1st Death Anniversary: देश भर में सभी राजनेता दल मना रहे मुलायम सिंह की पहली पुण्यतिथि

1st Death Anniversary: समाजवादी नेता, पूर्व रक्षा मंत्री और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की पहली पुण्यतिथि पर लोग उन्हें याद कर रहे हैं. 10 अक्टूबर 2022 को अपने 83 वें जन्मदिन से ठीक 42 दिन पहले मुलायम सिंह यादव ने गुड़गांव के मेदांता हास्पिटल में आखिरी सांसें लीं थी. आज उनकी पहली पुण्यतिथि है.

Mulayam Singh Yadav First Death Anniversary:

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव इस मौके पर सैफई में हैं. उन्होंने अपने पिता के समाधि स्थल पर जाकर श्रद्धासुमन अर्पित किए. पार्टी संस्थापक मुलायम सिंह यादव की प्रथम पुण्यतिथि पर मुख्य कार्यक्रम वहीं आयोजित किया गया है. बताया जा रहा है कि श्रद्धांजलि सभा में भविष्य के लिए राजनीतिक संकल्प भी सपा लेगी.

भारत के एक राजनेता एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री थे। मुलायम सिंह यादव भारत के रक्षा मंत्री भी रह चुके हैं। इससे पहले एक शिक्षक थे किन्तु शिक्षण कार्य छोड़कर इन्होंने राजनीति में कदम रखा। वर्ष 1992 में एक राजनीतिक पार्टी समाजवादी पार्टी की स्थापना की। नेताजी को 26 जनवरी 2023 की पूर्व संध्या पर पद्म विभूषण से भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु द्वारा सम्मानित किया गया।

मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवम्बर 1939 को इटावा जिले के सैफई गाँव में मूर्ति देवी व सुघर सिंह यादव के किसान परिवार में हुआ। मुलायम सिंह यादव अपने पाँच भाई-बहनों में रतनसिंह यादव से छोटे व अभयराम सिंह यादव, शिवपाल सिंह यादव, राजपाल सिंह और कमला देवी से बड़े हैं। प्रोफेसर रामगोपाल यादव इनके चचेरे भाई हैं।पिता सुघर सिंह उन्हें पहलवान बनाना चाहते थे किन्तु पहलवानी में अपने राजनीतिक गुरु चौधरी नत्थूसिंह को मैनपुरी में आयोजित एक कुश्ती-प्रतियोगिता में प्रभावित करने के पश्चात उन्होंने नत्थूसिंह के परम्परागत विधान सभा क्षेत्र जसवन्त नगर से अपना राजनीतिक सफर शुरू किया।

1st Death Anniversary:

राजनीतिक जीवन

मुलायम सिंह उत्तर भारत के बड़े समाजवादी और किसान नेता रहे हैं। एक साधारण किसान परिवार में जन्म लेने वाले मुलायम सिंह ने अपना राजनीतिक जीवन उत्तर प्रदेश में विधायक के रूप में शुरू किया। बहुत कम समय में ही मुलायम सिंह का प्रभाव पूरे उत्तर प्रदेश में नज़र आने लगा। मुलायम सिंह ने उत्तर प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग समाज का सामाजिक स्तर को ऊपर करने में महत्वपूर्ण कार्य किया। सामाजिक चेतना के कारण उत्तर प्रदेश की राजनीति में अन्य पिछड़ा वर्ग का महत्वपूर्ण स्थान हैं। समाजवादी नेता रामसेवक यादव के प्रमुख अनुयायी (शिष्य) थे तथा इन्हीं के आशीर्वाद से मुलायम सिंह 1967 में पहली बार विधान सभा के सदस्य चुने गये और मन्त्री बने। 1992में उन्होंने समाजवादी पार्टी बनाई। वे तीन बार क्रमशः 5 दिसम्बर 1989 से 24 जनवरी 1991 तक, 5 दिसम्बर 1993 से 3 जून 1996 तक और 29 अगस्त 2003 से 11 मई 2007 तक उत्तर प्रदेश के मुख्य मन्त्री रहे। इसके अतिरिक्त वे केन्द्र सरकार में रक्षा मन्त्री भी रह चुके हैं। उत्तर प्रदेश में यादव समाज के सबसे बड़े नेता के रूप में मुलायम सिंह की पहचान है। उत्तर प्रदेश में सामाजिक सद्भाव को बनाए रखने में मुलायम सिंह ने साहसिक योगदान किया। मुलायम सिंह की पहचान एक धर्मनिरपेक्ष नेता की है। उत्तर प्रदेश में उनकी पार्टी समाजवादी पार्टी को सबसे बड़ी पार्टी माना जाता है। उत्तर प्रदेश की सियासी दुनिया में मुलायम सिंह यादव को प्यार से नेता जी कहा जाता है।

