Noida News: किसानों का धरना प्रदर्शन लगातार चलता रहता है और बढ़ता रहता है। प्राधिकरण मांगे मानता है बोर्ड में पास करता है और गेंद शासन के पाले में डाल देता है। उसके बाद किसानों को इंसाफ मिले या ना मिले लेकिन फाइलों पर धूल जमा हो जाती है। किसान फिर घरों से निकाल प्राधिकरण दफ्तर घेरने पहुंच जाते हैं। ऐसा ही इस बार भी देखने को मिला है। किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष सुखबीर खलीफा ने दावा किया कि जब तक किसानों को हक नहीं दिया तब तक शांत नहीं बैठेंगे।
आखिर क्या है पूरा विवाद
लेकर चलते हैं उसे कहानी में जहां से किसान आंदोलन की शुरुआत होती है। दरअसल नोएडा प्राधिकरण किसानों की जमीन अधिग्रहण करता है। जिस जमीन अधिग्रहण के बदले किसानों को मुआवजा दिया जाता है और 5 प्रतिशत के विकसित प्राधिकरण की ओर से आवंटित किए जाते हैं, लेकिन किसानों पर अतिक्रमण का आरोप लगाते हुए मुकदमे दर्ज कर दिए गए। किसान भी प्राधिकरण से दो-दो करने को तैयार हो गए। किसनों ने प्राधिकरण को कानून से ही जवाब देना शुरू कर दिया। कुछ किस कोर्ट चले गए तो बहुत से किसान धरना प्रदर्शन के रास्ते पर आ खड़े हुए। किसानों के अलग-अलग नेताओं ने प्राधिकरण दफ्तर पर धरना दिया और किसानों का समर्थन लिया। समस्या जस की तस बनी रही।
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समस्या है किसानों को पर जो अतिक्रमण के आरोप लगाए गए हैं। जांच पड़ताल कर उनको निस्तारित किया जाए। जल्द से जल्द किसानों को 5 प्रतिशत के भूखंड दिए जाएं, कुछ किसानों ने मांग उठा दी कि अब 5 नहीं बल्कि 10 प्रतिशत भूखंड दिए जाएं। प्राधिकरण ने 10 प्रतिशत भूखंड और साढे चार सौ वर्ग मीटर से 1000 वर्ग मीटर तक के अतिक्रमण को अतिक्रमण न माने के प्रस्ताव को बोर्ड में पास कर शासन को भेज दिया। मगर मामला शासन में लटका है। ऐसा इसलिए किया गया ताकि किसान यहां शांत हो जाए और धरना खत्म कर दें। होता भी ऐसा ही है लेकिन अब प्राधिकरण की ओर से गेंद शासन के पाले में डाल दी गई है। ऐसे सैकड़ो मामले हैं जो बोर्ड में पास होने के बाद शासन के पास लंबित है। शासन की ओर से इन पर मोहर लगेगी या नहीं यह तो वक्त बताएगा मगर किसान फिर से प्राधिकरण पर धरना दे रहे।