एक होने चाहिए एनसीआर पुलिसिंग के मापदंड : सिंह
नोएडा। पुलिस रिफॉम्र्स की बात हो और प्रकाश सिंह का नाम न लिया जाए तो मुद्दा अधूरा लगता है। 1959 बैच के आईपीएस ऑफिसर एवं यूपी के रि. पुलिस महानिदेशक प्रकाश सिंह ने कहा कि नोएडा, गाजियाबाद, गुरुगाम और फरीदाबाद आदि इलाकों में अपराध पर नियंत्रण पाने के लिए एनसीआर पुलिसिंग के मापदंड एक होने चाहिए।
जय हिंद जनाब से विशेष बातचीत के दौरान पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह ने कहा कि पुलिस व्यवस्था बेहतर करने के लिए नोएडा, दिल्ली, गुडग़ांव, फरीदाबाद, गाजियाबाद, मेरठ आदि के अधिकारियों में बेहतर कोआर्डिनेशन होनी चाहिए ताकि कोई भी अपराधी अपराध करने के बाद बच न पाए।
पहले की पुलिसिंग में और आज की पुलिसिंग में क्या अंतर देखते हैं?
मैं बताना चाहूंगा। पहले पुलिस का राजनीतिकरण नहीं था लेकिन अब पुलिस का पूरी तरह राजनीतिकरण हो गया है। अफसरों को राजनीतिक पार्टियों में बांटा जा रहा है। पहले केवल इतना होता था कि यह अफसर एक बड़े नेता के परिचित हैं। मगर आजकल कहा जाता है कि यह अफसर एक एक्स पार्टी का है। इसके साथ ही ब्यूरोक्रेसी और राजनीतिक नेक्सिज से अपराधीकरण भी बढ़ रहा है यह नेक्सिज पुलिस को ईमानदारी से अपना काम करने नहीं देता।
पुलिसिंग बेहतर करने के लिए क्या-क्या करना चाहिए?
पुलिसिंग बेहतर करने के लिए सबसे पहले मैन पावर की कमी को दूर करने पर ध्यान देना चाहिए। इस समय पूरे देश में डेढ़ लाख पुलिस कर्मियों की कमी है। इसके अलावा संसाधनों में संचार, गाडिय़ां, फॉरेंसिक लैब, आधुनिक हथियार आदि बेहद कम है। इसकी पूर्ति होनी चाहिए। मैं बताना चाहूंगा कि सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों से रिक्त स्थानों को भरने की कार्ययोजना मांगी थी हर एक राज्य में कोर्ट को बताया लेकिन बिहार की कार्य योजना कोर्ट को समझ नहीं आई इसलिए बिहार की खिंचाई भी की गई। सैद्धांतिक मामला भी है कि पुलिस किसके प्रति उत्तरदायी है और कितना ईमानदारी से काम करती है।
पुलिस संविधान के या फिर मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव आदि में से किसके प्रति उत्तरदायी है। ये सबसे बड़ा सवाल है। पहले संसाधन जुटाया जाए और फिर सैद्धांतिक तौर पर पुलिस को जिम्मेदारी लेनी चाहिए। पुलिस की व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए कि हर एक पुलिसकर्मी स्वयतता से काम कर सके।
अफसर ईमानदार और कार्य के प्रति जुझारू कैसे बन सकते हैं?
कोई भी अफसर ईमानदार और काम के प्रति जुझारू तभी रह सकता है जब उसे अपने कार्यकाल की सिक्योरिटी हो। मेरा मानना है कि राज्यों को डीजीपी से लेकर एसएचओ तक के पद पर तैनात अधिकारियों का कार्यकाल दो वर्ष का करना चाहिए। यदि किसी भी अधिकारी को पता रहेगा कि 2 साल तक वह पद पर बना रहेगा तो ईमानदारी से काम करेगा। यदि कोई व्यक्ति किसी भी तरह से किसी घोटाले में या चरित्रहीन के आरोप में घिरता है तो उसे एक निर्धारित प्रक्रिया के तहत हटाया जाना चाहिए।
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