Delhi News: नई दिल्ली। गृहमंत्री अमित शाह ने रविवार को अधिवक्ता सम्मेलन में कहा कि लगभग 150 सालों के बाद पूरी तरह से नए दृष्टिकोण और व्यवस्थाओं के साथ आ रहे तीनों नए क्रिमिनल लॉ का उद्देश्य क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम की देरी को दूर करना है। उन्होंने कहा कि तीनों नई संहिताओं में कहीं भी औपनिवेशिक छाप नहीं दिखेगी बल्कि भारत की माटी की महक होगी, तीनों नए क्रिमिनल लॉ के केन्द्र बिन्दु में हमारे देश के नागरिकों के संवैधानिक अधिकार, उनके मानवाधिकार और उनकी स्वयं की रक्षा है।
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केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज नई दिल्ली के विज्ञान भवन में बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय अधिवक्ता सम्मेलन 2023 के समापन सत्र को संबोधित किया।
गृह मंत्री ने कहा कि न्याय ही संतुलन लाने वाली शक्ति है। न्याय और हर प्रकार की शक्ति के बीच संतुलन बहुत आवश्यक है। क्योंकि इसी से न्यायपूर्ण समाज की रचना हो सकती है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में भारत ने विगत 9 वर्षों में हर क्षेत्र के कानूनों को आज की जरूरतों के अनुसार रिड्राफ्ट करने या नया बनाने का प्रयास किया है।
उन्होंने बताया कि कोई भी कानून अपने अंतिम स्वरूप में नहीं होता है, बल्कि समय और उस पर अमल के साथ आने वाली समस्याओं को देखकर उसे बदलना चाहिए, इन बदलावों से ही कानून और अधिक प्रासंगिक होते हैं। कानून बनाने का उद्देश्य सुचारू व्यवस्था खड़ी करना है, ना कि कानून बनाने वालों का वर्चस्व स्थापित करना।
नए बनाए गए कानून संहिताओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि भारतीय दंड संहिता की 511 धाराओं की जगह भारतीय न्याय संहिता में 356 धाराएं होंगी। सीआरपीसी की 487 धाराओं की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की 533 धाराएं और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की 167 धाराओं की जगह 170 धाराओं वाला भारतीय साक्ष्य अधिनियम लाया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का मानना है कि कोई भी कानून तभी अच्छा बन सकता है, जब स्टेकहोल्डर से मन से कंसल्टेशन किया गया हो।
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विगत 9 वर्षों में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में कई कानूनों में बदलाव की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि मध्यस्थता कानून और जनविश्वास बिल एक प्रकार से न्यायपालिका का बोझ कम करने वाले कानून हैं। उन्होंने कहा कि पुराने कानूनों का उद्देश्य अंग्रेज़ी शासन को मज़बूत बनाना और व्यवस्था को ताकत देकर शासन अच्छे तरीके से चलाना था। उसका उद्देश्य दंड देना था, न्याय करना नहीं। मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीन नए क्रिमिनल लॉ का उद्देश्य दंड देना नहीं, बल्कि हर नागरिक को न्याय देना है।
प्रधानमंत्री मोदी के जी-20 के माध्यम से पूरी दुनिया के सामने महिला नेतृत्व वाले विकास की कल्पना रखने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इसे सार्थक करने के लिए भारत ने लोक सभा और विधानसभाओं में महिलाओं की 33 प्रतिशत हिस्सेदारी सुनिश्चित करने का कानून पारित किया।
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