आमतौर पर देखने को मिल रहा है कि जो भी व्यक्ति मोदी या योगी का नाम लेता है तो पुलिस प्रशासन नतमस्तक हो जाते है। ऐसे मामला सामने आया है जो सुनेगे तो दंग रह जाएंगे। एसटीएफ ने इसके कारनामों को खुलासा किया है। दरअसल, गाजियाबाद पुलिस और प्रशासन के अफसर 3 साल तक फर्जी आदेश पर एक जालसाज को पुलिस सुरक्षा देते रहे। वह खुद को कभी भाजपा का बड़ा पदाधिकारी और कभी किसी आयोग का सदस्य लिखकर डीएम और एसएसपी दफ्तर में ई-मेल कर देता और इसी पर उसे वीआईपी बनकर घूमने के लिए गनर मुहैया करा दिया जाता। अयोध्या के रहने वाले अनूप चैधरी नाम के इस शख्स की जालसाजी और गाजियाबाद के अफसरों की लापरवाही का खुलासा तब हुआ जब दो दिन पहले 23 अक्तूबर को अयोध्या में स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने उसे करोड़ों की धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार कर लिया।
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वहीं गाजियाबाद पुलिस की वीआईपी सेल प्रभारी मयंक अरोड़ा की ओर से उसके खिलाफ बुधवार को फर्जी आदेश बनाकर पुलिस सुरक्षा लेने की एफआईआर दर्ज कराई गई है। इसमें धोखाधड़ी और जालसाजी की धाराएं लगाई गई हैं। पुलिस की प्रारंभिक जांच में पता चला कि उसने डीएम और एसएसपी दफ्तर की ई-मेल आईडी पर पहली बार फर्जी आदेश 18 अक्तूबर 2020 को भेजा था। इस पर आदेश जारी हुआ कि अनूप चैधरी के भ्रमण कार्यक्रम के दौरान पुलिस सुरक्षा मुहैया कराई जाए। एक बार अफसर झांसे में आए तो उसका साहस बढता चला गया। उसने 8 बार रेलवे बोर्ड और फिल्म विकास परिषद का सदस्य बताते हुए और दो बार भारतीय खाद्य निगम और फिल्म विकास परिषद का सदस्य बताते हुए ई-मेल से सुरक्षा मुहैया कराने का आदेश भेजा। सभी आदेश उसके ओएसडी की ओर से बताए जाते थे।
सुरक्षा में लगा हेड कांस्टेबल निलंबित
एसटीएफ को अयोध्या में अनूप चैधरी के साथ गाड़ी में हेड कांस्टेबल पवन कुमार भी साथ में मिला। उसने पूछताछ में बताया कि उसे अनूप की सुरक्षा में लगाया गया है। इसके बाद एसटीएफ ने गाजियाबाद पुलिस से संपर्क किया तो जानकारी मिली कि अनूप की सुरक्षा में पवन को 11 जुलाई से 15 सितंबर 2023 तक के लिए लगाया गया था।
रिमांड पर लेकर होगी पूछताछ
गाजियाबाद पुलिस कमिश्नर अजय कुमार मिश्र ने बताया कि अनूप चैधरी ने फर्जी आदेश के माध्यम से पुलिस सुरक्षा ली। उसके खिलाफ केस दर्ज करा दिया गया है। उसे रिमांड पर लेकर पूछताछ की जाएगी। इसके बाद पता चलेगा कि आखिर किस प्राकर से ये पूरे कारनामे को अंजाम देता था।