- अक्टूबर में खुदरा मुद्रास्फीति 13 महीनों के निचले स्तर 3.31 फीसदी पर रही
- थोक कीमतों पर आधारित मुद्रास्फीति अक्टूबर में 4 महीनों के ऊंचे स्तर 5.28 फीसदी पर रही
- खुदरा महंगाई दर में खाद्य पदार्थों की हिस्सेदारी 54.18 फीसदी की है
- थोक महंगाई दर में खाद्य पदार्थों की हिस्सेदारी 24.4 फीसदी है
नई दिल्ली। सोमवार को जारी हुए आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर में खुदरा मुद्रास्फीति 13 महीनों के निचले स्तर 3.31 फीसदी पर रही, जबकि बुधवार को जारी हुए आंकड़े दिखाते हैं कि थोक कीमतों पर आधारित मुद्रास्फीति अक्टूबर में 4 महीनों के ऊंचे स्तर 5.28 फीसदी पर रही। ऐसे में किसी के भी मन में सवाल आ सकता है कि खुदरा मुद्रास्फीति में बड़ी गिरावट और थोक मुद्रास्फीति में बड़े उछाल की वजहें क्या हैं? चलिए हम आपको बताते हैं इसकी मुख्य वजहें-
खुदरा एवं थोक महंगाई में अंतर क्यों?
खुदरा मुद्रास्फीति में गिरावट की सबसे बड़ी वजह खाद्य पदार्थों की कीमतों में अचानक आई गिरावट है। अक्टूबर में इन कीमतों में 0.86 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। बात थोक मुद्रास्फीति में उछाल की करें तो इसके पीछे फ्यूल और पावर की कीमतों में उछाल का बड़ा हाथ रहा। अक्टूबर में इन कीमतों में 18.44 फीसदी का उछाल आया। अब सवाल उठता है कि खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरावट का असर खुदरा मुद्रास्फीति पर ही क्यों दिखाई दिया?
इसलिए दोनों में अंतर
दरअसल, ऐसा होने की वजह यह है कि खुदरा महंगाई दरमें खाद्य पदार्थों की हिस्सेदारी 54.18 फीसदी की है, जबकि थोक महंगाई दर में यह हिस्सेदारी 24.4 फीसदी है। ऐसे में साफ है कि खाद्य पदार्थों की कीमतों में बदलाव का बड़ा असर खुदरा महंगाई पर ही देखने को मिलेगा। इसी तरह फ्यूल और पावर कैटिगरी की थोक महंगाई दर में हिस्सेदारी 13.2 फीसदी है, जोकि में हिस्सेदारी (7.94 फीसदी) से ज्यादा है। साथ ही, चिकित्सा एवं शिक्षा जैसे खर्च की महंगाई आदि ऐसी हैं जिनका खुदरा महंगाई दर के आकलन में ध्यान रखा जाता है, लेकिन थोक महंगाई दर के आकलन में नहीं।