पीसी गुप्ता के घोटालों की जांच अब सीबीआई के हवाले
ग्रेटर नोएडा/गाजियाबाद। यमुना एक्सप्रेसवे घोटाला मामले की जांच का जिम्मा अब सीबीआई ने ले लिया है। अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि एजेंसी ने अपनी प्राथमिकी में पूर्व सीईओ पीसी गुप्ता और 20 अन्य को नामजद किया है। अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी ने उत्तर प्रदेश सरकार की अनुशंसा के अनुरूप यह कदम उठाया है। सरकार ने यमुना एक्सप्रेसवे परियोजना के लिए मथुरा में बड़ी जमीनों की खरीद में हुई 126 करोड़ रुपए की कथित अनियमितताओं की जांच करने को कहा है।
अधिकारिक सूत्रों ने बताया कि राज्य सरकार के मुताबिक तत्कालीन यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने यमुना एक्सप्रेसवे के लिए मथुरा के सात गांवों में 85 करोड़ रुपये में जमीन खरीदी थी जिससे राज्य सरकार को 126 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
पूरे मामले पर प्रकाश डालने पर यमुना के जांच के अधिकारियों ने पाया कि उस जमीन को अधिग्रहण कर खरीदा गया जिसकी अभी आवश्यकता ही नहीं थी। इतना ही नहीं जिनकी जमीन ली गई उन्हें मुआवजा बड़ी दरों पर दिया गया। आरोप के मुताबिक लाभार्थियों में ज्यादातर तत्कालीन सीईओ पीसी गुप्ता के रिश्तेदार और करीबी हैं।
जिन लोगों के खिलाफ सीबीआई ने रिपोर्ट दर्ज की है ये वही हैं जिनके खिलाफ प्राधिकरण की तरफ से थाना कासना में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। उसी रिपोर्ट को आधार बनाकर सीबीआई अब जांच को आगे बढ़ाएगी।
रिपोर्ट में जिन लोगों के नाम हैं उनमें पीसी गुप्ता के अलावा तत्कालीन तहसीलदार सुरेश चंद शर्मा, संजीव कुमार निवासी गायिजाबाद, संजीव कुमार निवासी बुलंदशहर, सतेंद्र चौहान निवासी नई दिल्ली, विवेक कुमार जैन निवासी कासना, सतेंद्र चौहान निवासी बुलंदशहर, सुरेंद्र सिंह निवासी नई दिल्ली, मदनपाल निवासी बुलंदशहर, अजीत कुमार निवासी शाहदरा नई दिल्ली, जुगेश कुमार निवासी कासना, धर्मेंद्र सिंह चौहान, निवासी आगरा, निर्दोष चौधरी निवासी शास्त्री नगर गाजियाबाद, गौरव कुमार निवासी शाहदरा नई दिल्ली, मनोज कुमार निवासी मेरठ, अनिल कुमार निवासी गांव देहरा नई दिल्ली, स्वाति दीप शर्मा निवासी नजफगढ़, स्वदेश गुप्ता एडब्ल्यूएचओ, ग्रेटर नोएडा, सोनाली निवासी सीतापुर, प्रमोद कुमार यादव निवासी इटावा, निधि चतुर्वेदी निवासी कासना और कई अधिकारी हैं।