Right to Education: बेसिक शिक्षा विभाग की सुस्ती से अटकें गरीब बच्चों के एडमिशन
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Right to Education: बेसिक शिक्षा विभाग की सुस्ती से अटकें गरीब बच्चों के एडमिशन

Right to Education: राइट टू एजूकेशन  (आरटीई) के तहत पहले चरण के दाखिले को लेकर बेसिक शिक्षा विभाग का सुस्त रवैया गरीब छात्रों के एडमिशन पर भारी पड़ रहा है। पहली लाटरी के तहत चयनित 2563 छात्रों को 6 मार्च तक निजी स्कूलों की 25 प्रतिशत सीटों पर दाखिला लेना है, मगर विभाग की ओर से अभी तक अभिभावकों को आवंटन पत्र नहीं दिया गया है। पत्र का इंतजार कर रहे अभिभावकों के पास अब सिर्फ दो दिन का समय बचा है। ऐसे में आरटीई में प्रवेश को लेकर निजी स्कूलों के रुख को देखते हुए साफ है कि पहले चरण में बड़ी संख्या में छात्रों को एडमिशन से दूर होना पड़ सकता है।

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अब बेसिक शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर अभिभावकों ने सवाल खड़े किए हैं। एक अभिभावक ने बताया कि उनके बेटे का नाम आरटीई की सूची में आया है,लेकिन अभी तक विभाग की ओर से आवंटन पत्र नहीं मिला है। वही अन्य अभिभावक को भी अभी तक आवंटन पत्र नहीं मिला है। उनका कहना है कि आरटीई के कैलेंडर के तहत 6 मार्च तक स्कूल में दाखिला लेना था, लेकिन दाखिला दो दिनों में होता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है। तय डेट के बाद जाने पर स्कूल वाले प्रवेश नहीं लेते है। विभाग की लापरवाही के कारण छात्रों का दाखिला नहीं हो पाता है। निजी स्कूलों के फिर चक्कर लगाने पड़ते है। स्कूल प्रबंधन अभिभावकों को साफ मना करने लगता है।

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हजारों बच्चें रह जाते है वंचित
विभाग की सुस्ती के कारण हर साल करीब आवंटित हुई सीटों पर भी दाखिले नहीं हो पाते है। स्कूलों की मनमानी और बीएसए कार्यालय की ओर से कार्रवाई नहीं होने से हजारों गरीब छात्रों को दाखिले से वंचित रहना पड़ता है।

 

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