह के सवाल उमड़ रहे है। यदि वीवीपेट की पर्चियों की गिनती होती है तो काफी सवाल दिमाग से धुल जाएंगे। कहा गया कि मुस्लिम बहुल इलाकों में भी भाजपा ने विजयी का परचम लहराया। इसे ईवीएम की महरबानी बताने में विपक्ष ने कसर नही छोड़ी मगर भाजपा ने तीन तलाक के मामले का हवाला देते हुए दावा किया महिलाओं ने पीएम मोदी को जमकर वोट दिया है।
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आप सोच रहे होगे कि ईवीएम और पीवीपेट का जिन कहां से बाहर निकला है। इस मामले में एक्टिविस्ट अरुण कुमार अग्रवाल की ओर से अगस्त 2023 में लगाई गई याचिका में मांग की गई थी कि ईवीएम में पड़े सभी वोटों का मिलान वीवीपैट की पर्चियों से करना चाहिए। वैसे तो किसी निर्वाचन क्षेत्र रैंडम 5 इवीएम का ही वीवीपेट से मिलान होता है।
साथ ही याचिका में कहा गया है कि वोटर्स को वीवीपेट की पर्ची फिजिकली वेरिफाई करने का मौका दिया जाना चाहिए। वोटर्स को खुद बैलेट बॉक्स में पर्ची डालने की सुविधा मिलनी चाहिए। इससे चुनाव में गड़बड़ी की आशंका खत्म हो जाएगी।
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चुनाव आयोग ने लगभग 24 लाख वीवीपैट खरीदने के लिए 5 हजार करोड़ रुपये खर्च किए हैं, लेकिन केवल 20,000 वीवीपैट की पर्चियों का ही वेरिफिकेशन होता है। याचिका में कहा गया है कि फिलहाल हर निर्वाचन क्षेत्र में एक के बाद 5 ईवीएम का वीवीपैट से मिलान होता है। इन पाचों ईवीएम का मिलान एक साथ नहीं किया जाता, जिससे रिजल्ट घोषित करने में अतिरिक्त समय लगता है। हर क्षेत्र में वोटों के मिलान के लिए अधिकारियों की तैनाती बढ़ानी चाहिए, जिससे 5-6 घंटे में पूरा वेरिफिकेशन हो जाए।
बताते है कि वीवीपैट कैसे काम करती है।
वोटर वेरिफाइएबल पेपर ऑडिट ट्रेल यानी वीवीपैट एक मशीन होती है, वोटिंग के समय बताती है कि वोटर ने किसे वोट दिया है। इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन से कनेक्ट किया जाता है। ईवीएम में वोटर जिस भी पार्टी का बटन दबाता है, उसी पार्टी के चिह्न की पर्ची वोटर को वीवीपैट मशीन में दिखती है। इससे वोटर कंफर्म कर पाता है कि उसने ईवीएम में बटन दबाकर जिस प्रत्याशी को वोट दिया है, असल में वोट उसे ही गया है।
वीवीपैट से निकलने वाली पर्ची सिर्फ वोटर को ही दिखती है। वह 7 सेकेंड तक ही इसे देखकर अपना वोट वेरिफाई कर सकता है। यदि चुनाव प्रक्रिया में गड़बड़ी की आशंका होती है तो चुनाव आयोग पर्ची का मिलान करता है।
पहले भी सुप्रीम कोर्ट में कई बार उठा है मुद्दा उठ चुका है। 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले, 21 विपक्षी दलों के नेताओं ने भी सभी ईवीएम में से कम से कम 50 प्रतिशत वीवीपैट मशीनों की पर्चियों से वोटों के मिलान करने की मांग की थी। अब एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने भी जुलाई 2023 में वोटों के मिलान की याचिका लगाई थी। इसे खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- कभी-कभी हम चुनाव निष्पक्षता पर ज्यादा ही संदेह करने लगते है। मगर अब 17 मई पर सब की निगाहें है। सवाल वही क्या वीवीपैट की पर्चियों की गिनती हो पाएंगी।