कारोबारी से 1.18 करोड़ रुपये उड़ाने वाला गिरोह को पुलिस ने पकड़ा
मेरठ। शहर के कारोबारी अभिषेक के बैंक खाते हैक कर 1.18 करोड़ रुपये निकालने वाला गिरोह भोपाल में पकड़ा गया। भोपाल की साइबर पुलिस ने सरगना सहित सात लोगों को गिरफ्तार किया है। भोपाल पुलिस का दावा है कि गिरोह अमेरिका के फाइनेंस डिफॉल्टर नागरिकों को कानूनी कार्रवाई का भय दिखाता था। साथ ही समझौते के नाम पर मोटी रकम वसूलता था। इसके लिए साइबर अपराधियों ने भोपाल में एक फ्लैट में कॉल सेंटर खोल रखा था।
कारोबारी अभिषेक की कंकरखेड़ा क्षेत्र में सारू सिल्वर एलायल प्रा. लि. कंपनी है। कंपनी के दो खातों को हैक कर हैकर्स ने एचडीएफसी, एक्सिस, इंडस इंड बैंक के खातों में एक करोड़ 17 लाख 56 हजार रुपये निकाल लिए थे।
इसके बाद सदर बाजार थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया था। मेरठ पुलिस ने एक आरोपित भोपाल की ओल्ड सुभाषनगर कॉलोनी निवासी रोहन बवास्कर को पकड़ लिया था। उसने बताया कि हैकर गैंग का सरगना भोपाल निवासी रामपाल सिंह है, जबकि सलमान, अभिषेक और शुभम गिरोह के सदस्य हैं। घटना में संलिप्तता न होने का दावा करते हुए मेरठ पुलिस ने शुक्रवार को रोहन को छोड़ दिया। मेरठ पुलिस गिरोह के सरगना की तलाश करने का दावा कर रही थी, लेकिन मध्यप्रदेश की साइबर पुलिस ने शुक्रवार को गिरोह धर-दबोचा।स्पेशल डीजी (साइबर क्राइम) अरणा मोहन राव ने के मुताबिक १२वीं पास युवक के गिरोह ने अमेरिका के पांच हजार लोगों को ठगा। गिरोह अत्याधुनिक सॉफ्टवेयर प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करता था। सरगना अमेरिकी नागरिक से फोन पर धाराप्रवाह अंग्रेजी में बात करता था। आरोपितों ने 12 लाख अमेरिकी नागरिकों का डाटा खरीद रखा है।
अहमदाबाद निवासी 22 वर्षीय अभिषेक पाठक ने भोपाल के सेमरा में रहने वाले 29 वर्षीय रामपाल सिंह के साथ मिलकर करीब 15 माह पहले इंद्रपुरी पिपलानी में एक फ्लैट किराए पर लिया था।
कॉल सेंटर के कर्मचारियों का काम रात के समय उपलब्ध डाटा के अनुसार डिफाल्टर अमेरिकी नागरिकों को मैसेज व मेल करने का होता था। ये खुद को एन्फोर्समेंट अधिकारी बताकर लोन सेटलमेंट के लिए कहते थे। पुलिस ने अभिषेक और रामपाल के अलावा डाटा उपलब्ध कराने वाले वत्सलदीपेश भाई गांधी, कॉल सेंटर कर्मचारी मुहम्मद फरहान, श्रवण कुमार, शुभम गीते और सौरभ राजपूत (सभी 19 वर्षीय) को भी गिरफ्तार किया है।
इस बीच कारोबारी अभिषेक जैन ने अपने बैंक ऑफ बड़ौदा की आबूलेन शाखा से 1.18 करोड़ एड हॉक देने की मांग की है ताकि उनका कारोबार सुचारू ढंग से चले। कारोबार के लिए वर्किंग कैपिटल में दिक्कत न आए।
उनका तर्क है कि चूंकि उनकी 1.18 करोड़ रुपये की राशि बैंक की लापरवाही की वजह से हैक कर निकाल ली गई है, इससे उनका व्यापार प्रभावित हो सकता है। लिहाजा बैंक इस केस के सेटलमेंट होने तक 1.18 करोड़ रुपये एड हॉक में जारी करें यानि उनकी क्रेडिट लिमिट बढ़ा दे। इसके साथ ही यह भी अपील की गई है कि जो पैसा हैकरों ने उड़ा लिया है, उस पर बैंक ब्याज न लें। वह ब्याज एड हॉक की राशि पर ही ले। कारोबारी की डिमांड मुरादाबाद से होते हुए बरेली के जोनल मुख्यालय तक पहुंची है।