बीड़ी-सिगरेट का धुआं बच्चों को बना रहा सांस का रोगी
लखनऊ। अगर आप घर में बैठकर बीड़ी व सिगरेट पी रहे हैं तो इसका सबसे खराब असर आपके बच्चे के स्वास्थ्य पर पड़ेगा। बच्चों की लंबाई कम होने के कारण बीड़ी व सिगरेट का खतरनाक धुआं उन्हें अस्थमा का रोगी बना रहा है। यह जानकारी विशेषज्ञों ने दी। रविवार को होटल क्लार्क अवध में यूपी रेस्पीकॉन 2018 का उदघाटन कानून मंत्री बृजेश पाठक ने किया।
उन्होंने कहा कि चिकित्सा के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हो रही है। उन्होंने बढ़ते प्रदूषण पर चिंता व्यक्त की और कहा कि पर्यावरण को बचाना सबकी जिम्मेदारी है। कार्यक्रम में एरा मेडिकल कॉलेज के कुलपति प्रो. अब्बास अली मेंहदी भी मौजूद रहे।
यूपी रेस्पिरेटरी चैप्टर के सचिव व बाल रो विशेषज्ञ डॉ. विवेक सक्सेना ने कहा कि इनडोर पॉल्यूशन हर तीसरे घर में है। इससे सबसे ज्यादा प्रभावित बच्चे हो रहे हैं, क्योंकि लंबाई कम होने के कारण सांस की नली में जहरीले पदार्थ पहुंच रहे हैं। क्योंकि बीडी-सिगरेट का जहरीला धुआं वातावरण की निचली सतह पर रहता है। जो सांस के जरिए बच्चे के फेफड़े में खराब असर डालता है। उसकी लंबाई सामान्य से कम हो जाती है। यही नहीं गर्भस्थ शिशुओं को भी घर में होने वाले इस प्रदूषण से नुकसान पहुंच रहा है।
कार्यक्रम में केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष प्रो. सूर्यकांत ने बताया कि कुल टीबी के मरीजों में सात प्रतिशत बच्चे हैं। देश के दस जिलों को टीबी मुक्त बनाने का संकल्प लिया गया है इसमें लखनऊ व वाराणसी शामिल है। कार्यक्रम में बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. आशुतोष वर्मा ने कहा कि प्रदूषण, गंदगी व अधिक गर्मी पडऩे के कारण पहले 15 साल के किशोर ज्यादा आते थे लेकिन अब सात महीने के बच्चों को भी एलर्जी हो रही है। उन्होंने कहा कि इन्हेलर एक नई थैरेपी है इससे दमा आसानी से ठीक होता है। बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. डीसी पांडेय ने कहा कि पांच साल तक क बच्चों की मौत का सबसे बड़ा कारण निमोनिया है। दस प्रतिशत बच्चों की मौत निमोनिया से होती है। निमोनिया से बचने के लिए सरकार ने टीकाकरण शुरू किया है। इससे दो प्रतिशत तक निमोनिया से होने वाली मौत में कमी आएगी।