चेचक जैसे लक्षण को न करें नजर अंदाज, हो सकता है मंकीपॉक्स: सोनाक्षी सक्सेना
नोएडा । मंकीपॉक्स एक गंभीर लेकिन नियंत्रित करने योग्य वायरस जनित रोग है, जो संक्रमित जानवरों और व्यक्तियों के निकट संपर्क से फैलता है। इसके लक्षण चेचक के समान होते हैं, लेकिन आमतौर पर कम गंभीर होते हैं। सही बचाव और जागरूकता के माध्यम से इसके प्रसार को रोका जा सकता है। यदि लक्षण प्रकट हों, तो तुरंत चिकित्सा सहायता लेना और उचित उपचार करना महत्वपूर्ण है। फेलिक्स अस्पताल से जनरल फिजिशियन डॉ. सोनाक्षी सक्सेना का कहना है कि मंकीपॉक्स एक दुर्लभ वायरस जनित रोग है जो मंकीपॉक्स वायरस के कारण होता है। यह रोग स्मॉलपॉक्स (चेचक) के समान ही है, लेकिन इसके लक्षण अपेक्षाकृत कम गंभीर होते हैं।
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उन्होंने बताया कि मंकीपॉक्स पहली बार 1958 में रिसर्च के लिए रखे गए बंदरों में पाया गया था, जिसके कारण इसे “मंकीपॉक्स” नाम दिया गया। हालांकि यह रोग मुख्यत: चूहों, गिलहरियों और अन्य छोटे स्तनधारियों में पाया जाता है, और यह संक्रमित जानवरों से मनुष्यों में फैलता है। मंकीपॉक्स संक्रमित जानवरों के काटने, खरोंच या उनके शरीर के तरल पदार्थ के संपर्क में आने से मनुष्यों में फैल सकता है। इसके अलावा संक्रमित व्यक्ति के निकट संपर्क, जैसे कि शारीरिक स्पर्श या सांस के माध्यम से भी यह फैल सकता है। संक्रमित वस्त्र, बिस्तर, या अन्य सामग्री के संपर्क में आने से भी यह वायरस फैल सकता है। मंकीपॉक्स के दो मुख्य प्रकार (क्लेड्स) होते हैं, जो उनके भौगोलिक उत्पत्ति के आधार पर वगीर्कृत किए जाते हैं। पहला कांगो बेसिन क्लेड।
यह मंकीपॉक्स का अधिक गंभीर प्रकार है, जो आमतौर पर कांगो बेसिन क्षेत्र में पाया जाता है। इसके संक्रमण की दर अधिक होती है, और इससे मृत्यु दर भी अपेक्षाकृत अधिक होती है जो कि लगभग 10% तक है। इस क्लेड से संक्रमित लोगों में लक्षण अधिक गंभीर हो सकते हैं। दूसरा पश्चिम अफ्रीकी क्लेड है। यह मंकीपॉक्स का कम गंभीर प्रकार है, जो पश्चिम अफ्रीका के क्षेत्रों में पाया जाता है। इसके संक्रमण की दर और मृत्यु दर कम होती है जो कि लगभग 1% से कम है।
इस प्रकार के मंकीपॉक्स से संक्रमित व्यक्तियों में लक्षण सामान्यत: हल्के होते हैं। इन दोनों प्रकारों के बीच मुख्य अंतर संक्रमण की गंभीरता और मृत्यु दर में होता है।