असम में सिटीजन रजिस्टर का फाइनल ड्राफ्ट जारी, 40 लाख लोगों के नाम शामिल नहीं
गुवाहाटी। असम में बंग्लादेशियों की घुसपैठ को लेकर बराबर आवाजें उठती रही हैं। इनको कैसे बाहर किया जाए इस पर प्रदेश सरकार काफी समय से तैयारी मेंंलगी थी। इसी के तहत असम में सोमवार को नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन का फाइनल ड्राफ्ट जारी किया गया। जारी किए गए ड्राफ के मुताबिक 2.89 करोड़ लोगों को नागरिकता के लिए वैध ठहराया गया। जबकि 40 लाख लोगों के नाम नगरिकता सूची में नहीं हैं। एनआरसी का कहना है कि ये सिर्फ ड्राफ्ट है, फाइनल लिस्ट नहीं। जिनके नाम इस लिस्ट में नहीं हैं, वे अभी भी नागरिकता का दावा कर सकते हैं। इससे पहले 31 दिसंबर को पहला ड्राफ्ट जारी किया गया था। तब 1.90 करोड़ लोगों के नाम शामिल किए गए थे।
एनआरसी के संयुक्त सचिव सत्येंद्र गर्ग ने कहा है कि जिन लोगों के नाम पहली सूच में दर्ज थे, लेकिन अंतिम सूची में शामिल नहीं हैं, वे आवेदन कर सकते हैं। दावे और आपत्ति जताने की प्रक्रिया 30 अगस्त से शुरू होगी। असम कांग्रेस के अध्यक्ष रिपुण बोरा ने कहा कि 40 लाख लोगों के नाम शामिल नहीं होने की बात काफी चौंकाती है। यह सरकार की नाकामी है। यह भाजपा के राजनीतिक मकसद का नतीजा है। हालांकि, केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि जिन लोगों के नाम फाइनल लिस्ट में नहीं आएंगे, वे ट्रिब्यूनल में अपील कर सकेंगे। किसी के खिलाफ भी कार्रवाई नहीं होगी।
आप को बतादें कि असम इकलौता एक ऐसा राज्य है जहां नेशनल सिटीजन रजिस्टर बनाया जा रहा है। दरअसल, असम में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों को लेकर हमेशा से विवाद रहा है। 80 के दशक में इसे लेकर छात्रों ने आंदोलन किया था। इसके बाद असम गण परिषद और तत्कालीन राजीव गांधी सरकार के बीच समझौता हुआ। समझौते में कहा गया कि 1971 तक जो भी बांग्लादेशी असम में आए हैं, उन्हें नागरिकता दी जाएगी और बाकी को निर्वासित किया जाएगा। अब तक सात बार एनआरसी जारी करने की कोशिशें हुईं। 2013 में मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। अंत में अदालती आदेश के बाद ये लिस्ट जारी हुई है।