लंबे समय से हो रही थी मांग, उद्योगपतियों की सुरक्षा होगी चुनौती, भयमुक्त माहौल देने की कोशिश
जय हिन्द संवाद
नोएडा। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपराधों की रोकथाम के लिए अपनी मजबूत इच्छा दिखाते हुए नोएडा एवं लखनऊ में पुलिस कमिश्नरी व्यवस्था पर मोहर लगाकर तत्काल प्रभाव से उसे लागू कर दिया।
नोएडा में कमिश्नरी व्यवस्था लागू करने की मांग काफी समय से उठाई जा रही थी ताकि यहां की कानून व्यवस्था बेहतर हो सके। फोनरवा, नोएडा एंटरप्रेन्योर्स एसोसिएशन समेत कई संगठन कमिश्नरी व्यवस्था की मांग कर रहे थे। अब नोएडा में कमिश्नर समेत नौ आईपीएस अफसर सुरक्षा व्यवस्था के साथ ट्रैफिक व्यवस्था को संभालेंगे। इससे शहर वासियों में खुशी है लेकिन ग्रेनो वेस्ट में गौरव चंदेल की हत्या एवं लूट की वारदात का खुलासा ना होने पर स्थानीय लोगों में रोष व्याप्त है। आज नोएडा के पहले कमिश्नर आलोक सिंह कार्यभार संभाल कर नई व्यवस्था को अमलीजामा पहना जाएंगे। इससे पुलिस को कई महत्वपूर्ण अधिकार प्राप्त हो गए हैं जहां लाठी चार्ज करने के लिए पहले मजिस्ट्रेट से अनुमति लेनी पड़ती थी। अब पुलिस अपने हिसाब से यह काम कर सकेगी। इसके अलावा झगड़ा करने वालों को जमानत देने सिटी मजिस्ट्रेट की शक्ति में निहित था अब वह भी पुलिस के पास चला गया है। इतना ही नहीं धरना, प्रदर्शन, जुलूस, मार्च आदि की अनुमति भी अब पुलिस ही देगी। आलोक सिंह ने मेरठ जोन आईजी का पद छोड़ कर यहां कमिश्नर का पद ग्रहण कर लिया है। उन्होंने यहां मौजूद पुलिस अफसरों से भी बातचीत की एसपी सिटी अंकुर अग्रवाल से उन्होंने गौरव चंदेल हत्याकांड के बारे में विस्तृत जानकारी ली।
थानों में ऐसा ही नहीं बल्कि तैनात होंगे इंस्पेक्टर
शहर के अलग-अलग स्थानों में अब ऐसा ही नहीं केवल इंस्पेक्टर ही तैनात होंगे। अब तक एसएसपी उन सब इंस्पेक्टरों को तैनात कर देते थे जो अपने काम में माहिर हैं और अपराध रोकने के लिए जुझारू रूप से लगे रहते हैं। सूत्र बता रहे हैं कि थाना सेक्टर 58, 24, 49, साइट 5 समेत कई अन्य थानों में सब इंस्पेक्टर को थानाध्यक्ष बनाया हुआ है लेकिन जल्द ही अब उनको हटाकर इंस्पेक्टर की तैनाती की जाएगी। हालांकि इन सभी थानों में सब इंस्पेक्टर इसलिए तैनात किए गए थे ताकि यह लोग अपराधों पर अंकुश पा सके। इन सब इंस्पेक्टर्स में बड़े-बड़े मामलों के खुलासे किए और एसएसपी ने इनके काम से प्रभावित होकर इन्हें थानों में तैनात कर दिया।
जनता का विश्वास जीतना पुलिस के लिए होगा महत्वपूर्ण
कमिश्नरी अवस्था में अधिकतर अधिकार पुलिस के पास चले जाते हैं ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि पुलिस पर सबसे कम विश्वास करने वाली जनता के बीच उन पर कैसे विश्वास स्थापित किया जाएगा कई बार बड़े-बड़े धरना प्रदर्शन में देखा गया है कि पुलिस के हाथ से मामला निकलने के बाद एसडीएम एडीएम और डीएम व्यवस्था को संभालते थे ऐसे में पुलिस कितना दायित्व निभा पाएगी
ये होंगे कमिश्नर के अधिकार
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा- 58 व अध्याय 8 (परिशांति कायम रखने के लिए और सदाचार के लिए प्रतिभूत) और अध्याय-10 (लोक व्यवस्था और शांति बनाए रखना) में परिभाषित कार्यकारी मजिस्ट्रेट की शक्तियां प्रदान की जाएंगी।
उत्तर प्रदेश गुंडा नियंत्रण अधिनियम, 1970 (उत्तर प्रदेश अधिनियम संख्या 8 सन् 1971) के विधिक अधिकार दिए जाएंगे।
विष अधिनियम, 1919 के विधिक अधिकार दिए जाएंगे।
अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम, 1956 के विधिक अधिकार दिए जाएंगे।
पुलिस (द्रोह-उद्दीपन) अधिनियम, 1922 के विधिक अधिकार दिए जाएंगे।
पशुओं के प्रति क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के विधिक अधिकार दिए जाएंगे।
विस्फोटक अधिनियम, 1884 के विधिक अधिकार दिए जाएंगे।
कारागार अधिनियम, 1894 के विधिक अधिकार दिए जाएंगे।
सरकारी गोपनीयता अधिनियम, 1923 के विधिक अधिकार दिए जाएंगे।
विदेशी अधिनियम, 1946 के विधिक अधिकार दिए जाएंगे।
गैर-कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के विधिक अधिकार दिए जाएंगे।
भारतीय पुलिस अधिनियम, 1861 के विधिक अधिकार दिए जाएंगे।
उत्तर प्रदेश अग्नि शमन सेवा अधिनियम, 1944 के विधिक अधिकार दिए जाएंगे।
उत्तर प्रदेश अग्नि निवारण एवं अग्नि सुरक्षा अधिनियम, 2005 के विधिक अधिकार दिए जाएंगे।
उत्तर प्रदेश गिरोहबंद और समाज विरोधी क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम, 1986 के विधिक अधिकार दिए जाएंगे।