छात्रों को बताई रिचर्स-टेक्नोलॉजी की बारीकियां

नोएडा। सेक्टर-62 स्थित इस्टीट्यूट ऑफ मैंनेजमेंट स्टडीज (आईएमएस) में शिक्षण, अग्रिम अनुसंधान पद्धति एवं मॉडलिंग तकनीक पर फैकेल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का आयोजन हुआ। यहां दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के पूर्व प्रोफेसर डॉ. वाई.पी गुप्ता ने अनुसंधान से जुड़ी समस्या एवं निराकरण के उपाए की चर्चा की।
अनुसंधान पद्धति एवं मॉडलिंग तकनीक की चर्चा करते हुए डॉ. वाई.पी गुप्ता ने बताया कि किसी भी अच्छे अनुसंधान के लिए दिशा एवं अनुसंधान कार्यप्रणाली का होना जरूरी है। अनुसंधान हमेशा ऐसे विषयों पर करना चाहिए जो सामाजिक हित एवं समाज के सभी वर्गों के लिए उपयोगी हो। एक उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि हमारे दादा-दादी के समय कहा जाता था कि देशी-घी खाना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है, लेकिन बाद में अनुसंधानकर्ता ने देशी-घी को चिकनाईयुक्त बताकर स्वास्थ्य के लिए हानीकारक बाताया, आगे चलकर पुन: इसी विषय पर नए अनुसंधानकर्ता ने यह सिद्ध किया कि देशी-घी वास्तव में हमारे स्वास्थ्य के लिए हानीकारक नहीं है।
संस्थान के शैक्षणिक निदेशक डॉ.जे.पी शर्मा ने एफडीपी की उपयोगिता बताता हुए कहा कि इस दो दिवसीय कार्यक्रम में हम अनुसंधान के तकनीक, अनुसंधान में आने वाली समयस्या एवं इसके समाधान के बारे में जानने को मिला। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के माध्यम से शैक्षणिक उत्कृष्ता में वृद्धि के साथ-साथ समाजिक अनुसंधान के लिए प्रेरणा मिलेगी। वहीं फैकेल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम की शुरूआत आईएमएस के शैक्षणिक निदेशक डॉ.जे.पी शर्मा, स्कूल ऑफ लॉ के डीन डॉ. के.एस भाटी, स्कूल ऑफ आई.टी के डीन डॉ. अजय कुमार गुप्ता साथ ट्रेनर डॉ. वाई.पी गुप्ता ने दीप प्रज्जलित कर किया।

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