पुष्पा की जीत
2024 में बॉलीवुड की ज्यादातर बड़ी रिलीज फ्लॉप साबित हुईं। रोहित शेट्टी की ‘सिंघम अगेन’ ने पुरानी फॉर्मूला दोहराने की कोशिश की, जिसमें अजय देवगन, अर्जुन कपूर, रणवीर सिंह, करीना कपूर खान और दीपिका पादुकोण जैसे सितारे थे, लेकिन यह फिल्म थकाऊ लगी और बॉक्स ऑफिस पर असफल रही। इसी तरह, अनीस बाजमी की ‘भूल भुलैया 3’ में कार्तिक आर्यन, तृप्ति डिमरी, माधुरी दीक्षित और तबू की जोड़ी ने मनजुलिका के भूत को फिर बुलाने की कोशिश की, लेकिन पहली फिल्म के जादू को दोहराने में नाकाम रही। हालांकि, आंकड़ों के मुताबिक यह फिल्म भारत में नेट 245-281 करोड़ रुपये की कमाई कर सुपरहिट साबित हुई, लेकिन उम्मीदों से कम रही।
हॉरर-कॉमेडी का जलवा साल भर चला। अमर कौशिक की ‘स्त्री 2’ ने श्रद्धा कपूर और राजकुमार राव की जोड़ी के साथ 600 करोड़ से ज्यादा की कमाई की, जो सबसे ज्यादा मुनाफा देने वाली हिंदी फिल्म बनी (945% रिटर्न)। मैडॉक फिल्म्स की ‘मुनज्या’ ने भी सुपरनैचुरल कहानी और कोकण की खूबसूरत लोकेशन्स के साथ ताजगी लाई, जबकि अभय वर्मा और सुहास जोशी की दादी-पोते की जोड़ी ने दर्शकों को बांध लिया। दक्षिण से आई ‘कल्कि 2898 एडी’ ने 1,042-1,100 करोड़ की कमाई कर दूसरा स्थान हासिल किया, जो साइंस-फिक्शन का शानदार उदाहरण बनी।
निखिल नागेश भट्ट की ‘किल’ एक दक्षिण कोरियाई स्टाइल की स्लैशर फिल्म थी, जिसमें लक्ष्या ने देशभक्त सैनिक का रोल निभाया और राघव जुएल के गुंडों से भिड़े, लेकिन यह ज्यादा खून-खराबे वाली एक्शन फिल्म साबित हुई। कुल मिलाकर, बॉलीवुड ने 2,500 करोड़ रुपये की कमाई की, लेकिन ज्यादातर स्ट्र्री 2, भूल भुलैया 3, मुनज्या और शैतान जैसी हॉरर फिल्मों पर निर्भर रही।
फेस्टिवल्स से थिएटर्स तक
बड़े बजट के अलावा, छोटी और इंडिपेंडेंट फिल्मों ने दिल जीता। किरण राव की ‘लापता लेडीज’ ने स्विच्ड ब्राइड्स और भ्रमित पतियों की ग्राउंडेड परी-कथा सुनाई, जो थिएटर्स में सफल रही और नेटफ्लिक्स पर दूसरी सांस मिली। पयल कपाड़िया की ‘ऑल वी इमेजिन एज लाइट’ ने कांस फिल्म फेस्टिवल में ग्रैंड प्रिक्स जीता – 30 साल में पहली भारतीय फिल्म को यह सम्मान मिला। कनी कुस्रुति, दिव्या प्रभा, छाया कदम और हृदु हारून के शानदार अभिनय ने इसे खास बनाया।
शुची तलाटी की ‘गर्ल्स विल बी गर्ल्स’ एक बेहतरीन कमिंग-ऑफ-एज ड्रामा थी, जिसमें प्रीति पनिग्रही, कनी कुस्रुति और केसव बिनॉय किरण ने उम्र की सीमाओं को तोड़ते हुए जीवन के सबक सिखाए। इम्तियाज अली की ‘अमर सिंह चमकीला’ में दिलजीत दोसांझ और परिणीति चोपड़ा ने पंजाब के दलित लोक गायक की जीवनी को जीवंत किया, जो साल की सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में शुमार हुई।
ओटीटी का सुनहरा दौर
थिएटर्स की कमजोरी को ओटीटी ने पूरा किया। रिची मेहता की ‘पोचर’ ने निमिषा सजयन, रोशन मैथ्यू और कनी कुस्रुति के साथ हाथी दांत की तस्करी के नेटवर्क को उजागर किया, जो अमेजन प्राइम पर हिट रही। जय मेहता की ‘लूटेरे’ ने सोमाली पाइरेट्स और यूक्रेनी कंटेनर्स के साथ हाई-सीज हाईजैक ड्रामा पेश किया, जिसमें राजत कपूर और विवेक गोम्बर चमके।
अनुभव सिन्हा की ‘आईसी 814’ ने कंधार हाईजैक की सच्ची घटना पर विजय वर्मा, नसीरुद्दीन शाह और पंकज कपूर के साथ ग्रिपिंग ड्रामा रचा। गूगल इंडिया के अनुसार, टॉप ओटीटी शोज में ‘हीरामंडी’ (संजय लीला भंसाली), ‘मिर्जापुर’, ‘कोटा फैक्ट्री’, ‘पंचायत’ और ‘गुल्लक’ शामिल रहीं। वोग इंडिया के मुताबिक, ‘मामला लीगल है’, ‘रात जवान है’ और ‘महारानी’ के नए सीजन ने भी दर्शकों को बांधे रखा।
निष्कर्ष
2024 ने साबित कर दिया कि भारतीय सिनेमा अब सिर्फ बड़े सितारों पर निर्भर नहीं। हॉरर-कॉमेडी की लहर, छोटी फिल्मों की संवेदनशीलता और ओटीटी की पहुंच ने साल को बचाया। 2025 में क्या होगा? शायद यही विविधता हमें और रोमांचक कहानियां देगी। स्क्रीन डिजिटल पर अपडेट्स के लिए बने रहें।

