इलाज की चुनौतियां और साहस
ट्रिपल नेगेटिव कैंसर तेजी से फैलता है, इसलिए अपूर्वा को सर्जरी से पहले कीमोथेरेपी दी गई। कोविड पीक के बावजूद उन्होंने कोई सेशन मिस नहीं किया। कीमो से ट्यूमर आठ साइकिल में सिकुड़ गया, लेकिन साइड इफेक्ट्स ने उन्हें “90 साल की बुजुर्ग” जैसा महसूस कराया। रेडिएशन ऑन्कोलॉजी प्रोफेसर डॉ. हरीश केपी कहते हैं, “हर दो-तीन साइकिल बाद ट्यूमर की जांच जरूरी है – क्या सिकुड़ रहा है? रुक गया तो प्लान बदलें।” अपूर्वा कीमो वॉर्ड में क्रोशिया किट लेकर जातीं और शांत मन से काम करतीं।
लॉकडाउन ने सर्जरी तीन हफ्ते टाल दी, लेकिन एम्स ने इमरजेंसी स्लॉट दिया। मास्टेक्टॉमी (बाएं स्तन हटाना) और एक्सिलरी लिम्फ नोड डिसेक्शन हुआ। अब अपूर्वा प्रोस्थेटिक ब्रेस्ट इस्तेमाल करती हैं, भीड़ से बचती हैं, बाएं हाथ पर घड़ी-चूड़ियां नहीं पहनतीं और मच्छर काटने पर भी सतर्क रहती हैं – क्योंकि घाव भरना मुश्किल होता है।
जीवनशैली बदलाव और सतर्कता
अपूर्वा ने शुगर कम की, विटामिन सी, फल-सब्जियां बढ़ाईं और इम्यूनिटी बूस्ट की। ट्रिपल नेगेटिव कैंसर की पुनरावृत्ति की संभावना ज्यादा है, इसलिए नियमित फॉलो-अप जरूरी। डॉ. सुहानी कहती हैं, “जल्दी पकड़ने से प्रोग्नोसिस बदल जाती है।”
भावनात्मक संघर्ष और समर्थन
परिवार का साथ अहम है। एक महिला को पति ने छोड़ दिया, जबकि दूसरे ने आठ साल हर अपॉइंटमेंट में साथ दिया। रिकंस्ट्रक्शन सर्जरी के बाद एक महिला को पति ने “बेकार” कहा – ऐसे क्रूरता अभी भी हैं। अपूर्वा कहती हैं, “मेरा पति इनकार में था, लेकिन हमने साथ लड़ाई।”
अब रेमिशन में अपूर्वा एम्स डॉक्टर्स के साथ कम्युनिटी टॉक्स देती हैं। “लक्षण चिल्लाने तक इंतजार न करें। अपने शरीर को जानें, जैसे जीवन इस पर निर्भर हो – क्योंकि है!”

