बीजेपी है तो 100 रुपए किलो प्याज मुमकिन है
नई दिल्ली। कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी, राहुल गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी आज दिल्ली के रामलीला मैदान में ‘भारत बचाओ रैली कर रही है। इस रैली का उद्देश्य भाजपा सरकार की ‘विभाजनकारीÓ नीतियों को उजागर करना है। पार्टी के शीर्ष नेता रैली को संबोधित कर केन्द्र सरकार की विफलताओं और देश के नागरिकों को बांटने के कथित प्रयासों को उजागर कर रही है।
प्रियंका गांधी ने कहा, ये कैसा देश है? यह देश प्रेम और अहिंसा का देश है। यह देश अच्छाई और सच्चाई का सपना है। यह देश लोकतंत्र को शक्ति देने वाला है। प्रियंका गांधी ने कहा जब मैंने उन्नाव की पीडि़त परिवार की एक छोटी सी बच्ची से पूछा कि बड़ी होकर तुम क्या बनोगी तो पहले तो उसने कुछ नहीं कहा लेकिन बाद में उसने कहा कि जो वकील से बड़ा होता है। यानी वह जज बनना चाहती है। प्रियंका गांधी ने कहा कि इस देश की मिट्टी में मेरे पिता का खून मिला हुआ है। उन्होंने कहा असलियत ये है कि बीजेपी है तो 100 रुपये किलो प्याज मुमकिन है। बीजेपी है तो 45 साल में सबसे ज्यादा बेरोजगारी भी मुमकिन है। बीजेपी है तो चार करोड़ नौकरियां नष्ट होना मुमकिन है। इस रैली में राहुल गांधी केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा कि मेरा नाम राहुल सावरकर नहीं है। देश बदनाम हो रहा है। देश की अर्थव्यवस्थ है नहीं थी। मनमोहन सिंह मोदी सरकार के सारे वादे झूठे साबित हो रहे हैं। जो कहा जा रहा है और दिखाया जा रहा है ठीक उसके विपरीत हो रहा है।
महंगाई और बेरोजगारी बढ़ती जा रही है। विभाजनकारी कानून से देश खतरे में है: प्रियंका
पी चिदंबरम ने कहा कि 6 महीने में मोदी सरकार ने भारत की अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर दिया है। मंत्री पूरी तरह से अनाड़ी हैं। कल वित्त मंत्री ने कहा कि सब कुछ ठीक है, हम दुनिया में शीर्ष पर हैं। केवल एक चीज जो उसने नहीं कही थी, ‘अच्छे दिन आने वाले है।
- दिल्ली के रामलीला मैदान में कांग्रेस की रैली को लेकर तैयारी जोरो पर
- अहमद पटेल, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, के सी वेणुगोपाल, मुकुल वासनिक और अविनाश पांडे सहित कांग्रेस के कई शीर्ष नेताओं ने रामलीला मैदान का दौरा किया और शनिवार की ‘भारत बचाओ’ रैली की तैयारियों की समीक्षा की।
- इसी बीच असम कांग्रेस ने शुक्रवार को जंतर मंतर पर नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। असम कांग्रेस के प्रदर्शनकारियों ने दावा किया गया कि इस अधिनियम से असमिया भाषी लोग अपनी पहचान और संस्कृति खो देंगे।