लखनऊ। अयोध्या में राम मंदिर बनाने को लेकर एक बार फिर से राजनीति गरमाने लगी है। 2019 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले राम मंदिर का जिन बाहर निकल आया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साधु संतों को आश्वस्त किया है कि राम मंदिर बनकर रहेगा और उन्हीं की सरकार इसे बनवाएगी। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं ठीक वैसे-वैसे मुद्दा गरमाता जा रहा है। आज शिवसेना ने भी राम मंदिर को लेकर योगी आदित्यनाथ के समक्ष हंगामा किया।
वीएचपी, बजरंग दल जैसे हिंदूवादी संगठन, आरएसएस, शिवसेना और बीजेपी के कई नेता लगातार राम मंदिर बनाए जाने के लिए सत्तारूढ़ दल पर दबाव बना रहे हैं और कानून लाये जाने की मांग कर रहे हैं( इस बीच सूत्रों ने बताया है कि जनवरी में सुप्रीम कोर्ट में जब राम मंदिर पर सुनवाई होगी तो सरकार केस की नियमित सुनवाई की मांग करेगी।
कोर्ट में सरकार की ओर से कहा जा सकता है कि राम मंदिर मामले में जनभावनाओं को देखते हुए कोर्ट को इस मुकदमे की सुनवाई जल्द पूरी करनी चाहिए. सरकार कानून लाए जाने की मांग पर यह बार-बार दोहराती रही है कि राम मंदिर संवैधानिक दायरे में रहकर ही बनेगा।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के 2010 के आदेश के खिलाफ दायर याचिकाओं पर अगले साल जनवरी में सुनवाई करने का निर्णय लिया है. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने आदेश में अयोध्या के विवादित स्थल के तीन हिस्से कर राम लला, निर्मोही अखाड़ा और मुस्लिम वादी में बांट दिया था। जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। हिंदूवादी संगठनों ने सीधा तौर पर सुनवाई में देरी का आरोप लगाया है।
21 दिसंबर को आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और हिंदू संतों ने अयोध्या में विवादित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्थल पर मंदिर निर्माण को लेकर चर्चा की थी. राजकोट में हुई इस बैठक को लेकर एक धार्मिक नेता ने बताया था कि बैठक में मौजूद भागवत और संतों ने स्पष्ट रूप से कहा कि मंदिर का निर्माण मई 2019 से पहले शुरू हो जाना चाहिए। अमित शाह ने पिछले दिनों एक निजी टीवी चैनल को दिये इंटरव्यू में कहा था कि अगर सुप्रीम कोर्ट में रोजाना इस मामले की सुनवाई हो, तो राम मंदिर का मसला 10 दिन में खत्म हो जाएगा।