2012 में समाजवादी पार्टी को उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव में पूर्ण बहुमत मिला। यह पहली बार हुआ था कि उत्तर प्रदेश में सपा अपने बूते सरकार बनाने की स्थिति में थी। नेता जी के पुत्र और सपा के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बसपा की सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार का मुद्दा जोर शोर से उठाया और प्रदेश के सामने विकास का एजेंडा रखा। अखिलेश यादव के विकास के वादों से प्रभावित होकर पूरे प्रदेश में उनको व्यापक जनसमर्थन मिला। चुनाव के बाद नेतृत्व का सवाल उठा तो नेताजी ने वरिष्ठ साथियों के विमर्श के बाद अखिलेश यादव को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया। अखिलेश यादव मुलायम सिंह के पुत्र है। अखिलेश यादव ने नेता जी के बताए गये रास्ते पर चलते हुए उत्तर प्रदेश को विकास के पथ पर आगे बढ़ाया.

Mulayam Singh Yadav First Death Anniversary:

‘समाजवादी पार्टी’ के नेता मुलायम सिंह यादव पिछले तीन दशक से राजनीति में सक्रिय हैं। अपने राजनीतिक गुरु नत्थूसिंह को मैनपुरी में आयोजित एक कुश्ती प्रतियोगिता में प्रभावित करने के पश्चात मुलायम सिंह ने नत्थूसिंह के परम्परागत विधान सभा क्षेत्र जसवन्त नगर से ही अपना राजनीतिक सफर आरम्भ किया था। मुलायम सिंह यादव जसवंत नगर और फिर इटावा की सहकारी बैंक के निदेशक चुने गए थे। विधायक का चुनाव भी ‘सोशलिस्ट पार्टी’ और फिर ‘प्रजा सोशलिस्ट पार्टी’ से लड़ा था। इसमें उन्होंने विजय भी प्राप्त की। उन्होंने स्कूल के अध्यापन कार्य से इस्तीफा दे दिया था। पहली बार मंत्री बनने के लिए मुलायम सिंह यादव को 1977 तक इंतज़ार करना पड़ा, जब कांग्रेस विरोधी लहर में उत्तर प्रदेश में भी जनता सरकार बनी थी। 1980 में भी कांग्रेस की सरकार में वे राज्य मंत्री रहे और फिर चौधरी चरण सिंह के लोकदल के अध्यक्ष बने और विधान सभा चुनाव हार गए। चौधरी साहब ने विधान परिषद में मनोनीत करवाया, जहाँ वे प्रतिपक्ष के नेता भी रहे।

1st Death Anniversary:

मुलायम सिंह यादव का सियासी सफर

1967 में पहली बार उत्तर प्रदेश के जसवंतनगर से विधायक बने.

1996 तक मुलायम सिंह यादव जसवंतनगर से विधायक रहे.

पहली बार वे 1989 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने.

1993 में वे दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने.

1996 में पहली बार मुलायम सिंह यादव ने मैनपुरी से लोकसभा चुनाव लड़ा.

1996 से 1998 तक वे यूनाइटेड फ्रंट की सरकार में रक्षा मंत्री रहे.

उसके बाद मुलायम सिंह यादव ने संभल और कन्नौज से भी लोकसभा का चुनाव जीता.

2003 में एक बार फिर मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने.

मुलायम सिंह यादव 2007 तक यूपी के सीएम बने रहे.

इस बीच 2004 में उन्होंने लोकसभा चुनाव भी जीता, लेकिन बाद में त्यागपत्र दे दिया.

2009 में उन्होंने मैनपुरी से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीते भी.

2014 में मुलायम सिंह यादव ने आजमगढ़ और मैनपुरी दोनों जगह से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीते भी. बाद में उन्होंने मैनपुरी सीट छोड़ दी.

2019 में उन्होंने एक बार फिर मैनपुरी से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की.

अप्रैल 2023 में केंद्र सरकार ने मुलायम सिंह यादव को मरणोपरांत पद्म विभूषण से सम्मानित किया, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों अखिलेश यादव ने यह सम्मान लिया.

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