बार-बार कोशिशें हो रही नाकाम
हिंदी हॉट लैंड कहे जाने वाले राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में हार के बाद सभी दल अब लोकसभा चुनाव 2019 की तैयारियों में जुट गए हैं। उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक सीटे हैं। इसलिए यूपी को ही टारगेट किया जा रहा है। खासतौर पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिकता की चिंगारी भड़काने की कोशिशें जारी है। मेरठ में सांप्रदायिक तनाव फैलाने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाए गए। इतना ही नहीं यहां हिंदू और मुसलमान के बीच खाई पैदा की गई। बुलंदशहर में हो रहे इज्तेमा के बाद यहां से स्याना में बवाल कराने के बाद सांप्रदायिकता फैलाने की कोशिश की गईं, लेकिन सलाम है उस इंस्पेक्टर को जिसने जान देकर हिंदू और मुसलमान होने से रोक दिया। अब सरकार की कठपुतली बनी पुलिस के जरिए एक बार फिर से सांप्रदायिकता का संदेश देने की कोशिश जारी है। सेक्टर-58 के पार्क में वर्षों से नमाज होती आ रही है लेकिन अब नमाज पर पाबंदी लगाई गई है। लगता है कि भाजपा सरकार हर सूरत में सांप्रदायिक नफरत फैलाकर अपने एजेंडे को साकार करना चाहती है। वैसे तो भाजपा के सहयोगी दल भी अब उसे अपने तेवर दिखाने लगे हैं। यूपी में अपना दल के साथ-साथ कई अन्य सहयोगी दलों ने शर्तें रख दी हैं। वहीं केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी बगावती तेवर दिखाए हैं। जिसके चलते पार्टी आलाकमान में हलचल बढ़ गई है। बिहार में भाजपा ने स्थिति को अनियंत्रित होते देख सीटों के बंटवारे पर शर्त मानी और पासवान-नीतीश कुमार को तुरंत अपने खेमे में ले लिया। उत्तर प्रदेश में अखिलेश और मायावती के गठबंधन की सुगबुगाहट से भाजपा में असुरक्षा की भावना आ गई है। यही कारण है कि यूपी के शो विंडो नोएडा में कुछ ऐसा कराने की कोशिश है जिससे देशभर में सांप्रदायिकता का संदेश जाए और कुछ दल अपने मंसूबों में कामयाब हो जाए। मगर अब मुद्दे की भी हवा निकलती दिख रही हैं क्यों की पार्क नमाज पर पाबंदी लगाने को मुस्लिम समाज भी सही ठहरा रहा है। इसलिए कोशिशें नाकाम हो रही हैं।