मीडिया का खुलासा : पैसे लेकर एनकाउंटर कर रही है यूपी पुलिस, स्टिंग ऑपरेशन से मचा हड़कंप

दिल्ली की एक अंग्रेजी पत्रिका के खुलासे के बाद योगी राज में पैसे लेकर एनकाउंटर करने के स्टिंग ऑपरेशन से यूपी पुलिस में हड़कंप मचा हुआ है। डीजीपी ने पैसे लेकर फर्जी एनकाउंटर करने वाले स्टिंग के सामने आते ही आरोपी तीन पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया है। अब विभागी जांच की बात की जा रही है।
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओम प्रकाश सिंह ने तीन आरोपी पुलिसकर्मियों को निलंबित करने के साथ ही मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। अंग्रेजी पत्रिका की जांच पर प्रदेश पुलिस में शीर्ष स्तर पर तेजी से कदम उठाया है।
आगरा के एसएसपी अमित पाठक ने टेप पर निर्दोष नागरिकों के साथ फर्जी मुठभेड़ के लिए तैयार होने की बात कहने वाले तीन पुलिस अधिकारियों के तत्काल प्रभाव से निलंबन का भी ऐलान किया है। एसएसपी पाठक ने कहा है कि मैं मानता हूं कि पुलिस फोर्स में कोई भी अपने निहित स्वार्थ के लिए कार्य मानदंडों के विपरीत जाता है और झूठे मामलों में निर्दोष नागरिकों को फंसाता है, तो उसके साथ सख्ती से पेश आना चाहिए।
उत्तर प्रदेश पुलिस ने अपने आधिकारिक ट्वीटर हैंडल से इस बाबत जानकारी दी है। ट्वीट में लिखा गया है कि पुलिस महानिदेशक ने पुलिसकर्मियों के इस तरह के गैर-जिम्मेदाराना बयान को गंभीरता से लिया है जिससे यूपी पुलिस की छवि धूमिल हुई है। पुलिस महानिदेशक ने आरोपी पुलिसकर्मियों को निलंबित करने का आदेश दिया है।
अंग्रेजी पत्रिका की एसआईटी ने अपनी जांच के दौरान पाया कि योगी सरकार के कार्यकाल के दौरान मुठभेड़ों में मरने वालों का आंकड़ा 60 से ऊपर पहुंच गया है।
आप को आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2017 से अब तक उत्तर प्रदेश पुलिस की ओर से की गई करीब 1500 मुठभेड़ों में 400 के आसपास लोग घायल हुए हैं। अंग्रेजी पत्रिका की स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम की जांच से सामने आया कि यूपी पुलिस के कुछ सदस्य झूठे मामलों में निर्दोष नागरिकों को फंसा रहे हैं और फिर उन्हें फर्जी मुठभेड़ों में शूट कर रहे हैं। ये सब तरक्की और दूसरों से पैसा लेकर किसी को ठिकाने लगाने के इरादे से किया जा रहा है।
यूपी में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद से सिर्फ आगरा जोन में 241 मुठभेड़ हुई हैं। स्थानीय चित्राहाट पुलिस स्टेशन के एक सब इंस्पेक्टर ने एक निर्दोष नागरिक को मारने के लिए आठ लाख रुपये कीमत लगाइ। अंग्रेजी पत्रिका के मुताबिक अंडर कवर रिपोर्टर्स ने जांच के तहत खुद को कारोबारी बताते हुए अपने एक काल्पनिक प्रतिस्पर्धी को फर्जी मामले में फंसाने के लिए सब इंस्पेक्टर से संपर्क किया। इसी दौरान फर्जी मुठभेड़ का मामला सामने आया।

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