योगराज सिंह का विवादास्पद बयान: महिला क्रिकेटरों को लड़कों के साथ खेलना चाहिए, ताकि बनें बेहतर खिलाड़ी

Yograj Singh’s controversial statement News: पूर्व भारतीय क्रिकेटर और कोच योगराज सिंह ने हाल ही में भारतीय महिला क्रिकेट टीम के एशिया कप प्रदर्शन पर टिप्पणी करते हुए एक विवादास्पद सुझाव दिया है। उन्होंने कहा कि महिला खिलाड़ियों को लोकल टूर्नामेंट्स में लड़कों के साथ मुकाबला करना चाहिए, ताकि उनका खेल और मजबूत हो सके। यह बयान ऐसे समय में आया है जब महिला क्रिकेट में लिंग-आधारित असमानताओं और विकास की चर्चा जोरों पर है।

योगराज सिंह, जो स्टार क्रिकेटर युवराज सिंह के पिता हैं, ने एक इंटरव्यू में कहा, “हमारी महिलाएं क्रिकेट बहुत अच्छा खेलती हैं। मैं चाहूंगा कि ये जितना क्रिकेट लड़कों के साथ खेलें, उतनी बेहतर बन जाएंगी। इनकी जो लोकल टूर्नामेंट्स हैं, इनकी भिडंत लड़कों के साथ होनी चाहिए…” उनका यह मत महिलाओं के क्रिकेट को मजबूत बनाने के उद्देश्य से है, लेकिन इसमें लिंग-आधारित शारीरिक अंतर को नजरअंदाज करने का आरोप लग रहा है। योगराज अक्सर अपने कटु और विवादास्पद बयानों के लिए सुर्खियों में रहते हैं, जैसे हाल ही में हिंदी भाषा को ‘महिलाओं की भाषा’ बताना और महिलाओं को सत्ता न देने की बात करना।

एशिया कप 2025 के संदर्भ में योगराज के बयान की पृष्ठभूमि देखें तो भारतीय महिला टीम ने हाल के टूर्नामेंट्स में मिश्रित प्रदर्शन किया है। 2024 के महिला एशिया कप में भारत फाइनल में श्रीलंका से हार गया था, लेकिन 2025 के एशिया कप (जिसमें पुरुष टीम पर भी फोकस है) में पाकिस्तान के खिलाफ भारत की महिला टीम का रिकॉर्ड मजबूत रहा है। सूर्यकुमार यादव ने हाल ही में कहा कि भारत-पाकिस्तान महिला वनडे में 11-0 का स्कोर ‘राइवलरी’ नहीं है, और अगर टीम अच्छा खेलती रही तो यह 12-0 हो सकता है। योगराज का सुझाव इसी तरह की असमानताओं को दूर करने का तरीका बताता है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि महिलाओं और पुरुषों के बीच शारीरिक अंतर (जैसे ताकत और स्पीड) के कारण यह व्यावहारिक नहीं हो सकता।

सोशल मीडिया पर इस बयान को मिली-जुली प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं। कुछ यूजर्स महिलाओं के क्रिकेट को ‘कमजोर’ बताते हुए सहमत हैं, जैसे एक पोस्ट में कहा गया कि महिला क्रिकेट किशोर लड़कों के स्तर का लगता है। वहीं, अन्य इसे सेक्सिस्ट मानते हैं और कहते हैं कि महिलाओं को पुरुषों के साथ जबरदस्ती नहीं भिड़ाना चाहिए, क्योंकि इससे चोट का खतरा बढ़ सकता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी क्रिकेट में ट्रांसजेंडर खिलाड़ियों की भागीदारी पर बहस चल रही है, जहां इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) पर महिलाओं की सुरक्षा को नजरअंदाज करने के आरोप लगे हैं।

बीसीसीआई ने अभी तक इस बयान पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन महिला क्रिकेट के विकास के लिए अलग-अलग कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि महिलाओं को बेहतर कोचिंग, सुविधाएं और अंतरराष्ट्रीय एक्सपोजर देने से ही सुधार संभव है, न कि पुरुषों के साथ मुकाबले से। योगराज सिंह के इस बयान ने एक बार फिर महिला क्रिकेट में लैंगिक समानता की बहस को हवा दे दी है।

यह भी पढ़िए: बिहार विधानसभा चुनाव 2025: भाजपा ने जारी की 71 उम्मीदवारों की पहली सूची, एनडीए और महागठबंधन में चुनावी गतिविधियां तेज

यहां से शेयर करें