1. दो चरणों में लाई गई थी स्कीम
2. बहुत सस्ते दरों पर किए गए थे आवंटन
3. 1000 करोड़ की राजस्व हानि आंकी गई है
4. गिने चुने लोगों को ही हुए आवंटन
5. एक ही परिवार के कई-कई लोगों को मिले
1. दो चरणों में लाई गई थी स्कीम
2. बहुत सस्ते दरों पर किए गए थे आवंटन
3. 1000 करोड़ की राजस्व हानि आंकी गई है
4. गिने चुने लोगों को ही हुए आवंटन
5. एक ही परिवार के कई-कई लोगों को मिले
नोएडा। फार्म हाउसों की मलाई खाने वालों के गले में फिर फांस अटक गई है। कई बार जांचों से गुजरने के बाद एक बार फिर हाईकोर्ट का फंदा आवंटियों के गले में आ गया है।
फार्म हाउसों के नाम पर हुई बंदरबांट और राजस्व हानि पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। प्राधिकरण की खिंचाई करते हुए इस मामले में सभी 157 आवंटियों को पार्टी बनाया गया है और उन्हें आगामी 31 अगस्त को पेश होने का आदेश दिया गया है। एक जनहित याचिका 10714/2015 मेसर्स ओपीजी सिक्योरिटीज प्रा. लि. व अन्य बनाम नोएडा में सुनवाई करते हुए गत 25.05.2018 व 3.08.2018 के आदेश के मुताबिक 157 फार्म हाउस आवंटियों को उत्तरदायी बनाया गया है। अगले तारीख 31.08.2018 लगाई गई है जिसमें इन्हें अपना पक्ष रखने को कहा गया है।
उल्लेखनीय है कि फार्म हाउसों के आवंटन में पूरी गिरोहबंदी के साथ सस्ती दर पर किए गए। इनमें ज्यादातर आवंटी वे हैं जो काबलियत तो कोई नहीं रखते परंतु पैसा और रसूख दोनों रखते हैं। इसी के बल पर पिछले 20 सालों से तमाम आवंटन इन गिने-चुने लोगों को ही होते आ रहे हैं। भले ही वो औद्योगिक, संस्थागत, कॉमर्शियल, ग्रुप हाउसिंग या कोई भी श्रेणी। बड़े भूखंडों के आवंटी गिने-चुने लोग हैं। यही कारण है कि ये लोग 20 सालों के अंतराल में रोडपति से अरबपति हो गए।
इनके रसूख का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्राधिकरण से लेकर राज्यपाल तक ने फार्म हाउसों के इन आवंटनों की जांच कर ली पर नतीजा वही ढाक के तीन पात। यानि सब जगह से ये आवंटी बच निकले। अंत में मेसर्स ओपीजी सिक्योरिटीज प्रा. लि. ने हाईकोर्ट इलाहाबाद में एक जनहित याचिका दायर की। हाईकोर्ट इस मामले को अत्यंत गंभीरता से लेते हुए प्राधिकरण के साथ-साथ फार्म हाउसों के आवंटियों को भी उत्तरदायी माना है। जानकारों की मानें तो यहां महत्वपूर्ण बात यह भी है कि दो चरणों में लाई गई फार्म हाउसों की योजना के जरिए हजारों करोड़ रुपए के राजस्व का चूना प्राधिकरण को लगाया गया है।