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प्राधिकरण, प्रशासन और बैकों में भ्रष्ट्राचार का नतीजा अवैध फ्लैट

नोएडा। हैरत की बात है कि प्राधिकरण की जमीन पर कब्जा कर के अलग-अलग स्थानों पर बहुमंजिला इमारतें बनाई जा रही है और प्राधिकरण को पता तक नहीं है। कार्रवाई के नाम पर टीम जाती है और वापस लौट 1-2 लोगों पर कार्रवाई का लेखा-जोखा अधिकारियों को दे दिया जाता है। नोएडा के गांव बसई, गढ़ी चौखंडी, सरफाबाद, हिंडन विहार, बरोला आदि में धड़ल्ले से अवैध रूप से 6 मंजिला इमारत बन रही है। मगर प्राधिकरण की नींद नहीं टूटती।
ठीक ऐसे ही ग्रेटर नोएडा मेंं शाहबेरी वह आस-पास के इलाकों में प्राधिकरण की अधिकृत जमीन या फिर गांव की जमीन पर बहुमंजिला इमारतें तेजी से बन रही है। इस संबंध में सामाजिक संगठन, ग्रामीण और कई स्थानीय लोग भी बार बार प्राधिकरण में शिकायत करते हैं। मगर उनकी एक नहीं सुनी जाती। इसके पीछे कारण है भ्रष्टाचार। ठीक इसी तरह जिला प्रशासन से भी लोग बार-बार गुहार लगाते हैं कि ग्राम समाज, तालाब आदि की जमीन घेरकर कॉलोनाइजर कॉलोनी काट रहे हैं। जिन पर इमारतें बन रही हैं। मगर जिला प्रशासन और प्राधिकरण एक दूसरे को जिम्मेदार ठहरा कर कार्रवाई के नाम पर इतिश्री कर लेते हैं।
बताया जाता है कि अवैध रूप से कॉलोनी काटने वाले कालोनाईजर जिला प्रशासन के कुछ कर्मचारियों से सांठगांठ कर अपने मंसूबों में कामयाब हो जाते हैं। ठीक ऐसे ही बैंक में भी होता है। बैंक से यदि किसी व्यक्ति को लोन कराना है तो कुछ बिल्डर बैंक कर्मियों और अधिकारियों से सांठगांठ कर अवैध जगह पर भी लोन करा देते हैं। इससे बैंक का एनपीए तो बढ़ेगा ही साथ ही जो लोग लाखों का लोन लेकर उसे चुकाना चाहते हैं उनकी कमर टूट जाएगी। इस सब के पीछे भ्रष्टाचार ही घर कर चुका है। समय रहते इस पर कार्रवाई नहीं की गई तो आम जनता फंसती जाएगी। छोटे-छोटे बिल्डर अपने मुनाफे के लिए लोगों की जान से खिलवाड़ करते रहेंगे। जरूरत है कि इस मामले में शासन की ओर से कड़े कदम उठाए जाएं।  प्रशासन की ओर से ईमानदारी से जांच पड़ताल की जाए तो इस गोरख धंधे में एक-दो नहीं बल्कि दर्जनों ऐसे अधिकारियों की मिली भगत रहेगी जो अवैध निर्माण को बढ़ावा देते हैं।

जिस वक्त आप फ्लैट खरीदने के लिए जाते हैं तो आलीशान एवं मजबूत मकान देने का ख्वाब दिखाया जाता है। यदि आपके पास पूरा पैसा नहीं है बैंक से लोन कराने तक की जिम्मेदारी बिल्डर और प्रॉपर्टी डीलर उठा लेते हैं। मगर, 20 लाख के लोन में 2 लाख रुपए तक का कमीशन वसूला जाता है।

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