शिरोमणी अकाली दल ने मुख्यमंत्री भगवंत मान से पंजाब में कानून व्यवस्था की स्थिति खराब होने की जिम्मेदारी स्वीकार कर अपने पद से तुरंत इस्तीफा देने की मांग की है। वरिष्ठ अकाली नेता सरदार बिक्रम सिंह मजीठिया ने कहा, ‘‘ राज्य के इतिहास में कानून व्यवस्थ की स्थिति इतनी बदतर कभी नही हुई, जैसा कि आम आदमी पार्टी की सरकार के तहत हुआ है। ऐसा लगता है कि पंजाब में जंगल का कानून बन गया है, जिसमें टारगेट कीलिंग और जबरन वसूली आम घटनाएं बन गई हैं और गैंगस्टरों को स्वंतत्र शासन की अनुमति दी जा रही है। उन्होने कहा कि चूंकि मुख्यमंत्री इस स्थिति के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं, इसीलिए उन्हे जिम्मेदारी लेते हुए पद छोड़ देना चाहिए’’।
मजीठिया ने कहा कि कानून व्यवस्था की स्थिति बुरी तरह से चरमरा गई है। उन्होने कहा, ‘‘ राज्य में हथियारों की तस्करी में तेजी से बढ़ोतरी होने से राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता किया गया है। दैनिक हत्याएं और जबरन वसूली की नई संस्कृति से कोई भी व्यापारी के सुरक्षित नही है, जिसके परिणामस्वरूप पंजाब से अन्य राज्यों में पूंजी का पलायन हो रहा है तथा निवेश नही आ रहा और घरेलू निवेशक भी बाहर जाने का विकल्प चुन रहे हैं, और हम आर्थिक पतन के साथ साथ बेरोजगारी का संकट भी देख रहे हैं’’। उन्होंने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि श्री मान ने एक समारोह में चंडीगढ़ पुलिस की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह भ्रष्टाचार से मुक्त है , जो अपने आप में पंजाब पुलिस और उसके कामकाज पर अभियोग है। उन्होने कहा, ‘‘ मुख्यमंत्री को यह समझने के लिए आत्मनिरीक्षण करना चाहिए कि ऐसा क्यों हो रहा है, और उन्हे गुजरात में डंास शो में शामिल होना बंद कर पंजाब में चीजों को ठीक करने पर केंद्रित करना चाहिए। उन्होनेे कहा कि केवल शांति और साम्प्रदायिक सदभाव ही विकास और प्रगति ला सकता है, और चूंकि दोनो आज पंजाब में गायब हैं, इसीलिए राज्य के अंधेरे के युग में वापिस जाने का वास्तविक खतरा मंडरा रहा है’’।
उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारों को रिहा करने के आदेश का स्वागत करते हुए कहा, ‘‘ दोहरा मापदंड नही अपनाया जाना चाहिए और जेल की सजा पूरी कर चुके सभी बंदी सिंहों को रिहा किया जाना चाहिए। उन्होने कहा कि भाई बलंवत सिंह राजोआणा की मौत की सजा, जिसे पहले 2019 में 550 वें प्रकाश पर्व के दौरान आजीवन कारावास में तबदील कर दिया गया था, को अक्षरक्षः लागू कर सभी सिख बंदियों को जेल से रिहा किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि कानून सबके लिए समान होना चाहिए। उन्होने कहा, ‘‘ अभी सिख समुदाय को यह संदेश दिया गया है कि तामिलनाडू से संबंधित मामलों में कानून अलग है, जहां राजीव के हत्यारों की रिहाई हुई और गुजरात जहां बिलकिस बानों के साथ बलात्कार और हत्या करने वालों को केवल चौदह साल की सजा काटने के बाद रिहा कर दिया गया ’’। उन्होने कहा कि अगर यही सिलसिला जारी रहा तो क्षेत्रीय विभाजन बढ़ जाएगा, जो देश के हित में नही है।
उन्होंने कहा कि भाई राजोआणा के मामले में उनके मानवाधिकारों का भी उल्लंघन किया जा रहा है। उन्होने कहा, ‘‘ भाई जी 27 साल से बिना पैरोल के जेल में बंद हैं और अच्छे आचरण के प्रमाण पत्र और उनकी रिहाई के लिए दया याचिका दायर किए जाने के बावजूद कोई निर्णय नही लिया जा रहा है’’। उन्होने केंद्र सरकार से भाई राजोआणा की रिहाई के रास्ते में बाधा नही डालनी चाहिए और अन्य सभी बंदी सिंहो को भी तुरंत रिहा किए जाने की अपील की।